दिल्ली हाईकोर्ट से शिबू सोरेन को बड़ा झटका, आय से अधिक संपत्ति की सीबीआई जांच होगी

रखंड के एक्स सीएम व जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन को दिल्ली हाइकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में झामुमो सुप्रीमो एमपी शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल द्वारा शुरू की गयी कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

दिल्ली हाईकोर्ट से शिबू सोरेन को बड़ा झटका, आय से अधिक संपत्ति की सीबीआई जांच होगी
शिबू सोरेन (फाइल फोटो)।
  • लोकपाल की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार

रांची। झारखंड के एक्स सीएम व जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन को दिल्ली हाइकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में झामुमो सुप्रीमो एमपी शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल द्वारा शुरू की गयी कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

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हाई कोर्ट ने कहा है कि यह लोकपाल को निर्णय लेना है कि जांच के उद्देश्य को पूरा करने को लेकर आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सामग्री है या नहीं। बीजेपी के गोड्डा एमपी निशिकांत दुबे ने शिबू सोरेन व उनके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ आय सेअधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए लोकपाल में कंपलेन दर्ज करायी थी। लोकपाल ने सीबीआइ को पीइ दर्जकर जांच करनेका आदेश दिया था, जिसे शिबू सोरेन ने हाइकोर्ट में चुनौती दी थी। हाइकोर्ट के जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने सोमवार को उक्त फैसला सुनाते हुए शिबू सोरेन को राहत देने से इनकार कर दिया । कोर्ट ने मामलेके गुण-दोष पर कोई टिप्पणी किये बिना याचिका का निपटारा कर दिया।
पूर्व में 22 सितंबर 2023 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट  के उक्त फैसले से शिबू सोरेन के खिलाफ सीबीआइ जांच (प्रारंभिक जांच)  का रास्ता साफ हो गया है। इससे पूर्व मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि लोकपाल व लोकायुक्त अधिनियम 2013 की धारा-53 के तहत अपराध के सात वर्ष बीत जाने के बाद किसी भी कंपलेन की जांच करनेका अधिकार लोकपाल को नहीं है।  बताया गया कि यह मामला झारखंड राज्य बनाम शिवशंकर शर्माऔर एच सोरेन बनाम शिवशंकर शर्मा की एसएलपी में शीर्ष अदालत के फैसले के तहत पूरी तरह से कवर किया गया है। उनके खिलाफ मामला पूरी तरह से दुर्भावनापूर्ण और राजनीति से प्रेरित है। इसलिए लोकपाल के आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए।
लोकपाल की ओर से कहा गया था कि इस मामले में शिबू सोरेन के किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया है। प्रारंभिक जांच में उचित कार्रवाई की गयी है। इसमें यह पता लगाना शामिल है कि शिकायत में उल्लेखित संपत्ति शिबू सोरेन व उनके परिवार के पास है भी या नहीं। शिबू सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल नेब हस की थी। लोकपाल की ओर से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने पक्ष रखा। प्रार्थी शिबू सोरेन ने लोकपाल द्वारा शुरू की गयी कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी। कोर्ट  ने पूर्व में शिबू सोरेन के खिलाफ भारत के लोकपाल की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।