झारखंड: एक्स मिनिस्टर बंदी उरांव का निधन, PESA कानून बनाने में निभाई थी महती भूमिका, सीएम हेमंत ने जताया शोक

हार के एक्स मिनिस्टर व भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे 90 वर्षीय बंदी उरांव का सोमवार की देर रात निधन हो गया। पुलिस सेवा से वीआरएस लेकर राजनीति में करियर बनानेवाले चार बार एमएलए रहे बंदी उरांव अपने पीछे पुत्र अरुण उरांव, पुत्रवधू गीताश्री उरांव और भरापूरा परिवार छोड़ गये हैं। 

झारखंड: एक्स मिनिस्टर बंदी उरांव का निधन, PESA कानून बनाने में निभाई थी महती भूमिका, सीएम  हेमंत ने जताया शोक
बंदी उरांव (फाइल फोटो)।

रांची। बिहार के एक्स मिनिस्टर व भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे 90 वर्षीय बंदी उरांव का सोमवार की देर रात निधन हो गया। पुलिस सेवा से वीआरएस लेकर राजनीति में करियर बनानेवाले चार बार एमएलए रहे बंदी उरांव अपने पीछे पुत्र अरुण उरांव, पुत्रवधू गीताश्री उरांव और भरापूरा परिवार छोड़ गये हैं। 

उनके पुत्र अरुण उरांव भी आइपीएस की नौकरी से वीआरएस लेकर बीजेपी में शामिल हुए हैं। अभी वह बीजेपी अनुसूचित जाति मोरचा की नेशनल कमेटी में हैं। बंदी उरांव की बहु गीताश्री उरांव झारखंड में मिनिस्टर रह चुकी है। बंदी उरांव के निधन के साथ ही राजनीति का वह वटवृक्ष गिर गया जिसके नाम की लोग कसमें खाते थे। उनके निधन पर सीएम हेमंत सोरेन, कांग्रेस और बीजेपी लीडरों ने शोक व्यक्त किया है। 

सीएम  हेमंत सोरेन ने बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और छोटानागपुर संतालपरगना कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष बंदी उरांव के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। सीएम ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने तथा शोक संतप्त परिजनों को दुःख की इस घड़ी को सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की है।

सेंट्रल मिनिस्टर अर्जुन मुंडा ने ट्वीट करते लिखा कि पूर्व आइपीएस अधिकारी, बिहार सरकार में मंत्री रहे और बीजेपी लीडर डॉ अरूण उरांव के पिता बंदी उरांव जी के निधन का दुखद समाचार मिला। उनका आदिवासियों के उत्थान में बड़ा योगदान रहा। भगवान उनको अपने श्री चरणों में स्थान दे। उनके परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदना।
एमएलए बंधु तिर्की ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि इसके साथ ही एक युग का अंत हो गया। । झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि आज हमने पार्टी का एक मजबूत स्तंभ खो दिया है।ग्रामसभा के जबरदस्त वकालत करने वाले, बुढ़ादेव को स्थापित करने वाले, आदिवासी समाज के अग्रिम और बौद्धिक जगत के रूप जानने वाले के साथ झारखंड अलग राज्य के कर्मठता के साथ विचार प्रवाह करने वाले के रूप में जाने जाते थे। झारखंड के समाज में उनके काम की मौजूदगी सदा बनी रहेगी।उनके निधन पर आदिवासी संगठनों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। 
रांची जिला स्कूल से ली थी प्राथमिका शिक्षा
बंदी उरांव का जन्म 15 जनवरी 1931 को ग्राम दतिया, बसाइरतोली भरनो गुमला में हुआ।अपनी प्राथमिक शिक्षा जिला स्कूल रांची से पूरी करने के बाद वे पटना साइंस कॉलेज, पटना इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई छोड़नी पड़ी। बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन डीएसपी बने। आईपीएस में प्रोन्नत होकर कटिहार पूर्णिया सीतामढ़ी एवं गिरिडीह जिले में एसपी के पद पर एक ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में काम किए। आदिवासियों के महानायक कार्तिक उरांव के संपर्क में आकर समाज सेवा हेतु 1980 में SP गिरिडीह के पद से वीआरएस ली। 1980 से 2000 तक सिसई विधानसभा के एमएलए रहे। चंद्रशेखर सिंह के कैबिनेट में मंत्री रहे। क्षेत्रीय कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रहे। 1991-92 राष्ट्रीय जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष रहे। पेसा कानून बनाने के लिए भूरिया कमिटी के सदस्य बने।