अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति बने बाइडेन, कमला हैरिस बनीं पहली महिला उपराष्ट्रपति

जो बाइडेन ने बुधवार को अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति पद की शपथ ली। कमला हैरिस ने पहली महिला उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने 12 बजते ही (लोकल टाइम के अनुसार) कैपिटल के वेस्ट फ्रंट में बाइडेन को पद की शपथ दिलाई।

अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति बने बाइडेन, कमला हैरिस बनीं पहली महिला उपराष्ट्रपति


वॉशिंगटन।जो बाइडेन ने बुधवार को अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति पद की शपथ ली। कमला हैरिस ने पहली महिला उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने 12 बजते ही (लोकल टाइम के अनुसार) कैपिटल के वेस्ट फ्रंट में बाइडेन को पद की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण का यह पारंपरिक स्थान में नेशनल गार्ड्स के 25 हजार से अधिक जवान सुरक्षा में तैनात रहे। निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समर्थकों के हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए इस स्थान को किले में तब्दील कर दिया गया था।

बाइडेन के पास लगभग पांच दशक का राजनीतिक अनुभव

बाइडेन (78) अपने फैमिली की 127 वर्ष पुरानी बाइबिल के साथ शपथ ली। इस दौरान उनकी पत्नी जिल बाइडेन अपने हाथों में बाइबिल लिए खड़ी रहीं। हैरिस (56) पहली महिला, पहली अश्वेत और पहली साउथ एशियाई अमेरिकी उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है।  उन्हें सुप्रीम कोर्ट की पहली लैटिन सदस्य जस्टिस सोनिया सोटोमेयर पद की शपथ दिलाई। सोटोमेयर ने बाइडेन को 2013 में उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई थी। उन्होंने दो बाइबिल को लेकर शपथ ली जिसमें एक निकट पारिवारिक मित्र रेगिना शेल्टन की थी। दूसरी देश के पहले अफ्रीका मूल के अमेरिकी सुप्रीट कोर्ट के जस्टिस थुरगूड मार्शल की। जनता के नेता, सुधारक और दूसरों का दर्द समझने वाले व्यक्ति के रूप में प्रसिद्ध जो बाइडेन किसी जमाने में देश के सबसे युवा सीनेटरों में से एक थे। आज अपने लंबे अनुभव के साथ अमेरिकी इतिहास के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति बनने तक का उनका सफर बेहद दिलचस्प रहा है। उनके पास लगभग पांच दशक का राजनीतिक अनुभव है। 
छह बार सीनेटर रहे हैं डेमोक्रेटिक लीडर बाइडेन
छह बार सीनेटर रहे डेमोक्रेटिक लीडर बाइडेन ने 78 वर्ष की उम्र में राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप को पराजित कर दिया। इससे पहले वह 1988 और 2008 में राष्ट्रपति पद की दौड़ में दो बार असफल भी रह चुके हैं। डेलावेयर से संबंध रखने वाले सीनीयर लीडर बाइडेन का बचपन से ही राष्ट्रपति बनने का सपना था। लेकिन तीसरे प्रयास में उनका सपना तब पूरा होता दिखा जब उन्होंने पिछले साल 29 फरवरी को साउथ कैरोलाइना से डेमोक्रेटिक पार्टी के प्राइमरी में जीत दर्ज कर कई दिग्गजों को पीछे छोड़ दिया। अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में उनकी सबसे नाटकीय वापसी हुई।

बाइडेन व्हाइट हाउस में दो बार पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के अधीन रह चुके हैं उपराष्ट्रपति 

