IPS पूरन कुमार सुसाइड केस : पत्नी IAS अमनीत ने CM को लिखा पत्र, पूछा– सुसाइड नोट में नाम होने के बावजूद FIR क्यों नहीं?
हरियाणा के एडीजीपी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के बाद मामला गहराता जा रहा है। IPS की पत्नी IAS अमनीत पी कुमार ने CM को पत्र लिख चंडीगढ़ पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। सुसाइड नोट में 16 वरिष्ठ IAS-IPS अधिकारियों के नाम होने के बावजूद FIR दर्ज नहीं हुई है।

चंडीगढ़। हरियाणा पुलिस के एडीजीपी रैंक के सीनीयर आईपीएस अफसर वाई पूरन कुमार की सुसाइड के बाद मामला अब और गंभीर हो गया है। मृतक अफसर की वाइफ और हरियाणा कैडर की आईएएस अफसर अमनीत पी कुमार ने सीएम को पत्र लिखकर चंडीगढ़ पुलिस पर लापरवाही और न्याय में देरी के आरोप लगाये हैं।
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अमनीत कुमार ने कहा कि उनके पति का आठ पन्नों का सुसाइड नोट और औपचारिक शिकायत दर्ज होने के बावजूद अब तक किसी भी वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज नहीं की गई। उन्होंने कहा — “मेरे पति ने सुसाइड नोट में साफ-साफ लिखा कि कौन-कौन अधिकारी उन्हें मानसिक रूप से तोड़ रहा था, लेकिन पुलिस ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की। यह न्याय से खिलवाड़ है।”
सुसाइड नोट में क्या लिखा था?
आईपीएस वाई पूरन कुमार ने सात अक्टूबर को चंडीगढ़ स्थित अपने घर में खुद को गोली मारकर सुसाइड कर ली थी। उनकी पत्नी अमनीत पी. कुमार उस वक्त जापान के सरकारी दौरे पर थीं। लौटने पर उन्हें घर के बेसमेंट में पति मृत अवस्था में मिले। अमनीत को उनके पति का 8 पन्नों का सुसाइड नोट मिला, जिसमें उन्होंने लिखा था— “मैं अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हूं। पिछले पांच सालों से लगातार जातिगत भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न झेल रहा हूं। अब यह असहनीय हो गया है।”
सुसाइड नोट में 16 सीनीयर अफसरों (8 IPS, 2 IAS और अन्य) के नाम दर्ज हैं। इनमें से कुछ ने मदद की कोशिश की थी, लेकिन ज्यादातर पर जाति आधारित भेदभाव, पदस्थापन में भेदभाव और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाये गये हैं।
IAS वाइफ की कंपलेन: DGP और SP पर गंभीर आरोप
अमनीत पी कुमार ने चंडीगढ़ सेक्टर-11 थाना में एक चार पन्नों की शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने हरियाणा के DGP शत्रुजीत कपूर और SP रोहतक नरेंद्र बीजरनिया के खिलाफआत्महत्या के लिए उकसाने (Abetment of Suicide) और SC/ST Act के तहत जातिगत उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि—“मेरे पति को दलित समुदाय से होने के कारण गालियां दी गईं, अपमानित किया गया और उनके खिलाफ झूठे केस दर्ज कराये गये।” अमनीत का दावा है कि DGP कपूर के कहने पर रोहतक में उनके पति के खिलाफ झूठा FIR (नंबर 0319/2025) दर्ज कराया गया था। उन्होंने कहा — “यह एक सोची-समझी साजिश थी, जिससे मेरे पति टूट गए और अंततः उन्होंने आत्महत्या कर ली।”
अभी तक नहीं मिला लैपटॉप
जांच के दौरान चंडीगढ़ पुलिस को वाई पूरन कुमार का आधिकारिक लैपटॉप नहीं मिला। एक लैपटॉप उनकी बेटी का निकला। अमनीत का कहना है कि उन्हें घर की अलमारी और लैपटॉप दोनों जगह सुसाइड नोट की कॉपियां मिलीं, जिन्हें उन्होंने पुलिस को सौंप दिया है।
पूरन कुमार का अंतिम संदेश – ‘अब कोई विकल्प नहीं बचा’
सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा — “अगस्त 2020 से अब तक लगातार जातिगत भेदभाव, सार्वजनिक अपमान और मानसिक उत्पीड़न झेल रहा हूं। सरकार को सब पता है, लेकिन किसी ने कदम नहीं उठाया। अब मेरे पास यह कदम उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।” उन्होंने अधिकारियों पर नियमों के उल्लंघन, पोस्टिंग में भेदभाव, सरकारी आवास और वाहन आवंटन में अन्याय, और फर्जी शिकायतें दर्ज कराने जैसे गंभीर आरोप लगाये हैं।
राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल
इस घटना के बाद हरियाणा प्रशासन और पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी समेत कई वरिष्ठ IAS अधिकारी अमनीत कुमार के निवास पर पहुंचे, जहां उन्होंने जांच की मांग की। अमनीत ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि – “मामले की जांच किसी बाहरी और निष्पक्ष एजेंसी (CBI या SIT) से करायी जाए ताकि दोषियों को सजा मिले।”
कौन थे IPS वाई पूरन कुमार?
वाई पूरन कुमार हरियाणा कैडर के 2001 बैच के आईपीएस अफसर थे। उनकी पहचान एक ईमानदार और सख्त अफसर के रूप में रही। वे अक्सर जातिगत भेदभाव और पारदर्शिता की कमी के खिलाफ आवाज उठाते रहे। बताया जाता है कि उन्होंने अपनी शिकायतें अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग तक भेजी थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पूरन कुमार किन कारणों से तनाव में थे
बार-बार पोस्टिंग में भेदभाव
वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से झूठी शिकायतें
पदोन्नति में देरी और नकारात्मक ACR
जाति आधारित अपमान
रोहतक में शराब कारोबारी से विवाद के बाद मिली धमकियां
निष्कर्ष
हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली और जातिगत भेदभाव के मुद्दे को फिर उजागर कर दिया है।आईएएस पत्नी अमनीत पी कुमार की शिकायत और सीएम को लिखे पत्र ने इस केस को एक नए राजनीतिक और कानूनी मोड़ पर ला खड़ा किया है। अब देखने वाली बात होगी कि सरकार और पुलिस विभाग इस मामले में कितनी पारदर्शिता से जांच करते हैं और क्या दोषियों पर कार्रवाई होती है या नहीं।