Dinesh Gope : Jharkhand में एमसीसी के कैडरों को तोड़कर दिनेश गोप ने JLT से बनाया PLFI

बड़े भाई सुरेश गोप के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद दिनेश गोप फौज की नौकरी छोड़कर गांव आ गया। गांव आने के बाद उसने 2002 में झारखंड लिबरेशन टाइगर (जेएलटी) नामक एक उग्रवादी संगठन बनाया। इसके बाद उसने अपने संगठन में युवाओं को जोड़ना शुरू किया। वह एक फौजी था, उसे आर्म्स चलाने का अच्छा अनुभव था। इसका उपयोग उसने युवाओं को हथियार चलाने का ट्रेनिंग देने में किया। इस तरह धीरे-धीरे अपने संगठन का विस्तार शुरू किया।

Dinesh Gope : Jharkhand में एमसीसी के कैडरों को तोड़कर दिनेश गोप ने JLT से बनाया PLFI
कानूनी शिकंजे में दिनेश गोप।

रांची। झारखंड में दो दशक से झारखंड पुलिस के लिए सिरदर्द रहा पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप कभी फौजी हुआ करता था। अलग राज्य बनने के बाद 2001 में खूंटी की रोड पर डकैती, किडनैप, मर्डर समेत विभिन्न क्राइम में  दिनेश गोप उर्फ कुलदीप यादव  के बड़े भाई सुरेश गोप का आतंक हुआ करता था। पुलिस को सुरेश गोप की तलाश थी। इसी दौरान खूंटी के तत्कालीन डीएसपी मधुसुदन बारी को सुरेश गोप के ठिकाने की जानकारी मिली। डीएसपी ने रेड की तो सुरेश गोप से पुलिस की एनकाउंटर हो गई और वह एनकाउंटर में मारा गया।
बड़े भाई के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद दिनेश गोप फौज की नौकरी छोड़कर गांव आ गया
बड़े भाई सुरेश गोप के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद दिनेश गोप फौज की नौकरी छोड़कर गांव आ गया। गांव आने के बाद उसने 2002 में झारखंड लिबरेशन टाइगर (जेएलटी) नामक एक उग्रवादी संगठन बनाया। इसके बाद उसने अपने संगठन में युवाओं को जोड़ना शुरू किया। वह एक फौजी था, उसे आर्म्स चलाने का अच्छा अनुभव था। इसका उपयोग उसने युवाओं को हथियार चलाने का ट्रेनिंग देने में किया। इस तरह धीरे-धीरे अपने संगठन का विस्तार शुरू किया।
जयनाथ साहू ने दिया साथ, फिर बना जयनाथ का ही दुश्मन
जेएलटी को सम्राट गैंग के सुप्रीमो जयनाथ साहू का साथ मिल गया। जयनाथ साहू ने ही दिनेश गोप को आर्म्स उपलब्ध कराया। जयनाथ साहू को बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल का सिपाही राधे आर्म्स सप्लाई करता था। राधे बिहार के औरंगाबाद का रहने वाला था। राधे को पटना का एक गुरुजी नामक आर्म्स सप्लायर आर्म्स देता था, जिसे वह जयनाथ साहू तक पहुंचाता था। जयनाथ साहू से दिनेश गोप को आर्म्स मिलता था। दिनेश गोप ने जयनाथ साहू से ही लेवी के अर्थतंत्र को समझा। बीड़ी पत्ता, कोयला, लकड़ी आदि की तस्करी से लेवी-रंगदारी में खूब रुपये आने लगे। इसके बाद दिनेश गोप की जयनाथ साहू से खटपट हो गई और दोनों एक-दूसरे के दुश्मन बन गये।

रंगदारी नहीं देने पर गोली चला देना, मर्डर कर देना था आम बात
दिनेश गोप के लिए रंगदारी-लेवी नहीं मिलने पर गोली चला देना, मर्डर कर देना आम बात था। पहले रंगदारी पर्चा के माध्यम से मांगा जाता था। वह व उसके गुर्गे बाइक से चिट्ठी-पर्चा संबंधित ठिकानों पर फेंकते थे। रंगदारी मांगते थे। रंगदारी नहीं मिलने पर गोली चलाने से लेकर मर्डर करना तक इनके लिए आम बात था। दिनेश गोप व्यवसायियों, ठेकेदारों, कोयला कारोबारियों, रेलवे ठेकेदारों, विकास योजनाओं से रंगदारी वसूलता था। एनआईए दिनेश गोप से जुड़े 14 बैंक अकाउंट्स व दो कार जब्त की थी।
एमसीसी के कैडरों को तोड़कर JLT से बनाया PLFI
वर्ष 2000 के दशक में भाकपा माओवादियों का आतंक चरम पर था। दूसरी ओर दिनेश गोप ने भी अपने JLT का विस्तार करना शुरू कर दिया था। उसका आतंक अब बनने लगा था। इसी बीच उसने माओवादियों के कैडरों को तोड़ना शुरू किया और उन्हें अपने संगठन से जोड़ लिया। 2004 के आसपास दिनेश गोप ने JLT का नाम बदलकर पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) रख लिया। धीरे-धीरे PLFI का विस्तार रांची, खूंटी, सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा, हजारीबाग, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसांवा सहित 17 जिलों तक कर लिया।

