झारखंड मुक्ति मोर्चा का 12वां केंद्रीय महाधिवेशन संपन्न, 10वीं बार शिबू सोरेन चुने गये पार्टी अध्यक्ष 

झारखंड मुक्ति मोर्चा का 12वें महाधिवेशन शनिवार को रांची में संपन्न हो गया। अधिवेशन में सर्वसम्मति से 77 साल के शिबू सोरेन 10वीं बार केंद्रीय अध्यक्ष चुने गये हैं। वहीं सीएम हेमंत सोरेन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाये गये हैं। शिबू सोरेन एवं हेमंत सोरेन को नई कमेटी के गठन के लिए अधिकृत किया गया है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा का 12वां केंद्रीय महाधिवेशन संपन्न, 10वीं बार शिबू सोरेन चुने गये पार्टी अध्यक्ष 
  • हम दल की भूमिका में काम कर रहे हैं लेकिन यह मंजिल नहीं : हेमंत

रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा का 12वें महाधिवेशन शनिवार को रांची में संपन्न हो गया। अधिवेशन में सर्वसम्मति से 77 साल के शिबू सोरेन 10वीं बार केंद्रीय अध्यक्ष चुने गये हैं। वहीं सीएम हेमंत सोरेन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाये गये हैं। शिबू सोरेन एवं हेमंत सोरेन को नई कमेटी के गठन के लिए अधिकृत किया गया है।

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महअधिवेशन को संबोधित करते हुए पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष सीएमहेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा गरीब गुरबे, मूलवासी, आदिवासी, दलित, पिछड़ों की पार्टी है। हम सत्तारूढ़ दल की भूमिका में काम कर रहे हैं। यह हमारी मंजिल नहीं, सिर्फ एक पड़ाव है। मंजिल के लिए हमें लंबा सफर तय करना है। राज्य के लोगों के लिए हमेशा खड़े रहने का प्रयास करना चाहिए। हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड 21 साल का हो चुका है। 21 साल में जो लोग अधिकतर समय सत्ता में रहे उन लोगों ने कभी राज्य के प्रति अपनी गंभीरता अपनी संवेदनशीलता नहीं दिखाई।
कुछ लोग जनता को दिग्भ्रमित करने में माहिर

हेमंत सोरेन ने कहा कि लंबे समय के बाद मजबूती से आज महागठबंधन की सरकार बनी है। हमारे साथ-साथ आपलोगों पर भी जिम्मेदारी है, लोगों की अपेक्षाओं आपलोगों से भी बढ़ी है। राज्य में नीति निर्धारण का, दिशा तय करने का, निर्णय और कानून हम लोग बनाते हैं। कार्यकर्ताओं पर बड़ी जिम्मेदारी है। सबकी अपनी-अपनी राजनीति है। आम जनता कभी-कभी भ्रम में पड़ जाती है। दिग्भ्रमित करने में कई लोग माहिर हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के 40-45 साल के संघर्ष में गुरुजी, बिनोद बिहारी महतो जैसे सपूतों ने जिस राह पर चलने का आह्वान किया, जिस राह पर ले जाने का काम किया, मंजिल तक पहुंचाने का काम किया, आज उसी के बदले यह राज्य मिला है। आज इसीलिए हमसभी की जिम्मेदारी, लोगों की अपेक्षाएं बढ़ी हैं।

महागठबंधन सरकार ने कोरोना काल में बेहतर प्रबंधन किया
हेमंत ने कहा कि जिस तरीके से सरकार बनने से लेकर आजतक डेढ़ साल तक कोरोना का भयावह मंजर देश-दुनिया के लोग कभी नहीं भूल पाएंगे। ना जाने कबतक यह दौर चलेगा। झारखंड देश का सबसे पिछड़ा राज्य है। महागठबंधन की मजबूत सरकार ने कोरोना का बेहतर प्रबंधन किया। झारखंड गरीब, मजदूरों, पिछड़ों, आदिवासियों का राज्य है। जब तक जीवन सामान्य नहीं होगा, तबतक समस्या रहेगी। गरीबों के लिए यह बड़ा अभिशाप है। अभी तक हमने अपनी क्षमता के अनुरूप काम किया।

जेपीएससी एग्जाम का रिजल्ट आने के विपक्ष के पेट में हो रहा दर्द : हेमंत
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि कोरोना में हमलोगों ने मजदूरों को हतोत्साहित नहीं होने दिया, जो बाहर से आए थे, जो रोज कमाते-खाते थे, उन्हें जीविका दिया। कार्यक्रमों को धरातल पर उतारा और लोगों को सहायता पहुंचाने का कार्य किया। धीरे-धीरे से 28 से 30 योजनाएं कोरोना काल में धरातल पर उतारी। आज हमारे निर्णयों का देश के अलग-अलग राज्यों में चर्चा हो रही है।

विपक्ष के पेट में इसलिए हो रहा दर्द

हेमंत सोरेन ने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। क्या गरीबों को सहारा देना हमारी जिम्मेदारी नहीं। कुछ नहीं मिलता तो सड़क जाम करेंगे, जेपीएससी के एग्जाम में सबसे अधिक बच्चे शामिल हुए, जब रिजल्ट आया तो कई सारे विवाद खड़ा करने का प्रयास, एग्जाम में 75 परसेंट से अधिक एससी-एसटी-ओबीसी बच्चे हैं। पहले 25 परसेंटझारखंड के होते थे 75 प्रतिशत बाहरी होते थे। उनके पेट में दर्द होना लाजिमी है। हमने सरकार बनाई है, कांग्रेस और राजद (आरजेडी) का सहयोग है। लोगों को, मूलवासी आदिवासी को हमसे काफी उम्मीद है।
निचले स्तर तक हो रहा है विकास

उन्होंने मूलवासी-अदिवासी की भावना के अनुरूप हम खरा उतरेंगे। जो बदलाव हुआ है, उसे आपलोग महसूस कर रहे होंगे। कोई ऐसा क्षेत्र को नहीं छोड़ा, जहां हमारे गुरुजी का सपना रहा है। निचले स्तर तक विकास कर रहे। कम समय में लंबी दूरी तय की है। हमसे भी गलती हो सकती है, यह मानव स्वभाव है, अगर कोई गलती हो तो हमतक जरूर पहुंचाएं। अपनी गलतियों से सीख लेना कोई गलत बात नहीं, यही हमारा संस्कार।

किसी और को होता है मीडिया में जाने का फायदा

हेमंत सोरेन ने कहा कि मीडिया में जाने का फायदा किसी और को होता है। लड़ाई राज्य बनाने की थी, सबको पता है। प्रतिद्वंद्वी झामुमो के लोगों को कहता था कि आदिवासी सरकार ले पायेगा। ये कहते थे कि आदिवासी हड़िया-दारू पीकर सोया रहेगा, राज क्या करेगा। हमें नयेतरीके से संगठन को धारदार बनाना पड़ेगा।आने वाली पीढ़ी मे राजनीतिक चेतना जगाना पड़ेगा। प्रतिद्वंद्वी फूट डालने का काम कर रहे हैं। ये बीस साल से तोड़ने का काम कर रहे हैं। हमें झारखंड और झारखंडियों को बचाना है।

सत्ता का हमें मोह-माया नहीं

हेमंत ने कहा कि सत्ता का हमें मोह-माया नहीं है। अगर हम सत्ता में नहीं आते तो प्रतिद्वंद्वी ऐसी जगह राज्य ले जाते, जहां से राज्य को वापस लाना मुश्किल होता। जंगल उजड़ चुके होते। महाधिवेशन आने वाले समय में राज्य को नई दिशा देगा। राज्य नई ताकत और ऊर्जा के साथ खड़ा होगा। बदलाव का आपने ऐसा तूफान आपने खड़ा किया कि प्रतिदंद्वी हवा में उड़ गए। हम दिन-रात काम में लगे हैं।

 पार्टी संविधान संशोधन को मिली मंजूरी,पदों की संख्या घटी

महाधिवेशन में पार्टी के संविधान में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। अब जेएमएम केंद्रीय कार्यकारिणी की संख्या 451 से घटाकर 351 की गई। उपाध्यक्ष की संख्या 11 से घटाकर नौ किया गया। महासचिव की संख्या भी घटाकर 15 से 11 किया गया।पार्टी को झारखंड के अलावा उडीसा, बंगाल और बिहार में विस्तार करने का प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। झामुमो सभी जिलों में कार्यालय सचिव का पद भी सृजित करेगा। जिलों में तीन प्रखंडों पर एक उपाध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया गया है।

राजनीतिक प्रस्ताव में बीजेपी पर तीखे प्रहार, कई संकल्प लिये गये

रांची: दिशोम गुरु शिबू सोरेन 10वीं बार जेएमएम के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए. रांची में आयोजित पार्टी के 12वें महाअधिवेशन में शिबू सोरेन को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया. इसके साथ ही महाअधिवेशन में अपना राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया. झामुमो के महाधिवेशन में पार्टी ने अपना राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया,  जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसमें कई तरह के संकल्प व्यक्त किये गये। पार्टी ने अपने राजनीतिक प्रस्ताव में कहा कि वर्ष 2014 में जब केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार स्थापित हुई तब झारखंडी पहचान एवं अस्तित्व को समाप्त करने की प्रकाष्ठा हुई. इसके बाद राज्य की सवा तीन करोड़ जनता ने भाजपा शासन के खिलाफ झामुमो के उर्जावान नेता हेमंत सोरेन पर विश्वास प्रकट करते हुए नेतृत्व करने का आर्शीवाद दिया। आज कहा जा सकता है कि राज्य में 19 वर्षों के बाद पहली बार मूलवासी-आदिवासी सत्ता का संचालन कर रही है। 

 राजनीतिक प्रस्ताव 

2014 में जब भाजपा सरकार आयी तो पूंजीपतियों के दबाव में यूपीए सरकार की भूमि अधिग्रहण कानून को समाप्त करने का प्रयास किया, मगर जनदबाव में वापस लेना पड़ा। 

दोबारा 2019 में सत्ता आयी तो पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने एवं उनके इशारे पर तीन किसान कानून लाया मगर एक वर्ष के लंबे आंदोलन के बाद यह कानून भी वापस लेना पड़ा।

अब भी भाजपा मूलवासी-आदिवासियों के सुरक्षा कवच से जुड़े संवैधानिक अधिकार एवं कानूनों पर गिद्ध नजर बनाए हुए है. वनाधिकार, कश्तकारी अधिनियम को समूल नाश की योजना बना रही है।

केंद्र सरकार बैंक बेचना, बीमा सेक्टर बेचना, रेलवे स्टेशन बेचना, वायु सेवा बेचना, हवाई अड़डा बेचना, भेल बेचना, गेल कंपनी बेचना, सेल कंपनी बेचना, कोल कंपनी बेचना सहित सभी तरह के सरकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के कंपनियों एवं संस्थानों को बेचेने पर अमादा है।

मंहगाई की मार-अबकी बार मोदी सरकार का नारा देकर 2014 में सत्ता में आयी भाजपा के काल में मंहगाई सारे हदें पार कर दी।

केंद्रीय एजेंसियों पर दबाव बनाकर मनमाना कानून देश की जनता पर लादा जा रहा है।

जीएसटी के नाम पर राज्यों के हाथों कटोरा थमा दिया गया, भीखमंगई की स्थिति पैदा कर दी।

2019 में राज्य की निरकुंश भाजपा सरकार को जनता ने उखाड़ फेंका और हेमंत सोरेन को बागडोर सौंपा।

 चुनी हुई सरकार को अस्थिर करना और वहां जनहित के खिलाफ अपनी सरकार की स्थापना करना भाजपा की आदत बन गयी है। 23 मार्च को मध्य प्रदेश की चुनी सरकार को अपदस्त करना ताजा उदाहरण है। 

कोरोना काल में केंद्र सरकार के गलत नीतियों के कारण स्थिति बिगड़ी और देश की जनता को भाजपा ने संकट में डाला।

2020 में विपत्ति काल में भी मुनाफा कमाने के लिए कई लाख मिट्रिक टन आक्सीजन बेचे और जीवन रक्षक दवाएं बेचीं।

महाधिवेशन में लिये गये संकल्प

जल, जंगल और जमीन पांचवीं अनुसूची की रक्षा का संकल्प

जल प्रबंधन का उचित प्रबंधन करते हुए नीतियां तय होंगी

विस्थापन और पुनर्वास को चुनौती के रूप में लिया जाएगा

राज्य के आदिवासी-मूलवासियों को रोजगार से जोड़ा जाएगा

कृषि, गांव एवं ग्रामीणों के विकास, सिंचाई एवं रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य

