- एकता, शांति और अहिंसा का प्रतीक है राजगीर का विश्व शांति स्तूप
पटना:राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि बोधित्सव, सुख, धर्म, शून्यता, चित्त और भगवान बुद्ध के विचार आज के दौर में ज्यादा प्रासंगिक हैं. आज जहां पूरे विश्व में अशांति का माहौल है, ऐसे में जीवन की निरंतरता के लिए जरूरी है कि दुनिया एक बार बुद्ध के विचारों के करीब आये. शांति के बगैर बेहतर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के विचार हमें इक्कीसवीं सदी में भी प्रेरित कर रहे हैं.उन्होंने बुद्ध की सोच को 'लाइट ऑफ एशिया' कहते हुए कहा कि वर्तमान में बदलते वैश्विक परिदृश्य को ध्यान में रखकर जीवन की बेहतरी की निरंतरता के लिए विचारों के करीब जाना होगा. उन्होंने बुद्ध के विचारों का व्यक्तिगत स्तर पर पड़ने वाले प्रभावों के साथ-साथ सामाजिक साझेदारी की बात कही. राष्ट्रपित शुक्रवार को बिहार के राजगीर की रत्नागिरी पहाड़ी के शिखर पर विश्व शांति स्तूप की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह को बतौर चीफ गेस्ट संबोधित कर रहे थे. समारोह में चीफ गेस्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ उनकी पत्नी सविता कोविंद, बिहार के गवर्नर फागू चौहान . सीएम नीतीश कुमार, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, पर्यटन मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, कला व संस्कृति मंत्री प्रमोद कुमार, सूचना व जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार, एमपी आरसीपी सिंह व कौशलेंद्र कुमार समेत अन्य उपस्थित थे.
डेलीगेट्स विश्व शांति के दूत हैं

राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी के विचार में बुद्ध के अहिंसा का उपदेश साफ झलकता है.बतौर राज्यपाल भी मैं विश्व शांति स्तूप के कार्यक्रम में भाग ले चुका हूं. उन्होंने एशिया, यूरोप, अमेरिका से आए डेलीगेट्स को विश्व शांति का दूत बताया. उन्होंने कहा कि जापानी धर्मगुरु फुजि गुरु जी व महात्मा गांधी दो ऐसी आत्मा है जिन्होंने पूरे विश्व को शांति की राह पर चलने की प्रेरणा दी. 45 साल पहले 1974 में तत्कालीन प्रधनमंत्री मोरारजी देसाई के आवास पर मुझे गुरु जी से मिलने का सैभाग्य मिला था. संबिधान बनाने वाले भीम राव अम्बेडकर ने भी बुद्ध के विचारों को समझा था.
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि विश्व शांति स्तू प एकता, शांति और अहिंसा का प्रतीक है. इसके संदेश में ऐसी सार्वभौमिकता है, जो संस्कृशतियों, धर्मों और भौगोलिक सीमाओं के दायरे में सिमटी हुई नहीं है. यह जापान और भारत जैसी शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक व्यसवस्थांओं के बीच साझेदारी और व्याोपक सहयोग को भी दर्शाता है.उन्होंने कहा कि महात्माा बुद्ध के अष्टांरगिक मार्ग का दर्शन ना केवल दुनिया के आध्याित्मिक परिदृश्य में बड़े परिवर्तन का कारण बना, बल्कि इसके साथ ही इसने सामाजिक राजनीतिक और कारोबारी नैतिक मूल्योंि को स्थासपित करने में भी बड़ी भूमिका निभायी. महात्मान बुद्ध के संदेश दुनियाभर में मौजूद उनके 50 करोड़ से ज्या दा अनुयायियों से भी अधिक लोगों तक पहुंचे हैं. बुद्ध के जीवन से संबंधित स्थाानों को पर्यटन स्थशलों के रूप में विकसित करना उनके संदेशों की मूल भावना के प्रति लोगों और विशेषकर युवाओं को आकर्षित करने का एक प्रभावी तरीका है.
राष्ट्रयपति ने कहा कि विकास के लिए शांति जरूरी है. बुद्ध के शांति के संदेश का सार बाह्य शांति के लिए आंतरिक शांति को जरूरी बताता है. आध्यात्मिकता, शांति और विकास एक दूसरे के संबल हैं, जबकि संघर्ष, अशांति और विकास की कमी एक-दूसरे की वजह बनते हैं. उन्होंिने लोगों से गरीबी और संघर्ष को कम करने के लिए एक शक्तिशाली साधन के रूप में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने की अपील की.