पकड़ा जा चुका है दिनेश गोप का रॉकेट लांचर, मिसाइल बनाने पर कर रहा था काम
दिनेश गोप के सबसे करीबी उसके दो साथी तिलकेश्वर गोप उर्फ राजेश व मार्टिन केरकेट्टा थे। तिलकेश्वर हाल ही में अरेस्ट हो चुका है। इसके बाद ही दिनेश गोप का कुनबा कमजोर पड़ने लगा था। पूर्व में एक एंबेस्डर कार से रॉकेट लांचर खूंटी पहुंचने से पहले ही रांची में जुमार पुल के पास से पकड़ा गया था। उस समय रांची के एसएसपी प्रवीण कुमार थे। उन्होंने सटीक सूचना पर रॉकेट लांचर पकड़ा था। छानबीन में पता चला था कि दिनेश गोप मिसाइल बनाने पर काम कर रहा था।
झारखंड में सुरक्षा बलों की दबिश बढ़ने पर दूसरे राज्यों जैसे ओडिशा, छत्तीसगढ़, बिहार, पंजाब तो जाता ही था, वह नेपाल व मारीशस भी जा चुका है।
लोगों में पकड़ मजबूत बनाने के लिए बनवाये मंदिर - स्कूल
दिनेश गोप को दो दशक तक पुलिस इसलिए नहीं खोज पाई थी, क्योंकि उसकी पकड़ गांव-गांव तक थी। उसने ग्रामीणों को जोड़ने के लिए मंदिरों का निर्माण करवाया। गांव में कई स्कूल का निर्माण करवाया। गरीबों की बेटियों की शादी तक करवाई। इससे उसने ग्रामीणों का विश्वास जीता था।
सेटेलाइट फोन का करता था इस्तेमाल
दिनेश गोप सेटेलाइट फोन का भी इस्तेमाल करता था, जिसे ट्रेस करना बेहद मुश्किल है। वह एक बार जिस सिमकार्ड से किसी से बात करता था, दोबारा उसका उपयोग नहीं करता था। यही वजह है कि वह पुलिस की पकड़ में नहीं आता था। उसके करीबियों की गिरफ्तारी के बाद ही उस तक सुरक्षा बलों के पहुंचने मदद मिली है।
सफेदपोश से लेकर पुलिस वाले दिनेश गोप के मददगार
दिनेश गोप सफेदपोश से भी मिलता था। उसका कई नेताओं से मिलना-जुलना था, जिसकी जानकारी जांच एजेंसियों को भी है। पुलिस वाले भी दिनेश गोप के मददगार थे। कुछ माह पूर्व ही रांची के रेंज डीआइजी अनूप बिरथरे ने खूंटी के सब इंस्पेक्टर मनोज कच्छप को डिसमिस किया है। मनोज कच्छप पर दिनेश गोप तक पुलिस के ऑपरेशन की सूचनाएं पहुंचाने का आरोप है। इस बार पुलिस ने गोपनीय तरीके से दिनेश गोप के विरुद्ध ऑपरेशन चलाया, जिसमें उसे अरेस्ट करने में सफलता मिली है।
दिनेश गोप पर दर्ज हैं 102 क्रिमिनल केस
उग्रवादी संगठन PLFI सरगना दिनेश गोप की गिरफ्तारी की एनआईए ने पुष्टि की है। एनआईए ने जारी बयान में बताया है कि दिनेश गोप खिलाफ 102 आपराधिक मामले दर्ज हैं। उसपर झारखंड पुलिस ने 25 लाख व एनआइए ने पांच लाख यानी कुल 30 लाख का इनाम रखा गया था। उसपर झारखंड पुलिस ने 25 लाख व एनआईए ने पांच लाख यानी कुल 30 लाख का इनाम रखा गया था। एनआईए के इन्विस्टीगेशन में यह स्पष्ट हो चुका है कि दिनेश गोप पर 102 क्रिमिनल केस दर्ज हैं। ये मामले झारखंड, बिहार व ओडिशा में हैं। इनमें अधिकतर मामले मर्डर, किडनैप, धमकी, लेवी व रंगदारी से संबंधित हैं। उग्रवादी संगठन पीएलएफआई 2007 में बना, जो सीपीआइ माओवादियों का स्प्लिंटर ग्रुप था। उस समय भाकपा माओवादियों का कुख्यात मासी चरण पूर्ति अपने सहयोगियों के साथ दिनेश गोप के साथ जुड़ा था। बाद में मासी चरण पूर्ति गिरफ्तार हुआ था। दिनेश गोप पिछले दो दशक से फरार था।
बेरोजगारों को उग्रवादी बनाता था दिनेश गोप
एनआईए के जांच में यह तथ्य सामने आया है कि दिनेश गोप बेरोजगारों को अपने संगठन से जोड़ता था। उन्हें आर्म्स, बाइक, मोबाइल देता था। स्टेट में बड़ी संख्या में इसके दस्ते ने मर्डर की है। इस संगठन के पास एके-47, विदेशी आर्म्स एचके-33 तक हैं।