Jharkhand High Court: देश के सबसे बड़े हाईकोर्ट बिल्डिंग का प्रसिडेंट द्रौपदी मुर्मु ने किया उद्घाटन

प्रसिडेंट द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को रांची में झारखंड हाईकोर्ट के नव-निर्मित हाईकोर्ट बिल्डिंग का उद्घाटन किया। यह हाईकोर्ट कैंपस देश का सबसे बड़ा कैंपस है। झारखंड हाईकोर्ट कैंपस सुप्रीम कोर्ट कैंपस से भी तीन गुना बड़ा है।

Jharkhand High Court: देश के सबसे बड़े हाईकोर्ट बिल्डिंग का प्रसिडेंट द्रौपदी मुर्मु ने किया उद्घाटन
देश के सबसे बड़े हाईकोर्ट बिल्डिंग का उद्घाटन।
  • लोगों को सही मायने में न्याय दिलाना आपकी जिम्मेदारी : प्रसिडेंट

रांची। प्रसिडेंट द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को रांची में झारखंड हाईकोर्ट के नव-निर्मित हाईकोर्ट बिल्डिंग का उद्घाटन किया। यह हाईकोर्ट कैंपस देश का सबसे बड़ा कैंपस है। झारखंड हाईकोर्ट कैंपस सुप्रीम कोर्ट कैंपस से भी तीन गुना बड़ा है। राजधानी रांची के धुर्वास्थित झारखंड हाईकोर्ट की नयी बिल्डिंग के उद्घाटन व लोकापर्ण समारोह में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल,गवर्नर  सीपी राधाकृष्णन, सीएम हेमंत सोरेन समेत कई न्यायाधीश मौजूद रहे।

यह भी पढ़ें: Bihar: भागलपुर के मंदिर कैंपस RJD लीडर का महिला ने पकड़ा कॉलर, गाली-गलौज, लगाये गंभीर आरोप


लोगों को न्याय मिले यह आपकी जिम्मेदारी 
समारोह को संबोधित करते हुए प्रसिडेंट द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सी व्यवस्था होनी चाहिए कि लोगों को न्याय मिले। सही मायने में उन्हें न्याय मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग उनके पास आते हैं। फैसला उनके पक्ष में होता है, फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिलता। ऐसे लोगों को सही मायने में कैसे न्याय मिल सकता है, सरकार और न्यायपालिका को मिलकर इसकी व्यवस्था करनी चाहिए। लोगों को न्याय मिले यह आपकी जिम्मेदारी है।उन्होंने कहा कि इंडिया के चीफ जस्टिस, झारखंड के चीफ जस्टिस के अलावा केंद्रीय कानून मंत्री, सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के जजों के साथ-साथ विद्वान वकील भी यहां मौजूद हैं। आपलोग इसका रास्ता तलाशिये। कानून बनाना पड़े, तो बनाइये, लेकिन यह सुनिश्चित होना चाहिए कि लोगों को न्याय मिले। हमें भरोसा है कि न्यायिक प्रक्रिया की इन जटिलताओं में बदलाव आयेगा। 

पक्ष में फैसला आने के बाद भी लोगों को नहीं मिलती खुशी

उन्होंने कहा कि बहुत से केस हाईकोर्ट में फाइनल होते हैं। बहुत से केस का फैसला सुप्रीम कोर्ट से आता है। जिनके पक्ष में फैसला आता है, वे खुश होते हैं. बाद में उनकी खुशी गायब हो जाती है, क्योंकि जिसके लिए वे खुश थे, वो उनको मिलता ही नहीं। जिसके लिए समय, रुपये और रातों की नींद बर्बाद कर दी, वो खुशी उन्हें नहीं मिलती, तो वे फिर से दुखी हो जाते हैं। 
फैसला हो जाता है, लेकिन लोगों को न्याय नहीं मिलता
प्रसिडेंट नेकहा कि मैं एक छोटे-से गांव से आयी हूं। मैं फैमिली काउंसलिंग सेंटर की सदस्य थी। कुछ केस फाइनल होने के बाद हम उनके घर जाते थे। यह देखने के लिए कि जिस केस को हमने फाइनल किया, वह परिवार ठीक है या नहीं। बहुत से लोग अपने कोर्ट से अपने पक्ष में आये फैसले लेकर मेरे पास आते थे कि फैसला तो हमारे पक्ष में आ गया, लेकिन हमें न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं मालूम कि सुप्रीम कोर्ट के आगे कुछ होता है। मैं यह भी नहीं जानती कि ऐसे लोगों का कुछ हो सकता है या नहीं।

