जज उत्तम आनंद मर्डर केस, झारखंड हाई कोर्ट ने पूछा- सुबह 5:08 घटना हुई, 12:45 बजे क्यों दर्ज की गई FIR

झारखंड हाईकोर्ट में धनबाद के जज उत्तम आनंद मर्डर मामले में चफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की सुनवाई हुई। कोर्ट ने एसआईटी की स्टेटस रिपोर्ट पर कड़ी नाराजगी जताई। हाई कोर्ट ने इस दौरान कई सवाल उठाए पूछा कि जब घटना सुबह 5:08 बजे की है तो एफआइआर 12:45 बजे क्यों दर्ज की गई।

जज उत्तम आनंद मर्डर केस, झारखंड हाई कोर्ट ने पूछा- सुबह 5:08  घटना हुई, 12:45 बजे क्यों दर्ज की गई FIR
  • एसआईटी की स्टेटस रिपोर्ट पर कड़ी नाराजगी जताई

रांची। झारखंड हाईकोर्ट में धनबाद के जज उत्तम आनंद मर्डर मामले में चफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की सुनवाई हुई। कोर्ट ने एसआईटी की स्टेटस रिपोर्ट पर कड़ी नाराजगी जताई। हाई कोर्ट ने इस दौरान कई सवाल उठाए पूछा कि जब घटना सुबह 5:08 बजे की है तो एफआइआर 12:45 बजे क्यों दर्ज की गई। सीसीटीवी फुटेज में जज को तुरंत उठाकर हॉस्पीटल पहुंचाया गया है। 
कोर्ट ने भी पूछा कि क्या फर्द बयान के बाद ही एफआइआर दर्ज किये जाने का प्रावधान है। गवर्नमेंट की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। इसके लिए गवर्नमेंट लेवल से अनुशंसा की गई है।इस पर सीबीआई के एडवोकेट ने कहा कि उन्हें राज्य सरकार की ओर से अनुशंसा से संबंधित पत्र मिला है। कल सीबीआई की ओर से जांच की नोटिफिकेशन जारी कर दी जायेगी। कोर्ट ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद सीबीआई को जांच का जिम्मा दिए जाने पर अपनी स्वीकृति देते हुए जांच शुरू करने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट मामले की जांच की मॉनिटरिंग करती रहेगी।
जस्टिस ने अपने-अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले पर सुनवाई की। वहीं सरकार के महाधिवक्ता ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखा। डीजीपी नीरज सिन्हा और मामले की जांच कर रही एसआईटी टीम के चीफ संजय लाटकर अदालत में उपस्थित हुए। कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए सीबीआई को सभी दस्तावेज और लॉजिस्टिक सपोर्ट देने का भी निर्देश दिया है।
ज्यूडशियल अफसर कर रहे हैं असुरक्षित महसूस:कोर्ट
कोर्ट ने स्टेट के डीजीपी को कहा है कि तत्काल धनबाद के ज्यूडशियल अफसरों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाएं। उनके आवासीय क्षेत्र में भी पुलिस जवानों की तैनाती की जाए। क्योंकि इस घटना के बाद से ज्यूडशियल अफसर अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी ज्यूडिशियल अफसर पर हमला हुआ है। इसको देखते हुए गवर्नमेंट को तुरंत ज्यूडशियल अफसरों की सुरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए। इस बार डीजीपी नीरज सिन्हा ने तुरंत सुरक्षा प्रदान करने का कोर्ट को आश्वासन दिया है।
क्या हुआ सरकार अपने ही बातों से पलट गई

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब पिछली सुनवाई के दौरान उन्होंने इस मामले को सीबीआई को सौंपने कहा था तो महाधिवक्ता की ओर से कहा गया कि इससे पुलिस के अफसरों का  मनोबल टूटेगा। ऐसे में अब क्या हुआ कि सरकार अपने ही बातों से पलट गई। महाधिवक्ता ने कहा कि इस मामले में की जांच सीबीआई को इसलिए सौंपा जा रहा है कि इसके तार दूसरे राज्य से जुड़े हो सकते हैं। ऐसे में सीबीआई ही इस मामले की जांच के लिए उपयुक्त है क्योंकि अगर इस मामले के जांच दूसरे राज्यों से जुड़ते हैं तो पुलिस को जांच करने में परेशानी होगी।
फ्लैश बैक
धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश 8 उत्तम आनंद को बुधवार 28 जुलाई की सुबह रणधीर वर्मा चौक पर मॉर्निंग वॉक करने को दौरान ऑटो ने धक्का मार दिया था। उन्हें SNMMCH ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सूचना पाकर धनबाद के प्रधान जिला जज और सीजेएम समेत जिले के सभी पुलिस व प्रशासनिक अफसर एसएनएमसीएच पहुंचे थे। पोस्टमार्टम में सर में गंभीर चोट की बात सामने आयी है। मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ऑटो को गिरिडीह से बरामद कर लिया। ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा व उसके सहयोगी राहुल वर्मा को 20 जुलाई की रात अरेस्ट कर ली। दोनों को पांच दिनों की पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ की गयी है। 

दोनों को ब्रेन मैपिंग व नार्कों टेस्ट के लिए कोर्टमें अरजी दी है। कोर्ट ने ने जांच की अनुमति दे दी है। पुलिस ऑटो मालिक पाथरडीह निवासी रामदेव विश्कर्मा व उसके परिजनों को कस्टडी में लेकर पूछताछ कर चुकी  है। स्टेट गवर्नमेंट ने मामले की जांच के लिए एडीजी (ऑपरेशन) संजय अनंद लाठकर के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया है। 

चर्चित रंजय हत्याकांड की कर रहे थे सुनवाई उत्तम आनंद
जज उत्तम आनंद कोयलांचल के चर्चित रंजय सिंह मर्डर केस की सुनवाई कर रहे थे। रंजय सिंह झरिया के एक्स एमएलए संजीव सिंह के काफी करीबी माने जाते थे। जज कुछ दिन पूर्व ही शूटर अभिनव सिंह व अमन के गुर्गे रवि ठाकुर की बेल पिटीशन खारिज कर दी थी।