नई दिल्ली: राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे होंगे विपक्ष के नेता, गुलाम नबी आजाद 15 फरवरी को होंगे रिटायर

कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे को राज्यसभा में अपना नया नेता प्रतिपक्ष चुना है। बजट सेशन के लास्ट दिन यानि 15 फरवरी को वर्तमान नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। 

नई दिल्ली: राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे होंगे विपक्ष के नेता, गुलाम नबी आजाद 15 फरवरी को होंगे रिटायर
  • मल्लिकार्जुन खड़गे गुलाम नबी आजाद के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता होंगे
  • कांग्रेस पार्टी से इसके संबंध में राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखा 

नई दिल्ली। कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे को राज्यसभा में अपना नया नेता प्रतिपक्ष चुना है। बजट सेशन के लास्ट दिन यानि 15 फरवरी को वर्तमान नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। 
कांग्रेस से राज्यसभा में विपक्ष के नेता चुने जाने के संबंध में राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखा है। कांग्रेस ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को खड़गे को आजाद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद विपक्ष के नेता के पद पर नियुक्त करने के लिए लिखा है। गुलाम नबी आजाद का 15 फरवरी को कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह पद खाली हो जायेगा। गुलाम नबी आजाद, जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा के सदस्य हैं। जम्मू कश्मीर वर्तमान में आर्टिकल-370 हटाए जाने और केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद वहां कोई विधानसभा सीट नहीं है।
कौन है मल्लिकार्जु खडगे?
मल्लिकार्जुन खडगे कांग्रेस से कर्नाटक से राज्यसभा सांसद है। वह लोकसभा के मेंबर भी रह चुके हैं। वह सेंट्रलमें  रेल मंत्री और श्रम और रोजगार मंत्री रह चुके हैं। खडगे ने वकालत की पढ़ाई की। खडगे  2009-2019 के दौरान कर्नाटक के गुलबर्गा क्षेत्र से एमपी थे। बतौर लोकसभा में पार्टी नेता खडगे संसद में हुई कई बहसों में हिस्सा ले चुके हैं। कर्नाटक में पले-बढ़े खडगे ने वकालत की पढाई की, मजदूर संघ के लोगों के लिए कई मुकदमे लड़े। पहले छात्र नेता बनकर उभरे और फिर कांग्रेस पार्टी में अपनी जगह बना ली।

राजनीतिक सफर

खड़गे ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र संघ नेता के रूप में की। पहले कर्नाटक के गुलबर्गा शहर के गवर्नमेंट कॉलेज में उन्हें छात्रों के महासचिव के रूप में चुना गया। वर्ष 1969 में, वह MSK मिल्स एम्प्लाइज यूनियन के कानूनी सलाहकार बने। वह संयुक्ता मजदूर संघ के एक प्रभावशाली श्रमिक संघ नेता भी थे। उन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले कई आंदोलन का नेतृत्व किया। वह वर्ष 1969 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गये। गुलबर्गा शहर कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने। मल्लिकार्जुन खड़गे का जन्म कर्नाटक के बीदर जिले में हुआ था। उन्होंने गुलबर्गा में नूतन विद्यालय से स्कूली शिक्षा पूरी की, उसके बाद गुलबर्गा के सेठ शंकरलाल लाहोटी के सरकारी लॉ कॉलेज से ग्रेजुएशन डिग्री ली।इसके बाद उन्होंने जस्टिस शिवराज पाटिल के कार्यालय में एक जूनियर वकील के रूप में अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू की। अपने कानूनी करियर की शुरुआत में श्रमिक संघों के लिए मुकदमे भी लड़े।

खड़गे ने 2014 के आम चुनावों में गुलबर्गा संसदीय सीट से बीजेपी के  अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 73,000 मतों से हराया। जून में, उन्हें लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता के रूप में नियुक्त किया गया था।न्होंने पहली बार वर्ष 1972 में कर्नाटक राज्य विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव लड़ा और गुरमीतलाल निर्वाचन क्षेत्र से जीते। उन्हें वर्ष 1973 में ऑक्ट्रोई उन्मूलन समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें वर्ष 1974 में राज्य के स्वामित्व वाले चमड़ा विकास निगम के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। वह वर्ष 1978 में  गुरमीतलाल निर्वाचन क्षेत्र से दूसरी बार एमएलए के रूप में चुने गये।  उन्हें ग्रामीण विकास और पंचायतीराज राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। वह वर्ष 1980 में गुंडू राव मंत्रिमंडल में राजस्व मंत्री बने। 


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