Haryana: IPS वाई पूरन कुमार सुसाइड केस में बड़ा एक्शन,ओपी सिंह बने कार्यवाहक DGP, शत्रुजीत कपूर छुट्टी पर

हरियाणा के आईपीएस वाई पूरन कुमार आत्महत्या केस में राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए DGP शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया है। ओपी सिंह को कार्यवाहक DGP बनाया गया है। राहुल गांधी ने आज पीड़ित परिवार से मुलाकात की।

Haryana: IPS वाई पूरन कुमार सुसाइड केस में बड़ा एक्शन,ओपी सिंह बने कार्यवाहक DGP, शत्रुजीत कपूर छुट्टी पर
DGP ओपी सिंह-शत्रुजीत कपूर(फाइल फोटो)।

चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने सीनीयर आईपीएस अफसर वाई पूरन कुमार की आत्महत्या मामले में बड़ा एक्शन लिया है। राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) शत्रुजीत कपूर को लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया है, जबकि आईपीएस ओमप्रकाश सिंह (ओपी सिंह) को हरियाणा का कार्यवाहक DGP नियुक्त किया गया है।
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पूरन कुमार की आत्महत्या को आज आठ दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब भी उनके शव का पोस्टमार्टम नहीं हो सका है। इस बीच, सोमवार रात की इस कार्रवाई को विपक्ष के नेता राहुल गांधी के चंडीगढ़ आगमन से पहले का बड़ा राजनीतिक निर्णय माना जा रहा है।
एफआईआर में DGP समेत 13 अधिकारी नामजद
पूरन कुमार के घर से बरामद आठ पन्नों के सुसाइड नोट में 13 वरिष्ठ अधिकारियों के नाम शामिल हैं। इसमें DGP शत्रुजीत कपूर और तत्कालीन रोहतक एसपी नरेंद्र बिजरानिया के नाम प्रमुख हैं। इन दोनों पर वाई पूरन कुमार ने उत्पीड़न और करियर बर्बाद करने का आरोप लगाया था।सरकार ने अब इन सभी 13 अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर ली है, जबकि बिजरानिया का पहले ही तबादला कर दिया गया था।
आईएएस अमनीत पी कुमार की मांगें
पूरन कुमार की पत्नी आईएएस अमनीत पी कुमार ने पति की आत्महत्या के बाद डीजीपी, एसपी और अन्य अधिकारियों पर उकसावे और उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए एफआईआर और गिरफ्तारी की मांग की थी। उन्होंने साफ कहा था कि जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार नहीं किया जायेगा। सरकार के इस फैसले के बाद माना जा रहा है कि अब परिवार की कुछ मांगें पूरी हुई हैं।
पोस्टमार्टम को लेकर तनाव बरकरार
पूरन कुमार की आत्महत्या को सात दिन बीत जाने के बावजूद पोस्टमार्टम नहीं हुआ है। पुलिस ने परिवार को दो बार पत्र भेजकर चेताया कि यदि जल्द पोस्टमार्टम नहीं हुआ तो साक्ष्य नष्ट हो सकते हैं। परिवार ने हालांकि पुलिस को जवाब में कहा कि उन्हें थोड़ा और समय चाहिए।
पूरा मामला क्या है
आईपीएस वाई पूरन कुमार (2001 बैच) रोहतक पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में IG के पद पर तैनात थे।
उन्होंने 7 अक्टूबर को अपने घर के साउंडप्रूफ बेसमेंट में सर्विस रिवॉल्वर से आत्महत्या कर ली।
जांच में पुलिस को आठ पन्नों का सुसाइड नोट मिला, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाये गये थे।
इस घटना ने हरियाणा पुलिस और प्रशासन को झकझोर दिया है।
सरकार की कार्रवाई का राजनीतिक संकेत
विश्लेषकों का मानना है कि DGP को छुट्टी पर भेजने और ओपी सिंह को कार्यवाहक DGP नियुक्त करने का निर्णय केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक दबाव में लिया गया फैसला है। राहुल गांधी की चंडीगढ़ यात्रा से ठीक पहले यह कदम उठाना इस मामले के राजनीतिक महत्व को स्पष्ट करता है।
कौन हैं हरियाणा के कार्यवाहक DGP ओपी सिंह?
हरियाणा के आईपीएस वाई पूरन कुमार आत्महत्या प्रकरण में शत्रुजीत कपूर के स्थान पर कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक बनाये गये ओपी सिंह नशे के विरुद्ध चलाई गई मुहिम के लिए जाने जाते हैं। युवाओं को नशे की लत छुड़वाकर उन्हें खेल के मैदान तथा राहगीरी तक पहुंचाने परिकल्पना ओपी सिंह की है।हरियाणा सरकार पूरे राज्य में राहगीरी को अब एक आयोजन के रूप में अपनाती है, जिसमें लोग सुबह के समय एक साथ इकट्ठा होते हैं, मिलते-जुलते हैं, खेलते हैं, गाते हैं और सामाजिक कार्यों के प्रति जागरूक होते हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तक राहगीरी और नशे के विरुद्ध आयोजित की जाने वाली साइक्लोथान में शामिल होते हैं।
