बिहार: दानापुर-बिहटा एलिवेटेड कारिडोर के भू-अर्जन के लिए 456 करोड़ मंजूर, नीतीश कैबिनेट की बैठक में 10 प्रोपोजल की मंजूरी

बिहार कैबिनेट ने दानापुर-बिहटा एलिवेटेड कारिडोर के भू-अर्जन के लिए 456 करोड़ मंजूर की है। दानापुर बिहटा एलिवेटेड कारिडोर के निर्माण के लिए 108.98 एकड़ जमीन का सरकार अधिग्रहण करेगी।अब कार्यकाल खत्म होने के बाद भी मुखिया, सरपंच, प्रमुख और जिप अध्यक्ष की भूमिका बनी रहेगी।

बिहार: दानापुर-बिहटा एलिवेटेड कारिडोर के भू-अर्जन के लिए 456 करोड़ मंजूर, नीतीश कैबिनेट की बैठक में 10 प्रोपोजल की मंजूरी
  • अब कार्यकाल खत्म होने के बाद भी मुखिया, सरपंच, प्रमुख और जिप अध्यक्ष की भूमिका बनी रहेगी
  • वेतन-भत्ता भी पहले की तरह ही मिलता रहेगा

पटना। बिहार कैबिनेट ने दानापुर-बिहटा एलिवेटेड कारिडोर के भू-अर्जन के लिए 456 करोड़ मंजूर की है। दानापुर बिहटा एलिवेटेड कारिडोर के निर्माण के लिए 108.98 एकड़ जमीन का सरकार अधिग्रहण करेगी।अब कार्यकाल खत्म होने के बाद भी मुखिया, सरपंच, प्रमुख और जिप अध्यक्ष की भूमिका बनी रहेगी। सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई बिहार कैबिनेट की बैठक में 10 प्रोपोजल को मंजूरी दी गयी है। 
दानापुर-बिहटा एलिवेटेड कारिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण का मुआवजा देने व अन्य कार्यों के लिए सरकार ने 456.05 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं। अधिग्रहित जमीन में से एक एकड़ जमीन रेलवे से होने वाले करार में समाहित करने की मंजूरी भी कैबिनेट ने दी।गृह विभाग के प्रस्ताव पर विमर्श के बाद मंत्रिमंडल ने पुलिस मुख्यालय के दंगा निरोधी वाहनियों को विकसित करने के लिए विभिन्न प्रकार के वाहनों की खरीद का प्रस्ताव मंजूर किया है। पुलिस मुख्यालय दंगों पर नियंत्रण के लिए विभिन्न प्रकार के वाहन खरीद खुद को और विकसित और मजबूत कर सके इसके लिए मंत्रिमंडल ने 34.41 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं।

प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास व मनरेगा के लिए 11.83 अरब

कैबिनेट ने ग्रामीण विकास विभाग के प्रस्ताव पर विमर्श के बाद वर्ष 2021-22 में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम के लिए 11.73 अरब रुपये मंजूर किए हैं। इसमें राज्यांश से 6.40 अरब और केंद्रांश मद से 5.33 अरब यानी कुल 11.73 अरब रुपये दिए हैं। यह राशि आकस्मिकता निधि से अग्रिम के रूप में स्वीकृत की गई है।

कोरोना से मृत व्यक्ति के आश्रितों को मुआवजा देने को 300 करोड़

आपदा प्रबंधन विभाग के प्रस्ताव के बाद कोविड-19 के संक्रमण से मृत होने वाले व्यक्ति के आश्रितों को चार लाख रुपये का मुआवजा देने की सरकार की घोषणा है। इस घोषणा के मुताबिक आश्रितों को समय पर राशि मुहैया कराने के लिए कैबिनेट ने 2021-22 में 300 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। यह राशि बिहार आकस्मिकता निधि से अग्रिम के रूप में ली जाएगी। बता दें कि बिहार में विगत डेढ़ वर्ष के दौरान कोरोना संक्रमण से 5450 लोगों की मौत हो चुकी है।