वॉशिंगटन में पांच दशक गुजार चुके बाइडेन व्हाइट हाउस में दो बार पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के अधीन उपराष्ट्रपति रह चुके हैं। उन्होंने इस बार खुद को अमेरिका की जनता के सामने ट्रंप के विकल्प के रूप में मजबूती से रखा। डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से अगस्त में राष्ट्रपति चुनाव में अपनी उम्मीदवारी स्वीकार करते हुए बाइडेन ने ''अमेरिका की आत्मा को बहाल करने का संकल्प लिया और कहा कि वह देश में प्रकाश फैलाने का काम करेंगे, न कि अंधकार।''राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को पराजित कर बाइडेन व्हाइट हाउस में सत्तासीन होने वाले अब तक के सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं। बाइडेन ने अपने विजय भाषण में देश को एकजुट करने का संकल्प लेते हुए कहा कि 'यह अमेरिका में जख्मों पर मरहम लगाने का समय है।उन्होंने कहा कि मैं इस पद का इस्तेमाल अमेरिका की आत्मा को बहाल करने, इस राष्ट्र के आधार का पुनर्निर्माण करने, मध्यम वर्ग के लिए काम करने और अमेरिका को फिर से विश्व में सम्माननीय बनाने तथा यहां देश में हम सभी को एकजुट करने के लिए करना चाहता हूं। तीन दशक से अधिक समय तक डेलावेयर से सीनेटर रहने। फिर ओबामा के तहत आठ साल तक उपराष्ट्रपति रहने के दौरान बाइडेन का भारत-अमेरिका संबंधों का मजबूत पैरोकार रहने का ट्रैक रिकॉर्ड है।

बाइडन ने अपने प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों 20 भारतीय-अमेरिकियों को नामित किया

बाइडन ने अपने प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर कम से कम 20 भारतीय-अमेरिकियों को नामित किया है। इनमें से 13 महिलाएं हैं। यह अपने आप में एक ऐसे छोटे जातीय समूह के लिए एक नया रिकॉर्ड है जिसकी आबादी कुल आबादी का महज एक परसेंट है। इन लोगों में से 17 शक्तिशाली व्हाइट हाउस परिसर का हिस्सा होंगे।वर्ष 1942 में पेनसिल्वेनिया में कैथोलिक परिवार में जन्मे जो रॉबिनेट बाइडन जूनियर ने यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर में पढ़ाई की। वर्ष 1968 में सिरकॉस यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री प्राप्त की। उनके पिता भट्टी की सफाई करने तथा पुरानी कारें बेचने का काम करते थे। बाइडन पहली बार 1972 में निर्वाचित हुए। डेलावेयर राज्य से छह बार सीनेटर रहे।

पहली बार 29 साल की उम्र में निर्वाचित होकर अमेरिकी सीनेट के लिए चुने जाने वाले सबसे युवा प्रतिनिधि थे बाइड

वह पहली बार 29 साल की उम्र में निर्वाचित होकर अमेरिकी सीनेट के लिए चुने जाने वाले सबसे युवा प्रतिनिधियों में से एक थे। बाइडन ने 1988 और 2008 में भी अपनी पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए दावेदारी की थी, लेकिन असफल रहे थे। स्पष्ट वक्ता के रूप में जाने जाने वाले बाइडन 1972 की कार दुर्घटना सहित अपने परिवार के साथ हुईं दुखद घटनाओं के बारे में खुलकर बात करते हैं। कार दुर्घटना में उनकी पहली पत्नी नीलिया और उनकी 13 महीने की बेटी नाओमी की मौत हो गई थी। उनके बेटे ब्यू और हंटर गंभीर रूप से घायल हो गये थे।बाइडन की अपनी दूसरी पत्नी जिल जैकब से 1975 में मुलाकात हुई थी। वर्ष 1977 की जून में उन्होंने शादी कर ली। वर्ष 1981 में उनकी बेटी एश्ले पैदा हुई। वर्ष 2015 में बाइडन के पुत्र 46 वर्षीय ब्यू की ब्रेन ट्यूमर से मौत हो गई जिन्होंने इराक युद्ध में भाग लिया था और डेलावयेर के अटॉर्नी जनरल के रूप में सेवाएं दी थीं। वर्ष 1988 में बाइडन को भी दिमाग से जुड़ी एक समस्या हुई थी। बाइडन को पिछले साल राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी तब मिली थी जब प्रतिद्वंद्वी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने अप्रैल 2020 में उम्मीदवारी की दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया।