धनबाद : जज उत्तम आनंद मर्डर मामला, CBI कोर्ट ने खारिज की आरोपित राहुल वर्मा की बेल पिटीशन  

धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश-8 उत्तम आनंद मर्डर मामले में धनबाद सीबीआइ की स्पेशल कोर्ट ने एक आरोपित राहुल कुमार वर्मा की ओर से दाखिल की गयी बेल पिटीशन को खारिज कर दिया। कोर्ट बेल देने से इनकार कर दिया। घटना के बाद से ही ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा व उसका सहयोगी राहुल वर्मा इस मामले में जेल में बंद है।

धनबाद : जज उत्तम आनंद मर्डर मामला, CBI कोर्ट ने खारिज की आरोपित राहुल वर्मा की बेल पिटीशन   

धनबाद। जिला एवं सत्र न्यायाधीश-8 उत्तम आनंद मर्डर मामले में धनबाद सीबीआइ की स्पेशल कोर्ट ने एक आरोपित राहुल कुमार वर्मा की ओर से दाखिल की गयी बेल पिटीशन को खारिज कर दिया। कोर्ट बेल देने से इनकार कर दिया। घटना के बाद से ही ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा व उसका सहयोगी राहुल वर्मा इस मामले में जेल में बंद है।

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ऑटो ड्राइवर में लखन वर्मा की ओर से कोर्ट में अभी बेल पिटीशन दाखिल नहीं की गई है। बचाव की पक्ष की ओर से एडवोकेट कुमार विमलेंदु ने अपना पक्ष रखा। सीबीआई की चार्जशीट में कई खामियां गिनवाईं। कोर्ट ने गंभीर प्रकृति के अपराध होने का मामला बताते हुए बेल पिटीशन खारिज कर दिया।

सीटी स्कैन कराने से पहले जज की हो गयी थी मौत

सीबीआई के स्पेशल जज रजनीकांत पाठक की कोर्ट में जिला एवं सत्र न्यायाधीश-8 उत्तम आनंद की मौत मामले में डॉक्टर्स की गवाही हुई। दिल्ली सीबीआई क्राइम ब्रांच की टीम ने एसएनएमएमसीएच के तीन डॉक्टरों को बतौर गवाह कोर्ट में पेश किया था।इस मामले में ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और सहयोगी राहुल वर्मा के खिलाफ हत्या और साक्ष्य छिपाने की धारा में ट्रायल शुरू हुआ है। सीबीआई के स्पेशल पीपी अमित जिंदल ने कोर्ट में तीन में से दो डॉक्टरों की गवाही कराई। जबकि पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर कुमार शुभेंदु की गवाही मंगलवार पर टाल दी गई। सीबीआई ने जज की मौत मामले में 13 गवाहों को समन भेज कर गवाही के लिए बुलाया है। इस मामले में सोमवार को पहली गवाही हुई। उत्तम आनंद का इलाज करने वाले डॉ विवेक भास्कर और डॉ कुमारी ज्योति ने बताया कि 28 जुलाई 2021 को सुबह साढ़े पांच बजे जख्मी हालत में पेसेंट को हॉस्पिटल में लाया गया था। उनकी स्थिति काफी गंभीर थी। सिर पर गंभीर चोट के निशान थे। उनका सीटी स्कैन कराने को कहा गया था, परंतु वह नहीं हो पाया। सुबह लगभग नौ बजे उनकी मौत हो गई।

डॉक्टरों को नहीं पता था कि घायल पेसेंट जज हैं

ज्योति ने बताया कि पहले उन लोगों को पता नहीं था कि जख्मी व्यक्ति जज हैं। उनकी मौत के बाद यह जानकारी सबको मिली। उन्होंने बताया कि पहले डॉ. सुधांशु ने उनका इलाज किया। विवेक भास्कर की अगुवाई में ही डॉक्टरों की टीम ने उत्तम आनंद की बॉडी का पोस्टमार्टम किया था। एसडीओ सुरेंद्र कुमार की देखरेख में हुए पोस्टमार्टम में मेडिकल टीम से सर्जरी विभाग के डॉ राजेश कुमार सिंह, डॉ अरुण कुमार वर्मा मेडिसिन, डॉ राजेश कुमार कुशवाहा और डॉ देवेंद्र बोस भी शामिल थे।

दोनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302,201 और 34 के तहत चार्ज फ्रेम
उल्लेखनीय हैकि  इससे पहले CBI कोर्ट ने दोनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302,201 और 34 के तहत चार्ज फ्रेम किया है।सीबीआई की स्पेशल कोर्ट से इस मामले के आरोप पत्र के 13 गवाहों समन जारी किया गया है। यह सभी गवाह फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के डॉक्टर या अफसर हैं। सीबीआई की ओर से समन किये गये गवाह धनबाद के साथ रांची, हजारीबाग, मुंबई तथा गुजरात के हैं। गवाहों में एफएसएल रांची के असिस्टेंट डायरेक्टर एनके सिन्हा, एफएमटी रांची के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ कुमार शुभेंदु, धनबाद के डॉ कुमार ज्योति, हजारीबाग के डॉ विवेक भाष्कर, डॉ अभिषेक कुमार, डॉ सुधांशु मिश्रा, डॉ विपिन कुमार, अजय कुमार, शीला होंडा, पवन कुमार पांडेय, कृति सिन्हा, डॉ हरीश पाठक तथा एचवी आचार्य के नाम शामिल हैं। कोर्ट ने सात मार्च से 10 मार्च तक समन जारी किये गये गवाहों की गवाही कराने का निर्देश दिया है। 

