हर्षवर्धन समेत 12 मिनिस्टर्स की की छुट्टी, मोदी कैबिनेट विस्तार में चुनावी स्टेट, क्षेत्रीय संतुलन, गठबंधन को साधने की कोशिश

एम नरेंद्र मोदी की सात जुलाई को कैबिनेट विस्तार व फेरबदल से 12 मिनिस्टर्स की छु्टी हो गयी। इसमें रविशंकर प्रसाद, हर्षवर्धन, रमेश पोखरियाल निशंक, प्रकाश जावड़ेकर, डी वी सदानंद गौड़ा, संतोष गंगवार जैसे सीनीयर बीजेपी नेताओं के नाम शामिल हैं। मोदी के दूसरे कार्यकाल के पहले कैबिनेट विस्तार में क्षेत्रीय से लेकर जातिगत समीकरणों को भी साधने की कोशिश की गई है। प्रशासनिक अनुभव वालों को भी जगह दी गई है।कई युवाओं को मौका दिया गया है। 

हर्षवर्धन समेत 12 मिनिस्टर्स की की छुट्टी, मोदी कैबिनेट विस्तार में चुनावी स्टेट, क्षेत्रीय संतुलन, गठबंधन को साधने की कोशिश

नयी दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी की सात जुलाई को कैबिनेट विस्तार व फेरबदल से 12 मिनिस्टर्स की छु्टी हो गयी। इसमें रविशंकर प्रसाद, हर्षवर्धन, रमेश पोखरियाल निशंक, प्रकाश जावड़ेकर, डी वी सदानंद गौड़ा, संतोष गंगवार जैसे सीनीयर बीजेपी नेताओं के नाम शामिल हैं। मोदी के दूसरे कार्यकाल के पहले कैबिनेट विस्तार में क्षेत्रीय से लेकर जातिगत समीकरणों को भी साधने की कोशिश की गई है। प्रशासनिक अनुभव वालों को भी जगह दी गई है।कई युवाओं को मौका दिया गया है। 

कैबिनेट मिनिस्टरों के हटाये जाने को लेकर अलग-अलग कारण
थावरचंद गहलोत, बाबुल सुप्रियो, संजय धोत्रे, रतनलाल कटारिया, प्रतापचंद सारंगी और देवश्री चौधरी ने भी कबिनेट से इस्तीफा दे दिया। गहलोत को कर्नाटक का गवर्नर बनाया गया है।प्रसिडेंट रामनाथ कोविंद ने इन सभी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया।दर्जन पर मिनिस्टरों को मोदी कैबिनेट से हटाये जाने को लेकर अलग-अलग कारण बताये जा रहे हैं।हेल्थ मिनिस्टर से लेकर एजुकेशन मिनिस्टर और आईटी मिनिस्टर से लेकर आईएनबी मिनिस्टर और लेबर मिनिस्टर की छुट्टी हो गयी है। कैबिनेट के इस विस्तार और फेरबदल में 36 नए चेहरों को शामिल किया गया है, जबकि सात वर्तमान राज्यमंत्रियों को प्रमोट कर कैबिनेट मिनिस्टर बनाया गया है।

रविशंकर प्रसाद के लिए ट्विटर विवाद पड़ा भारी !
लॉ एंड आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ट्विटर बनाम सरकार की लड़ाई में सरकार का चेहरा थे और इस मामले में यह आरोप लगे कि सरकार सोशल मीडिया को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है। ट्विटर ने जब कुछ घंटे के लिए रविशंकर प्रसाद का अकाउंट लॉक किया तो प्रसाद के रिएक्शन को लेकर भी सोशल मीडिया में काफी खिंचाई हुई।माना जा रहा है कि प्रसाद ने ट्विटर विवाद को सही से हैंडल नहीं किया, जिसकी वजह से सरकार और पीएम पर भी सवाल उठे, जो उनकी छुट्टी की एक वजह बना। प्रसाद के पास लॉ मिनिस्टरी भी था। पिछले महीने ही दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले में सख्त टिप्पणी की थी। पिंजरा तोड़ ग्रुप की सदस्य नताशा समेत तीन आरोपियों को बेल देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य ने संवैधानिक रूप से मिले विरोध के अधिकार और आतंकी गतिविधियों के बीच की लाइन को धुंधला कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में भी कई मामलों में लॉ मिनिस्टरी सरकार का पक्ष मजबूती से नहीं रख पाया।

