पश्चिम बंगाल: ममता बनर्जी को बड़ा झटका, शुभेंदु अधिकारी ने कैबिनेट से दिया इस्तीफा, बीजेपी में शामिल होने की अटकलें 

श्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस व सीएम ममता बनर्जी गवर्नमेट को बड़ा झटका लगा है। ममता के खास माने जाते रहे और टीएमसी के ताकतवर नेता शुभेंदु अधिकारी ने कैबिनेट व हुगली रिवर ब्रिज कमीशन चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है।

पश्चिम बंगाल: ममता बनर्जी को बड़ा झटका, शुभेंदु अधिकारी ने कैबिनेट से दिया इस्तीफा, बीजेपी में शामिल होने की अटकलें 

कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस व सीएम ममता बनर्जी गवर्नमेट को बड़ा झटका लगा है। ममता के खास माने जाते रहे और टीएमसी के ताकतवर नेता शुभेंदु अधिकारी ने कैबिनेट व हुगली रिवर ब्रिज कमीशन चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है। सीएम की अनुशंसा पर गवर्नर ने अधिकारी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। वहीं टीएमसी ने कल्याण बनर्जी को नया चेयरमैन नियुक्त कर दिया है।


TMC बोली- वह पार्टी नहीं छोड़ना चाहते हैं शभेंदु
टीएमसी एमपी सौगत राय ने कहा कि शुभेंदु अधिकारी के साथ दो बैठकों के दौरान, उन्हें यह महसूस हुआ कि वह पार्टी नहीं छोड़ना चाहते हैं। हम उनकी नाराजगी को लेकर उनसे बात करेंगे। उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी में बने रहेंगे, क्योंकि उन्होंने अपनी सदस्यता नहीं दी या विधायक के रूप में इस्तीफा नहीं दिया। 
नंदीग्राम आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे हैं अधिकारी

शुभेन्दु अधिकारी वर्ष 2011 में ममता बनर्जी को सत्ता में लाने वाले नंदीग्राम आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे हैं। इससे पहले शुक्रवार सुबह अधिकारी ने सीएम ममता बनर्जी और ई-मेल से राज्यपाल जगदीप धनखड़ को अपना त्याग पत्र भेजा था। इस्तीफे के बाद अधिकारी ने ट्वीट कर कहा, मैं मंत्री के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं। उन्होंने कहा, मैंने प्रतिबद्धता, समर्पण और ईमानदारी के साथ राज्य के लोगों की सेवा की है। इस अवसर के लिए मैं धन्यवाद देता हूं।
35-40 विधानसभा क्षेत्रों पर रखते हैं प्रभाव 
शुभेन्दु अधिकारी का पूर्वी मिदनापुर के अपने गृह जिले के अलावा, कम से कम 35-40 विधानसभा क्षेत्रों पर प्रभाव है। इनमें पश्चिम मिदनापुर, बांकुरा, पुरुलिया और झारग्राम में और बीरभूम के कुछ हिस्सों में - आदिवासी बहुल जंगलमहल क्षेत्र आदि प्रमुख हैं। अधिकारी का पार्टी छोड़ना टीएमसी के लिए बड़ा झटका है। राजनीतिक गलियारों में कई दिनों से चर्चा है कि पूर्वी मिदनापुर जिले से आने वाले शुभेंदु अधिकारी टीएमसी से नाराज चल रहे हैं। वह पार्टी का साथ छोड़कर बीजेपी में भी शामिल हो सकते हैं। फिलहाल, शुभेंदु अपना सियासी पत्ता नहीं खोल रहे हैं।

कभी नंदीग्राम में ममता बनर्जी के लिए सिपाही की भूमिका निभाने वाले शुभेंदु अधिकारी आखिर अब बागी क्यों हो गए हैं? ऐसा क्या हो गया है कि वो लगातार पार्टी बीते कुछ समय से पार्टी के खिलाफ अप्रत्यक्ष तौर पर आवाज बुलंद कर रहे हैं? क्यों टीएमसी उन्हें मनाने में जुटी है? ऐसे कई सवाल हैं जो न सिर्फ बंगाल, बल्कि देश की राजनीतिक गलियारों में भी तैर ही हैं। शुभेंदु बंगाल में काफी ताकतवर राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनका प्रभाव न सिर्फ उनके क्षेत्र पर है, बल्कि पूर्वी मिदनापुर के अलावा आस-पास के जिलों में भी उनका राजनीतिक दबदबा है। बताया जाता है कि शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी के भतीजे और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी से नाराज चल रहे हैं। प्रशांत किशोर ने बंगाल में इसके जिस तरह से संगठनात्मक बदलाव किया है, उससे भी वह नाखुश हैं। शुभेंदु अधिकारी चाहते हैं कि पार्टी कई जिलों की 65 विधानसभा सीटों पर उनकी पसंद के कैंडिडेट को मैदान में उतारे।