फ्लैश बैक
जज उत्तम आनंद वर्ष 2021 की 28 जुलाई  से सुबह लगभग पांच बजे मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। रणधीर वर्मा चौक के समीप ऑटो ने जज को धक्का मार दिया। वह बेहोश होकर गिर गये। घायल जज को SNMMCH ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जज के घर वापस नहीं आने पर पत्नी कीर्ति सिन्हा ने रजिस्ट्रार को फोन कर इसकी सूचना दी। रजिस्ट्रार ने मामले की सूचना एसएसपी धनबाद को दी, इसके बाद पुलिस महकमा जज को ढूंढने में लग गया था। इसके बाद उनके एक्सीडेंट होने का पता। पहले इसे सामान्य सड़क हादसा माना गया लेकिन सीसीटीवी फुटेज में एक ऑटो को जानबूझकर धक्का मारते दिखने पर सनसनी फैल गई। मामले में जज की पत्नी कृति सिन्हा की कंपलेन पर धनबाद पुलिस स्टेशन में केस नंबर 300/21 दर्ज की गयी थी। मामले में जज की वाइफ के कंपेलन पर धनबाद पुलिस स्टेशन ऑटो ड्राइवर के खिलाफ मर्डर की एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने गिरिडीह से ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथ बैठे राहुल वर्मा को अरेस्ट कर लिया। 
सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया
मामले में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया। मामले में झारखंड गवर्नमेंट ने एडीजी (ऑपरेशन) संजय आनंद लाठकर के नेतृत्व में एसआईटी गठित की। एसआईटी को अब तक की जांच में सुनियोजित मर्डर से जुड़ा कोई एवीडेंस नहीं मिला था। पुलिस मामले में ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा व उसके सहयोगी राहुल वर्मा को अरेस्ट कर जेल भेजा गया। जज को धक्का मारने वाला ऑ़टो भी बरामद कर लिया गया है। झारखंड सरकार ने 30 जुलाई को मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी। इसी आधार पर सीबीआई बीते चार अगस्त ने मामले में एफआइआर दर्ज कर जिला पुलिस की केस को टेकओवर कर लिया था। अब सीबीआई दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच-1 इस मामले की जांच कर रही है। मामले में सीबीआई ने 20 अक्टूबर को चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई ने आईपीसी की धारा 302, 201 और 34 के तहत चार्जशीट दाखिल की थी।
आरोपियों की हो चुकी है नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग
सीबीआई ने ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथी राहुल वर्मा को रिमांड पर लेकर पूछताछ की है। छह अगस्त के कोर्ट के आदेश के बाद सात अगस्त को सीबीआई दोनो आरोपितों को रिमांड पर ले गई थी। दोनों की साइ डिटेक्टर समेत अन्य जांच करायी जा चुकी है। 11 अगस्त को दोनों को वापस जेल भेज दिया गया था। सीबीआई की स्पेशल सेल ने नौ अगस्त को कोर्ट से दोनों आरोपीयों से सच्चाई पता करने के लिए नार्को टेस्ट,ब्रेन मैपिंग टेस्ट सहित चार अन्य टेस्ट कराने की अनुमति ली थी। नौ एवं 10 अगस्त को सिंफर के गेस्ट हाऊस सत्कार में राहुल और लखन का लाई डिटेक्टर टेस्ट ,ब्रेन इलेक्ट्रिकल आक्सीलेशन व अन्य टेस्ट किया गया था। टेस्ट में मिली जानकारी के बाद सीबीआई की टीम फॉरेंसिक एक्सपर्ट के साथ घटनास्थल पर आई थी।सीबीआई धनबाद रेलवे स्टेशन से घटनास्थल तक पहुंचने के तमाम रास्तों में लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला था। परंतु अब तक सीबीआई मामले की गुत्थी नहीं सुलझा सकी है। सीबीआइ घटनास्थाल पर तीन बार क्राइम सीन रिक्रियेट की है। सीबीआई दोनों आरोपियों की अहमदाबाद में नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग करायी है।दोनों की फिस से ब्रैन मैपिंग व अन्य जांच करायी जा रही है। 
जज को जानबूझकर धक्का मारा लेकिन साजिश का नहीं चला पता
सीबीआइ अभी तक सीबीआई टक्कर मारने के पीछे की मंशा नहीं भांप पाई है। लखन और राहुल सीबीआई से भी बार-बार यही कह रहे हैं कि नशे में धुत्त रहने के कारण ऑटो रोड किनारे दौड़ रहे व्यक्ति की तरफ मुड़ गया, जिससे उन्हें टक्कर लग गई। हालांकि सीबीआई दोनों के बयान को अंतिम सत्य नहीं मान रहे हैं। सीबीआइ परिस्थितिजन्य और वैज्ञानिक साक्ष्यों से टीम घटना के तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। दोनों के मोबाइल सीडीआर, घटनास्थल से मिले कॉल डंप, फोरेंसिक जांच के परिणाम के अलावा चिह्नित लोगों से लगातार हो रही पूछताछ के जरिए मामले में नये एंगल की तलाश हो रही है। दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की कर चुकी है। हाईकोर्ट सीबीआई जांच की मोनेटरिंग कर रही है। प्रत्येक सप्ताह सीबीआइ जांच की प्रगति रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करती है। सीबीआइ की अब तक की जांच से हाई कोर्ट असंतुष्ट है। सीबीआई की ओर से हाई कोर्ट में बतायी गयी है कि जज को जानबूझकर धक्का मारा गया था। हालांकि इसके पीछे साजिश का अभी तक पता नहीं चल सका है। सीबीआइ अभी तक की जांच में स्पष्ट नहीं कर पायी है कि जज की मर्डर क्यों की गयी और इस षड्यंत्र के पीछे कौन लोग हैं।