जावडेकर के इस्तीफे के कारण
सूचना- प्रसारण मंत्री और पर्यावरण मंत्री रहे काश जावड़ेकर सरकार के प्रवक्ता होने भी थे। जावड़ेकर और उनके मंत्रालय की जिम्मेदारी थी कि वह कोरोना काल में सरकार की इमेज सही करने के लिए कदम उठाएं लेकिन उनका मिनिस्टरी इसमें असफल रहा। देसी मीडिया के अलावा विदेशी मीडिया में भी सरकार की बहुत किरकिरी हुई। इसका सीधे पीएम मोदी की इमेज पर असर पड़ा। जावडेकर की 70 साल की उम्र भी उनके हटने की एक वजह बताई जा रही है। 
कोविड मिसमैनेजमेंट के कारण हर्षवर्धन को हटना पड़ा
कोरोना की सेकेंड वेव में मिसमैनेजमेंट को लेकर हेल्थ मिनिस्टर लगातार विपक्ष के निशाने पर भी थे। हॉस्पिटल बेड की कमी, ऑक्सिजन की कमी और दिक्कतों से निपटने में हेल्थ मिनिस्टर हेल्थ मिनिस्टर डॉ हर्षवर्धन का एक्टिव ना दिखना उनके जाने की वजह बना। कोरोना की सेकेंड वेव में मोदी सरकार पर भी कई सवाल उठे और हेल्थ मिनिस्ट्री हालात से निपटने के अलावा सरकार के खिलाफ लगातार नेगेटिव बन रहे परसेप्शन से डील करने में असफल रही। पिछली सरकार में भी हर्षवर्धन से हेल्थ मिनिस्ट्री वापस ली गई थी।
हेल्थ के कारण कैबिनेटे से हटाये गये निशंक
एजुकेशन मिनिस्टर रमेश पोखरियाल निशंक को अपनी खराब स्वास्थ्य के कारण कैबिनेट से बाहर होना पड़ा है। कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें काफी दिक्कत आ गई थी। कोरोना से रिकवर होने के बाद उन्हें कई तरह की दिक्कत हुई।15 दिन तक आईसीयू में रहना पड़ा। हालांकि उनकी क्वॉलिफिकेशन को लेकर भी बीच बीच में विपक्ष सवाल उठाता रहा है।

कोरोना काल में विफलता बना गंगवार की छुट्टी का कारण
कोरोनाकाल में प्रवासी मजदूरों की दिक्कतों को सही से डील न करने को लेकर लेबर मिनिस्ट्री सवालों के घेरे पर थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मसले पर मिनिस्ट्री पर सख्त टिप्पणी की थी। प्रवासी मजदूरों की खराब हालत को लेकर सरकार पर देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब सवाल उठे। इस कारण लेबर मिनिस्टर संतोष गंगवार को मोदी सरकार से बाहर का रास्ता दिखाया गया है।

केमिकल और फर्टिलाइजर मिनिस्टर सदानंद गौड़ा को हटाने के पीछे कर्नाटक में सरकार के भीतर चल रही उथल पुथल भी एक वजह है। पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी के परफॉरमेंस की वजह से बाबुल सुप्रियो और देबाश्री चौधरी की मोदी कैबिनेट से छुट्टी हुई। मंत्री होने के बावजूद बाबुल सुप्रियो विधानसभा सीट भी नहीं जीत पाये। उनके कुछ बयानों ने भी पार्टी की किरकिरी की। देबाश्री चौधरी भी बंगाल चुनाव में असरदार साबित नहीं हुई।थावरचंद गहलोत को मंत्री पद से हटाकर कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया है और इसके पीछे उनकी उम्र को वजह बताया गया। राज्यमंत्री संजय धोत्रे को स्वास्थ्य वजह से इस्तीफा देना पड़ा। रतनलाल कटारिया, प्रताप सारंगी को उनके रिपोर्ट कार्ड का आधार बनाकर कैबिनेट से हटाया गया। 

कैबिनेट विस्तार में चुनावी स्टेट, क्षेत्रीय संतुलन

मोटी कैबिनेट में शामिल  किये नये 36 मिनिस्टर्स में आठ ऐसे हैं जिनकी उम्र 50 साल से कम है। पश्चिम बंगाल के कूचबिहार से पहली बार एमपी बने 35 साल के निशिथ प्रमाणिक सबसे कम उम्र के मंत्री हैं। बंगाल के ही बनगांव से पहली बार एमपी बने शांतनु ठाकुर की उम्र 38 साल है। वह बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी के बांग्लादेश दौरे पर उनके साथ गये थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया (50), अश्विनी वैष्णव (50), अनुप्रिया पटेल (40), भारती प्रवीण पवार (42), जान बरला (45) और एल. मुरुगन (44) की उम्र 50 साल या उससे कम है। कैबिनेट विस्तार के बाद अब टीम मोदी की औसत उम्र 58 साल हो गई है।