लोगों को सही मायने में न्याय मिले
प्रसिडेंट ने कहा कि चीफ जस्टिस डॉ डीवाई चंद्रचूड़ ने मुझे अभी बताया कि ऐसे मामले होते हैं। लोग कंटेम्प्ट में जा सकते हैं। लोगों को सही मायने में न्याय मिले, ये जिम्मेदारी आप सबकी है। उन्होंने कहा कि अगर नियम नहीं है, तो नियम बनाना चाहिए। लोगों को सही मायने में न्याय मिलना चाहिए।
न्याय व्यवस्था को नागरिकों तक पहुंचना होगा: जस्टिस चंद्रचूड़
इससे पहले सचीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस डॉ डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय व्यवस्था को नागरिकों तक पहुंचना होगा। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के भवन का विस्तार होने से न्यायपालिका की प्रतिष्ठा बढ़ती है। भारतीय नागरिक अपने वादों (मुकदमों) को लेकर न्यायपालिका के द्वार में प्रवेश करते हैं, तब उनकी आस्था को कायम रखना हम सबका उत्तरदायित्व है। सुप्रीम कोर्ट के सात साल के निजी अनुभव में मुझे न्याय और अन्याय की छवि का एहसास हुआ है। सजा होने के पहले हजारों नागरिक छोटे अपराध के लिए कारा गृहों में बंद रहते हैं। अक्सर महीनों या सालों तक। न उनके पास साधन है, न साक्षरता। अगर न्यायपालिका से शीघ्र उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, तो उनका भरोसा कैसे कायम होगा।
जिला और सत्र न्यायालयों को सशक्त बनाने पर जोर
चफ जस्टिस और सत्र न्यायालयों को सशक्त बनाने पर जोर देते हुए कहा कि जिला न्यायालयों को समानता मिलेगी, तभी उनके कार्यों में हम गरिमा और गौरव देख सकेंगे। जिला न्यायालयों की गरिमा नागरिकों की गरिमा से जुड़ी है। न्याय प्रणाली का लक्ष्य लोगों को न्याय दिलाना है। उन्होंने कहा कि भारत के छह लाख 40 हजार गांवों तक पहुंचने के लिए स्थानीय भाषा बेहद जरूरी है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली है। हजारों फैसलों का अनुवाद कराया गया है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि आज भी आदिवासी वर्ग के पास जमीन के दस्तावेज नहीं हैं। इन सब चीजों का हमें ध्यान रखना ही होगा। टेक्नोलॉजी के माध्यम से आज हम न्याय व्यवस्था को प्रत्येक नागरिक के द्वार तक ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट की कार्यवाही को लाइव स्ट्रीमिंग के जरिये भारत के घर-घर तक ले जाना एक अहम योजना है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने ई-कोर्ट के फेज 3 के लिए 7,000 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं।
सजा काट चुके गरीबों का जुर्माना सरकार भरेगी : मेघवाल
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने न्यायपालिका में स्थानीय भाषा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश चीफ जस्टिस इस दिशा मेंकाम कर रहे । मैंआश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत सरकार न्यायपालिका की जरूरतों को पूरा करने के लिए कटिबद्ध भी है और प्रतिबद्ध भी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार जेल में बंद ऐसे गरीब कैदियों की आर्थिक और कानूनी मदद करेगी, जो पैसे के अभाव मेंअपनी सजा काटनेके बाद भी जेल में बंद हैं। ऐसे लोगों को जेल से बाहर लाने के लिए उनका जुर्माना सरकार भरेगी। इसका प्रावधान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कर दिया है।
जस्टिस डिलीवरी में क्रांतिकारी साबित होंगे ई-कोर्ट्स
मेघवाल ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी नागरिकों और कोर्ट की सुविधा बढ़ाने में मददगार बना। न्याय विकास 2.0 वेब पोर्टल बना। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हियरिंग शुरू हुई। कोविड के समय संसार में रिकॉर्ड हियरिंग भारत में हुई। यह टेक्नोलॉजिकल इंटरवेंशन से संभव हो पाया। उन्होंने कहा कि हम इंडस्ट्री 4.0 के युग में हैं। इसमें एआई एक मजबूत टूल के रूप में उभरा है। मुझे लगता है कि बेंच और बार दोनों के लिए यह उपयोगी साबित होगा। वादी-प्रतिवादी के लिए लाभकारी होगा। उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट्स के पहले फेज में हमने इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया। सेकेंड फेज में नागरिकों की सुविधा बढ़ाने पर जोर दिया। तीसरे फेज में जस्टिस डिलीवरी पर जोर है, जो न्यायपालिका में क्रांति साबित होगा। उन्होंने न्यायपालिका में हो रहे नवाचारों (इनोवेशंस) के बारे में भी बताया। 

वरीय न्यायिक सेवा में हो आरक्षण का प्रावधान : हेमंत सोरेन
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने वरीय न्यायिक सेवा में आरक्षण के प्रावधान की अपील न्यायपालिका से की। उच्च न्यायिक सेवा आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधित्व पर चिंता जाहिर करते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने राज्यों की न्यायिक सेवा में आरक्षण लागू करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट की यह बिल्डिंग प्रदेश की करोड़ों जनता के लिए गौरव का क्षण है। लगभग छह सौ करोड़ की लागत से 165 एकड़ में झारखंड हाईकोर्ट भवन का निर्माण हुआ है। उम्मीद है कि झारखंड के आदिवासी, गरीब जनता को सरल, सुलभ तथा तीव्र न्याय मिलेगा। उन्होंने बताया कि किस तरह सरकार लंबे समय से लंबित मुकदमों का तेजी से निबटारा कर रही है। सीएम ने कहा कि सबऑर्डिनेट ज्यूडिशियरी में झारखंड की स्थिति देश में सबसे बेहतर है।
न्यायपालिका के लिए ऐतिहासिक दिन: गवर्नर
झारखंड के गवर्नर सीपी राधाकृष्णन ने न्यायपालिका के लिए आज के दिन को ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका लोकतंत्र का मंदिर है, जहां लोग न्याय मांगने जाते हैं। भारत की न्यायपालिका महान है। गवर्नर ने कहा कि मैं पूरे देश को बताना चाहता हूं कि भविष्य की सोच के साथ इस विशाल हाईकोर्ट भवन का निर्माण किया गया है। इसमें हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की झलक मिलती है। गवर्नर ने कहा कि कोर्ट से हमारे नागरिकों को न्याय मिलेगा। विवादों का निबटारा होगा। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में सुधार के रास्ते तलाशने होंगे, ताकि लोगों को समय पर न्याय मिल सके.
हाईकोर्ट के चीफ जस्टि स ने किया अतिथियों का स्वागत
झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय मिश्र ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने प्रसिडेंट द्रौपदी मुर्मू को मातृशक्ति की पराकाष्ठा बताया। उन्होंने कहा कि प्रसिडेंट द्रौपदी मुर्मू ने छह साल तक राज्यपाल के रूप में झारखंड मेंकाम किया। इसलिए यह प्रदेश उनके अपने घर जैसा है। वह महिला सशक्तिकरण का उदाहरण हैं। लाखों आम महिलाओं की प्रेरणा हैं। मातृशक्ति की पराकाष्ठा हैं। वह न केवल देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं, बल्कि शीर्ष संवैधानिक पद पर बैठनेवाली सबसे कम उम्र की महिला भी हैं। वह आम लोगों में काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि वह बेहद साधारण और जमीन से जुड़ी हैं। चीफ जस्टिस ऑफ झारखंड नेप्रदेश के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को जमीन से जुड़ा राजनेता बताया।
इससे पहले प्रसिडेंट द्रौपदी मुर्मू ने रिमोट कंट्रोल का बटन दबाकर झारखंड हाईकोर्ट की नयी बिल्डिंग का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रसिडेंट द्रौपदी मुर्मू, गवर्नर सीपी राधाकृष्णन, भारत के चीफ जस्टिस डॉ डीवाई चंद्रचूड़ समेत सभी अतिथियों को शॉल और डोगरा शिल्प कला से बनी बिरसा मुंडा की प्रतिमा स्मृति चिह्न के रूप में भेंट की गयी। राष्ट्रकपति मुर्मू आज रांची पहुंचकर अलबर्ट एक्काि चौक पर वीर जवान की प्रतिमा पर माल्या्र्पण भी किया। बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

झरखंड हाईकोर्ट नयी बिल्डिंग की खास बातें
165 एकड़ जमीन में फैला है हाईकोर्ट कैंपस, सुप्रीम कोर्ट के कैंपस से भी है कई गुना बड़ा।
550 करोड़ रुपये की लागत से बना है बिल्डिंग, लगाये गये हैं 500 सीसीटीवी कैमरे।
क्ता बैठेंगे दो हॉल में, 540 चैंबर व महाधिवक्ता भवन अलग से।

30 हजार वर्गफीट में लाइब्रेरी, दो हजार वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था।
25 भव्य एसी कोर्ट रूम बनकर तैयार, सौर ऊर्जा के भी बेहतर इंतजाम