1992 बैच के आईपीएस अधिकारी ओपी सिंह इसी साल 31 दिसंबर को रिटायर होने वाले हैं।Dपनी रिटायरमेंट से पहले उन्हें पुलिस महानिदेशक के पद पर काम करने का अवसर मिल गया है। मूलरूप से बिहार के जमुई जिले के नमून गांव के रहने वाले ओपी सिंह साहित्यिक प्रवृत्ति के अधिकारी हैं और अभी तक पांच पुस्तकें लिख चुके हैं। ओपी सिंह तत्कालीन सीएम मनोहर लाल के विशेष सलाहकार के तौर पर भी काम कर चुके हैं।
ओपी सिंह दिवंगत फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के जीजा हैं। सुशांत राजपूत ने अपनी माता के निधन के बाद ओपी सिंह के यहां रह कर ही पढ़ाई-लिखाई की थी। सुशांत राजपूत डेथ मिस्ट्री देश भर में सुर्खियों में रही थी। ओपी सिंह ने उन्हें न्याय दिलाने की लड़ाई भी लड़ी। सुशांत राजपूत के चचेरे भाई नीरज कुमार सिंह बबलू बिहार के छातापुर विधानसभा से विधायक एवं नीतीश कुमार की सरकार में पर्यावरण व वन मंत्री हैं।ओपी सिंह की रिटायरमेंट नजदीक होने के चलते 1993 बैच के आइपीएस अधिकारी आलोक मित्तल का नाम पुलिस महानिदेशक के पद के लिए चला, लेकिन अतिरिक्त कार्यभार देते हुए प्रदेश सरकार ने ओपी सिंह की वरिष्ठता का ध्यान रखा है। आलोक मित्तल फिलहाल एंटी करप्शन ब्यूरो के महानिदेशक के रूप में कार्य कर रहे हैं।
शत्रुजीत कपूर की रिटायरमेंट 31 दिसंबर 2026 को
हरियाणा के राज्यपाल की स्वीकृति के बाद गृहसचिव डा. सुमिता मिश्रा ने मंगलवार सुबह ओपी सिंह को डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपे जाने के आदेश जारी किए हैं। 1990 बैच के आईपीएस शत्रुजीत कपूर 31 अक्टूबर 2026 को सेवानिवृत्त होंगे। ओपी सिंह इस समय हरियाणा पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के एमडी, एफएसएल मधुबन के निदेशक और हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के प्रमुख के पद पर तैनात हैं।
शत्रुजीत कपूर के केंद्र में जाने की चली थी चर्चा
एक जनवरी 1966 को जन्मे ओपी सिंह अंबाला-पंचकूला के पुलिस आयुक्त और फरीदाबाद, हिसार व रेवाड़ी रेंज में आईजी रह चुके हैं। उन्हें वर्ष 2008 में पुलिस मेडल मिला और 2017 में प्रेसिडेंट पुलिस मेडल मिला। अगस्त 2023 में जब 1990 बैच के आईपीएस शत्रुजीत कपूर को डीजीपी बनाया गया था, उस वक्त मनोहर सरकार ने दो अफसरों की सिनियोरिटी को नजर अंदाज किया था। तब 1989 बैच के आइपीएस मोहम्मद अकील और डा. आरसी मिश्रा भी पुलिस महानिदेशक बनने की कतार में थे। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल होना चाहिए। ऐसे में शत्रुजीत कपूर का दो साल का कार्यकाल अगस्त 2025 में पूरा हो गया था। तब चर्चा चली थी कि कपूर केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं।
नियमित डीजीपी के लिए अजय सिंघल, आलोक मित्तल और अरशिंदर चावला के नाम हरियाणा सरकार ने फिलहाल ओपी सिंह को कार्यकारी डीजीपी बनाया है। ऐसे में अभी नियमित डीजीपी लगाने की कवायद बाकी है। ओपी सिंह की तरह 1992 बैच के आइपीएस अजय सिंघल डीजी रैंक पर हैं। मूलरूप से रेवाड़ी के रहने वाले हैं। इन दिनों डीजी ह्यूमन राइट्स एंड लिटिगेशन के पद पर कार्यरत हैं। उनकी 31 अक्टूबर 2028 में रिटायरमेंट है। ओपी सिंह की तरह सिंघल को भी 2008 में पुलिस मेडल और 2017 में राष्ट्रपति पुलिस मेडल मिला।
सीनियोरिटी की लिस्ट में अगला नंबर 1993 बैच के आइपीएस आलोक मित्तल का है, जो मूलरूप से इलाहाबाद के हैं और उनकी रिटायरमेंट 30 जून 2029 को है। वे अभी एडीजीपी रैंक के हैं। उनकी डीजी रैंक में पदोन्नति की प्रक्रिया चल रही है। उन्हें 2009 में पुलिस मेडल और 2016 में राष्ट्रपति पुलिस मेडल मिला। डा. अरशिंदर सिंह चावला 993 बैच के आइपीएस हैं। मूलरूप से अंबाला के रहने वाले हैं। उनकी रिटायरमेंट 30 सितंबर 2027 को है। अभी वे मधुबन पुलिस अकादमी के डायरेक्टर हैं।