डाल्फिन अनुसंधान केंद्र के लिए नियमों में छूट

स्टेट में डाल्फिन के संरक्षण और उनपर अनुसंधान के लिए गंगा नदी के तट पर अवस्थित ला-कालेज घाट पर राष्ट्रीय डाल्फिन अनुसंधान केंद्र बनाने का प्रस्ताव पूर्व में स्वीकृत किया गया था। यह संस्थान बन सके इसके लिए कैबिनेट ने बिहार बिल्डिग बाइलाज 2014 के नियम 22 (1) के उपनियम 88 के तहत कुछ नियमों को शिथिल करने की अनुमति दी।बिहार जिला आयुष चिकित्सा व राज्य आयुष चिकित्सा सेवा नियमित अनुबंध के आधार पर नियुक्ति एवं सेवा शर्त नियमावली 2021 में संशोधन का प्रस्ताव भी मंजूर किया है। सप्तदश बिहार विधानसभा के द्वितीय सत्र और विधान परिषद के 197वें सत्र के सत्रावसान का प्रस्ताव भी मंत्रिमंडल ने स्वीकृत किया है।बिहार ग्राम कचहरी सचिव नियोजन, सेवा शर्त एवं कर्तव्य नियमावली 2014 के नियम-9 एवं बिहार ग्राम कचहरी न्यायमित्र नियोजन, सेवा शर्त एवं कर्तव्य नियमावली 2007 के नियम -9 में संशोधन का प्रस्ताव भी स्वीकृत किया है। नियमों में संशोधन के बाद ग्राम कचहरी सचिव और न्याय मित्रों को अपने मानदेय के लिए किसी कार्यालय में नहीं जाना होगा। अब इनका मानदेय आरटीजीएस के माध्यम से सीधे उनके बैंक खाता में भेज दिया जायेगा।
मौजूदा जनप्रतिनिधि ही योजनाओं को गति देंगे
अब कार्यकाल खत्म होने के बाद भी ये जनप्रतिनिधि ही पंचायतों में योजनाओं को अमलीजामा पहनायेंगे। स्टेट में त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल इसी महीने 15 जून को खत्म हो रहा है। अब कार्यकाल खत्म होने के बाद भी इन जनप्रतिनिधियों की भूमिका बनी रहेगी।उन्हें वेतन-भत्ता भी पहले की तरह ही मिलता रहेगा।कोरोना महामारी के कारण इस बार पंचायत चुनाव समय पर नहीं हो सके हैं। ऐसी स्थिति में पंचायतों का काम सुचारू रूप से चलाने के लिए परामर्शी समिति बनाने का निर्णय लिया गया है। परामर्शी समिति के अध्यक्ष मौजूदा मुखिया, सरपंच, प्रखंड प्रमुख, और जिला परिषद अध्यक्ष ही होंगे। इस तरह से पंचायतों में योजनाओं को गति देने का रिमोट कंट्रोल कार्यकाल पूरा होने के बाद भी मौजूदा जनप्रतिनिधियों के हाथ में ही रहेगा।

परामर्शी समिति के सदस्य होंगे
सभी वार्ड सदस्य, सभी पंच, सभी पंचायत समिति सदस्य एवं सभी जिला परिषद सदस्य परामर्शी समिति के सदस्य नियुक्त किए गए हैं। इनके अलावा क्षेत्रीय सांसद और विधायक भी परामर्श समिति के सदस्य होंगे। कैबिनेट की की बैठक त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं एवं ग्राम कचरियों के लिए परामर्शी समिति के गठन का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया।

परामर्शी समिति कार्य संचालन नियमावली को मंजूरी

कैबिनेट की बैठक में पंचायती राज अधिनियम-2006 को संशोधित कर तय समय पर चुनाव नहीं होने की स्थिति में परामर्शी समिति कार्य संचालन नियमावली को मंजूरी दी गई। सरकार के इस निर्णय के बाद मौजूदा पंचायती राज संस्थाओं और ग्राम कचहरियां 15 जून के बाद भंग हो जाएगी, लेकिन चुने हुए जनप्रतिनिधियों की हनक कायम रहेगी।
16 जून से सभी प्रतिनिधि बतौर परामर्शी करने लगेंगे काम
ग्राम पंचायतों में मुखिया, ग्राम कचहरियों में सरपंच, पंचायत समिति में प्रमुख और जिला परिषद में अध्यक्ष का रुतबा बना रहेगा। इसी तरह वार्ड सदस्य, पंच, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्यों को परामर्शी समिति का सदस्य बनाया गया है। उन्होंने बताया कि 16 जून से सभी प्रतिनिधि बतौर परामर्शी समिति अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य के रूप में काम करेंगे। पंचायती राज विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।

किस समिति की कौन करेंगे अध्यक्षता

मुखिया संबंधित ग्राम पंचायत की परामर्शी समिति के अध्यक्ष कहलाएंगे। उप- मुखिया उपाध्याय और ग्राम के वार्ड सदस्य, सदस्य रहेंगे।
सरपंच संबंधित ग्राम कचहरी की परामर्शी समिति के अध्यक्ष कहलाएंगे।  उप-सरपंच उपाध्यक्ष और पंच सदस्य कहलायेंगे।
पंचायत समिति प्रमुख, संबंधित पंचायत समिति की परामर्शी समिति के अध्यक्ष कहलाएंगे। उप-प्रमुख उपाध्यक्ष और पंचायत समिति सदस्य, सदस्य कहलायेंगे।इसके अलावा पंचायत समिति के सभी कार्यक्षेत्र के विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा एवं राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य भी समिति के सदस्य होंगे। समिति के कार्यक्षेत्र के सभी ग्राम पंचायतों के परामर्शी के अध्यक्ष भी इसके सदस्य होंगे।
मिलता रहेगा वेतन-भत्ता

जिला परिषद अध्यक्ष, संबंधित जिला परिषद के परामर्शी समिति के अध्यक्ष कहलायेंगे। जिला परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और जिला परिषद का सदस्य, सदस्य कहलाएंगे। वहीं, जिला परिषद के कार्यक्षेत्र के विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा एवं राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य भी परामर्शी समिति के सदस्य होंगे। जिला परिषद के कार्यक्षेत्र के सभी पंचायत समिति के परामर्शी समिति के अध्यक्ष भी इसके सदस्य होंगे। परामर्शी समिति में कार्यपालक पदाधिकारी की भूमिका प्रखंड विकास पदाधिकारी और उप विकास आयुक्त की होगी। बकौल सम्राट चौधरी, निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को वर्तमान की तरह वेतन एवं भत्ता भी मिलता रहेगा। यह व्यवस्था आगामी चुनाव के बाद त्रिस्तरीय पंचायत के गठन तक जारी रहेगी।