खान-खनिज एवं खनन के नाम पर अब स्थानीय का शोषण नहीं होगा

नियोजन में 75 प्रतिशत स्थानीय को प्राथमिकता दिया जायेगा

झारखंडी राज्य की संस्कृति, परंपरा एवं समाजिक के माध्यम से भारतीयता को बचाने का संकल्प, जहां पर जाति-पति एवं धर्म के नाम पर लोगों के बांटने का स्थान नहीं होगा

पार्टी सुप्रीमो दिशोम गुरु शिबू सोरेन व झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने दीप प्रज्जवलित कर अधिवेशन का उद्घाटन किया महाधिवेशन में झारखंड के अलावा ओडिशा, बंगाल, बिहार समेत अन्य राज्यों के प्रतिनिधि राज्यों से लगभग 700 प्रतिनिधि शामिल हुए। झारखंड मुक्ति मोर्चा के इस महासम्मेलन में कई राजनीतिक प्रस्ताव पारित किये गये। महाधिवेशन को लेकर 50 तोरण द्वार बनाये गये थे। इन तोरण द्वारों के नाम मजदूर और किसानों के नाम पर रखे गये थे। 

धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में हुआ था झामुमो का गठन
झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर 1972 को हुआ था। विधिवत रूप से चार फरवरी 1973 को झारखंड के धनबाद जिले के गोल्फ ग्राउंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की बुनियाद रखी गई थी। विनोद बिहारी महतो झामुमो के पहले अध्यक्ष चुने गये थे। शिबू सोरेन पार्टी के महासचिव चुने गए थे। तभी से पार्टी का राजनीतिक सफर अब तक जारी है। झारखंड में झामुमो सरकार 29 दिसंबर को अपने कार्यकाल का दो वर्ष पूरा करने जा रही है।
पहली बार झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष बने थे शिबू सोरेन

विनोद बिहारी मेहता के निधन के बाद शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के पहली बार अध्यक्ष चुने गए थे। शिबू सोरेन के नेतृत्व में ही पार्टी ने पहली बार बैठक कर झारखंड नया राज्य गठन की मांग की थी। 22 जुलाई 1997 को शिबू सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा के आंदोलन के दबाव में ही बिहार के तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद ने बिहार विधानसभा से झारखंड बंटवारे का प्रस्ताव पारित कराया था।

नेमरा गांव में हुआ दिशोम गुरु का जन्म

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को झारखंड के निमरा गांव में हुआ था। यह गांव वर्तमान रामगढ़ जिले के हिस्से में आता है। जंगलों और पहाड़ों से घिरे इस गांव में जन्म में शिबू सोरेन झारखंड आंदोलन के सर्वाधिक चर्चित चेहरे माने जाते हैं। आज ही शिबू सोरेन राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं। शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से राज्यसभा सदस्य चुने गए हैं। शिबू सोरेन वर्ष 2004 में कांग्रेस नेतृत्व वाली डॉ मनमोहन सिंह की सरकार में कोयला मंत्री भी बनाये गये थे। झारखंड के चिरूडीह गांव में गांव 11 लोगों की मर्डर मामले में एक वारंट जारी होने के बाद उन्होंने ने 24 जुलाई 2004 को कोयला इस्तीफा के पद से इस्तीफा दे दिया था। उस समय विपक्षी बीजेपी समेत कई अन्य दलों ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना कर कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिश की थी।

हेमंत ने हर मोर्चे पर सफलता दिलाने में पायी कामयाबी 
हेमंत सोरेन ने रणनीतिक तौर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा को हर मोर्चे पर सफलता दिलाने में कामयाबी पाई है। मोर्चा का अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में कर दिखाया।इससे पूर्व भी परंपरा और तकनीक का तालमेल कर उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा को संघर्ष के लिए तैयार किया। मिस्ड काल के जरिए मोर्चा की सदस्यता की जहां उन्होंने शुरूआत की। इंटरनेट मीडिया पर भी नये प्रयोग किये।