धनबाद: भोजपुरी गायक भरत शर्मा व्यास को आयकर धोखाधड़ी में दो साल की सजा
धनबाद की सीबीआई विशेष अदालत ने भोजपुरी लोकगायक भरत शर्मा व्यास को आयकर रिटर्न धोखाधड़ी मामले में 2 साल की सजा सुनाई। दो अन्य आरोपी भी दोषी, 30 दिन की प्रोविजनल बेल देकर ऊपरी अदालत में अपील की मोहलत।
- CBI कोर्ट से मिली 30 दिनों की प्रोविजनल बेल
धनबाद। भोजपुरी संगीत जगत के चर्चित लोकगायक भरत शर्मा व्यास की मुश्किलें मंगलवार को बढ़ गईं, जब धनबाद स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें आयकर रिटर्न में फर्जीवाड़े के एक पुराने मामले में दो वर्ष की सजा और पाँच हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई। इस मामले में अदालत ने दो अन्य आरोपियों—सत्यवान सिंह और नम्रता राय—को भी समान सजा दी है।
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2004 का मामला, फर्जी कागजात से लिया गया था रिफंड
सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा की ओर से वर्ष 2004 में दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि तीनों अभियुक्तों ने फर्जी दस्तावेज़ों का उपयोग करते हुए आयकर विभाग से 7,82,529 रुपये का रिफंड प्राप्त किया था।लंबी जांच और सुनवाई के बाद विशेष सीबीआई न्यायिक दंडाधिकारी अभिजीत कुमार पांडे ने मंगलवार को तीनों को दोषी करार दिया और सजा का ऐलान किया।
फैसला सुनते समय अदालत में मौजूद थे भरत शर्मा व्यास
निर्णय सुनाए जाने के समय लोकगायक भरत शर्मा व्यास अदालत में मौजूद रहे। सजा सुनाने के बाद अदालत ने तीनों अभियुक्तों को 30 दिनों की प्रोविजनल जमानत प्रदान की है, ताकि वे ऊपरी अदालत में अपील दायर कर सकें।इस राहत से अभियुक्तों को जल्द गिरफ्तारी से सुरक्षा मिल गई है, लेकिन उन्हें माह भर के भीतर हाईकोर्ट या अन्य उचित अदालत का रुख करना होगा।
कौन हैं भरत शर्मा व्यास? भोजपुरी लोकगायकी का जाना-पहचाना चेहरा
भरत शर्मा व्यास भोजपुरी संगीत के लोकप्रिय और स्थापित नाम हैं।
वे लोकगीत, निर्गुण, विरहा और भक्ति संगीत के लिए खास पहचान रखते हैं।
उनकी कई एल्बम बिहार, झारखंड और पूर्वांचल में आज भी व्यापक लोकप्रियता रखती हैं।
सामाजिक व सांस्कृतिक आयोजनों में उनकी सक्रिय भूमिका ने उन्हें एक प्रमुख लोकगायक के रूप में स्थापित किया है।
इसी लोकप्रियता के कारण उनके खिलाफ इस सजा ने एक बार फिर पूरे भोजपुरी संगीत जगत में हलचल पैदा कर दी है।
अगला कदम—ऊपरी अदालत में अपील
अदालत के फैसले के बाद मामला अब कानूनी प्रक्रिया के अगले चरण में प्रवेश कर चुका है।अभियुक्तों को उम्मीद है कि हाईकोर्ट में उन्हें राहत मिल सकती है, वहीं सीबीआई इस फैसले को अपनी बड़ी उपलब्धि के रूप में देख रही है।