शुवेंदु को मनाने घर पर गये थे प्रशांत किशोर, नहीं हुई मुलाकात
प्रशांत किशोर सुवेंदु अधिकारी के घर गये गये थे लेकिन वे उनसे नहीं मिल सके क्योंकि उस वक्त वह घर पर नहीं थे। उन्होंने अधिकारी के पिता, तृणमूल कांग्रेस से एमपी शिशिर अधिकारी से करीब आधे घंटे तक बातचीत की किशोर और शिशिर अधिकारी में से किसी ने भी इस मुलाकात के बारे में कोई सार्वजनिक खुलासा नहीं किया है। 
कौन हैं शुभेंदु अधिकारी
शुभेंदु अधिकारी ममता सरकार में परिवहम, जल और सिंचाई मंत्री थे। शुभेंदू को ममता बनर्जी का काफी भरोसेमंद नेता माना जाता था। वह पूर्व मेदिनीपुर जिले का मुख्यालय तमलुक संसदीय क्षेत्र से एमपी भी रहे हैं। माकपा के गढ़ को भेदने में शुभेंदु अधिकारी का भी योगदान है। 2009 से पहले तक तमलुक सीट माकपा का अभेद्य दुर्ग माना जाता रहा, लेकिन 2009 में हुए संसदीय चुनाव में इस सीट से तृणमूल के शुभेंदु अधिकारी निर्वाचित हुए। इसके बाद माकपा का अभूतपूर्व पराभव शुरू हो गया। शुभेंदु 2014 में हुए पिछले चुनाव में भी इस सीट से जीते। लेकिन 2016 में राज्य विधानसभा चुनाव के बाद शुभेंदु अधिकारी संसदीय राजनीति से दूर हो गये और नंदीग्राम से एमएलए चुने गये। लिहाजा 2016 में इस सीट के लिए उपचुनाव हुआ, जिसमें शुभेंदु के छोटे भाई दिव्येंदु अधिकारी कैंडिडेट बने और जीते भी।

शुभेंदु अधिकारी 15 वीं और 16वीं लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। शुभेंदु के नाम के साथ ही 2007 में टीएमसी के नंदीग्राम आंदोलन का उल्लेख होता है। ममता बनर्जी के नेतृत्व में 2007 में हुए इस आंदोलन ने ही बंगाल में दशकों से चले आ रहे लेफ्ट के राज को उखाड़ फेंका था। शुभेंदु ने ही इस आंदोलन का खाका तैयार किया था।  नंदीग्राम आंदोलन के आर्किटेक्टशुभेंदु उस वक्त कांती दक्षिण सीट से विधायक थे। उन्होंने भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमिटी के तहत नंदीग्राम के लोगों को इकट्ठा किया और लेफ्ट सरकार के खिलाफ भूमि आंदोलन की धार तेज कर दी। जब लेफ्ट के 'लोहे का हाथ' अजेय लग रहा था, तब शुभेंदु अधिकारी ही थे, जिन्होंने सीपीआई (एम) के बाहुबली लक्ष्मण सेठ को हराया था। इसी के साथ 'जंगल महल' क्षेत्र यानी पश्चिम मेदिनीपुर, पुरुलिया, और बांकुरा जिलों में टीएमसी के आधार को मजबूत किया। 
ममता से क्यों नाराज हैं अधिकारी
शुभेंदु अधिकारीकी नाराजगी की वजह यह है कि ममता पार्टी के दूसरे नेताओं की तुलना में अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को अधिक अहमियत दे रही हैं। अघोषित रूप से उन्हें अपना उत्तराधिकारी बना चुकी हैं। शुभेंदु जैसे कद्दावर नेता इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। शुभेंदु ने खुल कर कभी भी पार्टी प्रमुख के खिलाफ कुछ नहीं कहा है लेकिन तृणमूल के अंदर वह लगातार निशाने पर रहे। शुभेंदु के पिता शिशिर अधिकारी और छोटे भाई दिव्येंदु अधिकारी तामलुक और कांती सीट से टीएमसी एमपीहैं। शिशिर अधिकारी मनमोहन सरकार में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। 

रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी ने कही पार्टी छोड़ने की बात
 सिंगूर में ममता बनर्जी के साथ रहे रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी ने अलग रास्ता अख्तियार कर लिया है। वे अब पार्टी से इस्तीफा देने की बात कह दी है। सिंगूर में ममता बनर्जी के साथ रहे रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी ने पार्टी से इस्तीफा देने की बात कह दी है। रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी ने टाटा के नैनो कारखाने के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस के आंदोलन में ममता बनर्जी का साथ दिया था। सूत्रों ने बताया कि ममता बनर्जी ने कुछ दिन पहलेटीएमसी के ब्लॉक अध्यक्ष महादेब दास को पद से हटा दिया था। महादेब को रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी का करीबी माना जाता है।

बंगाल बीजेपी ने कहा खुलें हैं दरवाजे  
बंगाल बीजेपी ने कहा कि टीएमसी नेताओं के इस्तीफे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ गुस्से का प्रतिबिंब है। बीजेपी चीफ दिलीप घोष ने कहा कि अधिकारी के इस्तीफे ने तृणमूल के अंत का संकेत दिया। उन्होंने कहा, तृणमूल से शुभेन्दु का बाहर आना केवल समय की बात है। सत्ताधारी पार्टी के कई नेता हैं जो इसके कामकाज के तरीके से असंतुष्ट हैं। हमने अपने दरवाजे खुले रखे हैं। घोष ने कहा, पार्टी (टीएमसी) अस्तित्व में नहीं रहेगी।