पूरे विश्व में विवादों के निपटारे का केंद बने राजगीरः सीएम
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि विश्व असहिष्णुता की दौर से गुजर रहा है. ऐसे में बौद्ध धर्म के माध्यम से समाधान तलाशने के लिए यह सम्मलेन काबिले तारीफ है. एक समय था कि विश्व के सभी देशों से लोग शिक्षा प्राप्त करने नालंदा विश्वविद्यालय आते थे. वार्षिकोत्सव के माध्यम से भारत पूरे विश्व को संदेश देना चाहता है कि सभी मन में शांति की भावना लेकर आएं और साथ मिलकर विश्व शांति की पहल करें. फुजि गुरु जी ने निर्माण किया लेकिन इसकी आधारशिला व उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राधा कृष्णन व वीवी गिरी ने किया. आज जब कि हम 50वीं वर्षगांठ मना रहें हैं तो संजोग देखिए कि भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद जी व प्रथम महिला सविता कोविंद भी यहां मौजूद हैं.
देश को पहला रोपवे फुजि गुरु ने दिया
सीएम ने कहा कि देश को पहला रोपवे भी फुजि गुरु जी ने ही दिया था, जिस पर सबसे पहले 1969 में जय प्रकाश नारायण ने यात्रा की थी.फुजि गुरु जी व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का संबंध किसी से छिपा नहीं है. स्वतंत्रता की लड़ाई के वक़्त ही गुरु जी जापान से भारत आये थे.यह कम लोगों को पता होगा कि जिस बापू की तीन बातों का हम जिक्र करते है, बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो व बुरा मत बोलो उसे बंदर के रूप में फुजि गुरु जी ने ही भेंट किया था.
नालंदा ने पूरे विश्व को दी ज्ञान की रोशनीः मोदी
डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सभी प्रमुख धार्मिक परंपराएं मूल रूप से प्रेम, दया और क्षमा का संदेश देती हैं. महत्वपूर्ण बात ये है कि ये हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा होनी चाहिए. नालंदा ने पूरे विश्व को ज्ञान की रोशनी दी है.बिहार को सिद्धार्थ प्राप्त हुआ और बिहार ने पूरे विश्व को भगवान बुद्ध दिया. बिहार को मोहनदास करम चंद गांधी प्राप्त हुआ तो बिहार ने पूरे विश्व को महात्मा गांधी दिया. बिहार सभी धर्मों की हृदयस्थली है. सभी धर्मों का संगम है. नालंदा ने पूरे विश्व को ज्ञान की रोशनी दी है. आशा करता हूं कि यह स्तूप पूरे विश्व को शांति का राह दिखायेगी.
कई देशों के प्रतिनिधि कर रहे शिरकत
शांति स्तूप की 50वीं वर्षगांठ के समारोह के लिए गत 17 अक्टूबर को बोधगया से शांति पदयात्रा करते हुए आठ देशों के 40 बौद्ध भिक्षु 22 अक्टूबर को राजगीर पहुंचे. वे उसी रास्ते से राजगीर आये, जिससे बोधगया में ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध आये थे. उनके अलावा अमेरिका, जापान, इटली, अर्जेंटिना, थाईलैंड, भूटान, श्रीलंका, चिली, तिब्बत, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, स्पेन, बुडापेस्ट और इटली के प्रतिनिधि भी राजगीर पहुंचे हैं. विश्व शांति स्तूप परिसर में दो नियंत्रण कक्ष बनाये गये हैं. राजगीर में आयोजित समारोह में विदेशी डेलीगेट्स सहित लगभग 300 वीवीआइपी शिरकत की .
पटना हवाई अड्डा पर गर्वनर व सीएम ने की अगवानी

को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपनी पत्नी सिवता कोविंद के साथ दिल्ली से सीधे पटना हवाई अड्डा पहुंचे. पटना एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति का बिहार के राज्यपाल फागू चौहान व सीएम नीतीश कुमार ने अगवानी की व भव्य स्वागत किया. यहां से हवाई जहाज राष्टपति राजगीर में आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए रवाना हो गये. राजगीर के विपुलागिरी पर्वत पर राष्ट्रपति को उतरने के लिए हैलीपैड बनाया गया था. राष्ट्रपति मुख्य समारोह स्थल पर पहुंचकर भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना की. कार्यक्रम में भाग लेने के बाद वापस दिल्ली के लिए रवाना हो गये.