झारखंड टेंडर कमीशन घोटाला: आलमगीर के PA संजीव लाल की वाइफ सहित आठ पर चार्जशीट

ईडी ने झारखंड में टेंडर कमीशन घोटाला उजागर किया। 44 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क, पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव की पत्नी सहित आठ आरोपितों पर केस। हवाला के जरिए 37 करोड़ रुपये से अधिक राशि का खुलासा।

झारखंड टेंडर कमीशन घोटाला: आलमगीर के PA संजीव लाल की वाइफ सहित आठ पर चार्जशीट
चौथा पूरक आरोप पत्र दाखिल।
  • ईडी ने जब्त की 44 करोड़ की संपत्ति
  • पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के करीबी तक जांच पहुंची

रांची। झारखंड में टेंडर आवंटन में हुए बड़े कमीशन घोटाले का पर्दाफाश करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 44 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की है। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत की गई इस कार्रवाई में ईडी ने कई ठिकानों पर छापेमारी की और महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए। इस पूरे प्रकरण में एक्स मिनिस्टर आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल की पत्नी रीता लाल सहित आठ आरोपितों के खिलाफ चौथा पूरक आरोप पत्र दाखिल किया गया है।

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 ईडी ने आठ आरोपितों पर दाखिल किया चौथा पूरक आरोप पत्र

ईडी ने रांची स्थित पीएमएलए की विशेष अदालत में 22 अक्टूबर को अपना चौथा पूरक आरोप पत्र दाखिल किया। आरोपितों में रीता लाल, ठेकेदार राजेश कुमार, राधा मोहन साहू, अंकित साहू, राजीव कुमार सिंह, अतिकुल रहमान, और दो कंपनियां — मेसर्स राजेश कुमार कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स परमानंद सिंह बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।ईडी के अनुसार, इन आरोपितों ने टेंडर आवंटन में कमीशन की राशि से अवैध रूप से संपत्ति अर्जित की थी।

 रिश्वतखोरी का जाल: लग्जरी गाड़ियां और करोड़ों कैश

ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि ठेकेदार राजेश कुमार ने तत्कालीन मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम को टेंडर दिलाने के एवज में 1.88 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी। साथ ही, उन्होंने दो लग्जरी गाड़ियां — टोयोटा इनोवा और टोयोटा फार्च्यूनर भी गिफ्ट कीं। एक अन्य ठेकेदार राधा मोहन साहू ने 39 लाख रुपये रिश्वत के तौर पर दिये और अपने बेटे अंकित साहू के नाम पर एक फॉर्च्यूनर गाड़ी भी भेंट की थी। ईडी ने जांच के दौरान तीनों लग्जरी गाड़ियां जब्त कीं। अभियंता के सहयोगी अतिकुल रहमान के यहां से 4.40 लाख रुपये नकद, और एक अन्य ठेकेदार राजीव कुमार सिंह के घर से 2.13 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए। राजीव कुमार सिंह ने पूछताछ में लगभग 15 करोड़ रुपये की कमीशन राशि जुटाने की बात स्वीकार की है।

 एसीबी के केस से खुली बड़ी जांच

ईडी ने यह मनी लांड्रिंग जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB), जमशेदपुर द्वारा दर्ज एक केस के आधार पर शुरू की थी। एसीबी ने पहले जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद वर्मा को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। आगे की जांच में विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम के ठिकानों से 2.67 करोड़ रुपये कैश बरामद किये गये।ईडी ने पहले ही अपने तीन आरोप पत्रों में ग्रामीण विकास विभाग में बड़े पैमाने पर कमीशन घोटाले की जानकारी साझा की थी और बताया था कि पूर्व मंत्री आलमगीर आलम को टेंडर से मिलने वाले कमीशन का हिस्सा दिया जाता था।

हवाला के जरिए सफेद हुआ काला धन

ईडी ने खुलासा किया कि छापेमारी में बरामद 37 करोड़ रुपये से अधिक नकद राशि हवाला के माध्यम से दिल्ली भेजी गई थी। वहां चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और एंट्री ऑपरेटरों के नेटवर्क के जरिए इस काले धन को वैध दिखाया गया। इसी रकम से करोड़ों की अचल संपत्तियां खरीदी गयी।

मनी लांड्रिंग केस में अब तक 22 आरोपी बने 

ईडी की जांच के बाद अब तक इस मामले में कुल 22 लोग आरोपित हो चुके हैं। एजेंसी ने न्यायालय से सभी के खिलाफ मुकदमा चलाने और अपराध की आय से अर्जित संपत्तियों को जब्त करने की अनुमति मांगी है।

निष्कर्ष

झारखंड में टेंडर आवंटन के नाम पर हुए इस घोटाले ने एक बार फिर राज्य की नौकरशाही और राजनीति में गहरे भ्रष्टाचार को उजागर किया है। ईडी की जांच जारी है और कई अन्य अधिकारियों व ठेकेदारों की भूमिका की भी पड़ताल हो रही है।