कैबिनेट में चुनावी स्टेट पर खास फोकस
मोदी कैबिनेट के विस्तार में उन स्टेट पर खास फोकस रखा गया है जहां 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। कैबिनेट विस्तार में यूपी से सबसे ज्यादा सात नये चेहरे रखे गये हैं। इनमें महाराजगंज से एमपी पंकज चौधरी, मोहनलालगंज से एमपी कौशल किशोर, आगरा से एमपी एसपी सिंह बघेल, खीरी से एमपी अजय मिश्र, पूर्वी सीएम कल्याण सिंह के खास और राज्यसभा एमपी बीएल वर्मा और जालौन से एमपी भानु प्रताप वर्मा को भी जगह दी गई है। बीजेपी के सहयोगी अपना दल (एस) की चीफ और मिर्जापुर से एमपीअनुप्रिया पटेल को भी फिर से कैबिनेट में जगह दिया गया है।कैबिनेट में पंजाब से कोई नया चेहरा तो शामिल नहीं हुआ लेकिन हरदीप पुरी का प्रमोशन कर महत्वपूर्ण व बड़ा विभाग दिया गया है। रमेश पोखरियाल निशंक के इस्तीफे के बाद उत्तराखंड से अजय भट्ट को मोदी कैबिनेट में जगह दी गई है। मणिपुर में भी अगले साल चुनाव है। वहां से राजकुमार रंजन सिंह को कैबिनेट में जगह मिली है।

बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात से कई मिनिस्टर
पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और कर्नाटक से चार-चार नये मिनिस्टर बनाये गये हैं। गुजरात से तीन और एमपी को मोदी कैबिनेट में को जगह मिली है। बंगाल से चार एमपी को मोदी कैबिनेट में जगह दी गई है जबकि सरकार में पहले से शामिल बाबुल सुप्रियो और देवाश्री चौधरी की छुट्टी कर दी गयी है। शांतनु ठाकुर, जान बारला, नीतिश प्रमाणिक और सुभाष सरकार को मिनिस्टर बनाया गया है। इससे जाहिर होता है कि बीजेपी बंगाल को लेकर कितनी गंभीर है। 

सहयोगी दलों का लिया साथ
राम विलास पासवान के निधन के बाद मोदी कैबिनेट में सिर्फ रामदास आठवले ही गैर-बीजेपी मंत्री थे। लेकिन विस्तार में जेडीयू से आरसीपी सिंह, एलजेपी के बागी गुट के पशुपति पारस और यूपी में अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल को जगह देकर बीजेपी ने 'एनडीए कैबिनेट' का रूप देने की कोशिश की है।

क्षेत्रीय संतुलन का ख्याल
कैबिनेट विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन का भी ख्याल रखा गयाहै। हिंदी हार्टलैंड से लेकर पूर्वोत्तर, पश्चिम से लेकर पूर्वी भारत और दक्षिण भारत तक को प्रतिनिधित्व देने की भरपूर कोशिश की गई है। साउथ में कर्नाटक के चार व तमिलनाडु से एल. मुरुगन को भी मिनिस्टर बनाया गया है। मुरुगन संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। उन्हें थावर चंद गहलोत के इस्तीफे के बाद खाली हुई सीट पर राज्यसभा भेजा जा सकता है। गहलोत का राज्यसभा कार्यकाल 2024 तक था।

कैबिनेट में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी
मोदी कैबिनेट विस्तार में सात महिलाओं मीनाक्षी लेखी, अनुप्रिया पटेल, अन्नपूर्णा देवी, भारती प्रवीण पवार, प्रतिमा भौमिक, दर्शना विक्रम जरदोश और शोभा करंदलाजे को जगह दी गई है। अब टीम मोदी में महिला मंत्रियों की संख्या 11 हो गई है।

प्रशासनिक अनुभव के साथ प्रोफेशनल्स को भी मौका
जेडीयू कोटे से मिनिस्टर बने आरसीपी सिंह और ओडिशा से बीजेपी एमपी अश्विनी वैष्णव ब्यूरोक्रेट्स रह चुके हैं। आरसीपी राजनीति में आने से पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार के प्रिंसिपल सेकरटेरी रहे थे। वहीं, अश्विनी वैष्णव 1994 बैच के आईएएस अफसर रहे हैं। नये मिनिस्टर्स में चार एमबीबीएस/एमएस हैं। कुछ ने पीएचडी किया हुआ है तो कुछ ने बीटेक, एमटेक, लॉ और एमबीए किया हुआ है। टीम मोदी में अब कुल 13 वकील, छह डॉक्टर, पांच इंजीनियर, सात ब्यूरोक्रेट्स, सात पीएचडी और तीन एमबीए डिग्रीधारी शामिल हैं।