धनबाद : जज उत्तम आनंद मर्डर केस: कई आपत्तिजनक सामग्री बरामद, फिर सात दिन के रिमांड पर दोनों आरोपित

धनबादके जिला एवं सत्र न्यायाधीश (अष्टम) उत्तम आनंद की मर्डर की जाच कर रही सीबीआइ की स्पेशल सेल ने सोमवार को स्पेशल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अभिषेक श्रीवास्तव की कोर्ट में आवेदन देकर दोनों आरोपितों लखन वर्मा और राहुल वर्मा को और आठ दिनों की सीबीआइ रिमांड में देने की प्रार्थना की। कोर्ट ने ने दोनों आरोपितों को सात दिनों की रिमांड पर देने का आदेश दिया। कोर्ट ने 11 अक्टूबर को दोनों को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। 

धनबाद : जज उत्तम आनंद मर्डर केस: कई आपत्तिजनक सामग्री बरामद, फिर सात दिन के रिमांड पर दोनों आरोपित
  • पेशेवर की तरह बयान बदल रहे ऑटो ड्राइवर व सहयोगी

धनबाद। जिला एवं सत्र न्यायाधीश (अष्टम) उत्तम आनंद की मर्डर की जाच कर रही सीबीआइ की स्पेशल सेल ने सोमवार को स्पेशल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अभिषेक श्रीवास्तव की कोर्ट में आवेदन देकर दोनों आरोपितों लखन वर्मा और राहुल वर्मा को और आठ दिनों की सीबीआइ रिमांड में देने की प्रार्थना की। कोर्ट ने ने दोनों आरोपितों को सात दिनों की रिमांड पर देने का आदेश दिया। कोर्ट ने 11 अक्टूबर को दोनों को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। 

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कई आपत्तिजनक समान बरामद

इसके पूर्व 29 सितंबर को सीबीआइ ने दोनों को छह दिनों के लिए रिमांड पर लिया था। सीबीआइ ने सोमवार को दोनों को कोर्ट में पेश किया और आठ दिनों की अतिरिक्त रिमांड की माग की। केस के आई्ओ ने कोर्ट में आवेदन देकर आटो चोरी के मामले में दर्ज एफआइआर में दोनों से पूछताछ के लिए आठ दिनों की कस्टडी की माग करते हुए कहा कि छह दिनों की पूछताछ के दौरान कई आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई है। आरोपित लगातार अपना बयान बदल रहे हैं। इससे बहुत संदेह पैदा होता है कि वे पेशेवर क्रिमिनल के रूप में व्यवहार कर रहे हैं। आटो के नंबर प्लेट को खोजने के लिए कुछ और समय की आवश्यकता है। 
साजिशकर्ता का लगाना है पता
सीबीआइ ने दलील देते हुए कहा कि पूछताछ में यह पता चलने की संभावना है कि नंबर प्लेट कहा है। अब तक कि जाच से पता चलता है कि दोनों ने अपराध को अंजाम दिया है, लेकिन क्या इसकं अन्य की संलिप्तता है, इसे स्थापित किया जाना आवश्यक है। इसके लिए और रिमाड की जरूरत है।सीबीआइ के अभियोजक ने दलील देते हुए कहा कि दोनों आरोपितों के अपराध और आटो चोरी के पीछे मकसद और साजिश को उजागर करने करने के लिए और जांच की जरूरत है।
सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि ऑटो का नंबर प्लेट बरामद करने के लिए यह पता लगाना जरूरी है कि आरोपियों ने नंबर प्लेट को कहां तोड़ कर फेंका है। ऑटो चोरी का मकसद क्या था। इस कांड में उन्हें किन लोगों ने मदद की। सीबीआई ने दावा किया है कि रिमांड अवधि बढ़ाई जाय तो इन तथ्यों का खुलासा हो सकता है।

सीबीआई की ओर से 30 अक्तूबर को हाईकोर्ट में दाखिल किये गये केस के स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया है कि सीबीआई इस केस में कड़ी से कड़ी जोड़ रही है। अब तक के अनुसंधान में सीबीआई ने कई साक्ष्य जुटाए हैं जिससे साफ है कि ऑटो चालक लखन वर्मा और राहुल वर्मा ने जानबूझ कर जज को टक्कर मारी थी। सीबीआई पता लगा रही है कि इसके पीछे कौन लोग शामिल थे।

फ्लैश बैक
जज उत्तम आनंद 28 जुलाई की सुबह घर से मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर पांच बजकर आठ मिनट पर जज को  मिनट पर एक ऑटो ने धक्का मार दिया। हॉस्पीटल ले जाने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित किया। घटना का सीसीटीवी फुटेज देखने से ऐसा प्रतीत हुआ कि यह हादसा नहीं है। जज को जानबूझकर धक्का मारा गया। मामले में ऑटो ड्राइवर के खिलाफ मर्डर की एफआइआर दर्ज की गयी। पुलिस ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथी राहुल वर्मा को अरेस्ट कर ली। जज की मौत को सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया। झारखंड सरकार द्वारा गठित एसआइटी ने मामले की जांच कर रही थी। झारखंड गवर्नमेंट की । झारखंड सरकार की अनुशंसा पर मामले की जांच की जिम्मेवारी सीबीआइ को सौंप दी गई।अब तक कोई भी एक ऐसा साक्ष्य नहीं मिला है तो साजिश की ओर इशारा करते हों। केस की जांच की मोनेटरिंग हाईकोर्ट कर रही है। सीबाआइ को  प्रत्येक सप्ताह हाई कोर्ट में जांच की प्रगति रिपोर्ट सौंपनी है।