मुंबई की दो बहनों ने अपनाया वैराग्य जीवन, सांसारिक मोह त्यागा

मुंबई की दो चचेरी बहनों ने सांसारिक मोह त्याग कर वैराग्य जीवन अपना लिया है। मायानगरी मुंबई के वाईकला निवासी कपड़ा व्यवसायी मनीष कुमार और अमित कुमार की पुत्रियां क्रमशः दर्शी कुमारी (19) और देशना कुमारी (15) ने साधु संतों के दिनचर्या से प्रभावित होकर साधु जीवन को अपनाने का कठोर निर्णय लिया।

मुंबई की दो बहनों ने अपनाया वैराग्य जीवन, सांसारिक मोह त्यागा
बहनों ने अपनाया वैराग्य जीवन।
  • मधुबन के तलेटी तीर्थ में हुआ दीक्षा समारोह

गिरिडीह। मुंबई की दो चचेरी बहनों ने सांसारिक मोह त्याग कर वैराग्य जीवन अपना लिया है। मायानगरी मुंबई के वाईकला निवासी कपड़ा व्यवसायी मनीष कुमार और अमित कुमार की पुत्रियां क्रमशः दर्शी कुमारी (19) और देशना कुमारी (15) ने साधु संतों के दिनचर्या से प्रभावित होकर साधु जीवन को अपनाने का कठोर निर्णय लिया।

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झारखंड के मधुबन स्थित तलेटी तीर्थ में सोमवार को आचार्य मुक्तिप्रभ सूरीश्वर जी महाराज व साधनारत साधु-संतों की निश्रा में भव्य दीक्षा महोत्सव का आयोजन किया गया। धार्मिक विधियां मुंबई के वाईकला निवासी कपड़ा व्यवसायी मनीष कुमार और अमित कुमार की पुत्रियां क्रमशः दर्शी कुमारी और देशना कुमारी ने दीक्षा ली। दोनों मुमुक्षु दीक्षार्थी बीते तीन साल से साधु संतों के सानिध्य में साथ रहकर धर्म साधना में लीन थी। दर्शी कुमारी 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की है। देशना ने छठी तक पढ़ाई की है। दोनों बहनों ने दीक्षा लेने के बाद गाजे -बाजे के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना भी की।

दीक्षा लेना आसान लेकिन उसका पालन करना 
दोनों बहनों को दीक्षा दिलाने के बाद आचार्य मुक्तिप्रभ सूरीश्वर जी महाराज ने अपने मंगल प्रवचन के दौरान कहा कि दीक्षा लेना आसान है। उत्साह में लोग दीक्षा तो ले लेते हैं, लेकिन दीक्षा का पालन करना कठिन है। गुरु के प्रति समर्पण, गुरु की बातों पर चलना एवं गुरु को सर्वस मानना ही सबसे बड़ा कार्य है। दोनों बहनों की वैराग्य जीवन की शुरुआत एवं संयम की यात्रा आज से शुरू हो गयी। 10 वर्षों तक दीक्षार्थियों को स्वाध्याय करना और गुरु महाराज के साथ रहना है। उन्होंने कहा कि 10 वर्षों तक दोनों कहीं बाहर नहीं निकलेगी।उनके सानिध्य में पढ़ाई करेगी और वैराग्य जीवन की ओर आगे बढ़ेगी।

दोनों बहनों ने तीन वर्ष पहले दीक्षा लेने का लिया निर्णय
दीक्षार्थी दर्शी कुमारी और देशना कुमारी के पिता मनीष कुमार और अमित कुमार ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से दीक्षार्थी महाराज जी की निश्रा में रह रही थी। मुंबई के वाईकला उपाश्रय में आचार्य मुक्तिप्रभ सूरीश्वर जी महाराज का चातुर्मास हुआ था। वहां महाराज जी से दोनों दीक्षार्थी प्रभावित हुई। इसके बाद दीक्षा लेने का संकल्प लिया। दोनों बहनें मुम्बई वाईकला से कोलकाता तक लगभग दो हजार किलोमीटर तक पैदल यात्रा चार माह में की। लगातार दोनों बहनें महाराज जी के सानिध्य में रह रही थी।
धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन 
धार्मिक विधियां सोमवार की अहले सुबह से ही शुरू हो गयी थी। वर्षीदान करते हुए दीक्षा स्थल तक दोनों दीक्षार्थी गाजे-बाजे के साथ कार्यक्रम स्थल तक पहुंची। जहां भगवती दीक्षा प्रदान की गयी। दोनों दीक्षार्थी का केस लोचन भी विधि -विधान के साथ हुआ। इसके पूर्व तीन दिनों से लगातार आचार्य मुक्तिप्रभ सूरीश्वर जी महाराज के सानिध्य में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया था।
दीक्षार्थी का नामकरण 
दीक्षा कार्यक्रम के बाद आचार्य मुक्तिप्रभ सूरीश्वर जी महाराज ने दोनों का नामकरण किया। दीक्षार्थी दर्शी का नाम देवार्या पुण्या श्री जी और दीक्षार्थी देशना का नाम चित्य पुण्या श्री जी रखा गया1 उपस्थित लोगों ने दोनों का आशीर्वाद लिया। इसके बाद दोनों बहनें साध्वी के रूप में सफेद कपड़ा पहन कर महाराज श्री के साथ निकल पड़ी।
बच्चों के सुख में ही परिजनों का सुख 
मनीष कुमार और अमित कुमार ने बताया कि इससे बड़ा सुख कुछ नहीं हो सकता है। हमारे बच्चों ने भगवान का रूप धारण किया है तो यह हमारे पूरे परिवार के लिए गर्व की बात है। अब हमारे परिवार के सभी सदस्य इनसे प्रेरित होकर आने वाले दिनों में वैराग्य जीवन जीने का काम करेंगे।