झारखंड में कांग्रेस जिलाध्यक्षों की लिस्ट पर विवाद, एक भी महिला,अल्पसंख्यक और दलित नहीं

झारखंड में कांग्रेस के सभी 25 संगठनात्मक जिले के जिलाध्यक्षों लिस्ट जारी होते ही पार्टी में विवाद शुरू हो गया है। पार्टी के कई एमएलए, एक्स एमपी व सीनीयर लीडर्स ने  जिलाध्यक्षों के चयन में महिला,अल्पसंख्यक और दलित समुदाय को इग्नोर करने का आरोप लगाया है। प्रदेश प्रभारी प्रभारी अविनाश पांडेय और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर पर ही आरोप लग रहा है। 

झारखंड में कांग्रेस जिलाध्यक्षों की लिस्ट पर विवाद, एक भी महिला,अल्पसंख्यक और दलित नहीं
  • नेशनल प्रसिडेंट मल्लिकार्जुन खरगे तक पहुंची शिकायत

रांची। झारखंड में कांग्रेस के सभी 25 संगठनात्मक जिले के जिलाध्यक्षों लिस्ट जारी होते ही पार्टी में विवाद शुरू हो गया है। पार्टी के कई एमएलए, एक्स एमपी व सीनीयर लीडर्स ने  जिलाध्यक्षों के चयन में महिला,अल्पसंख्यक और दलित समुदाय को इग्नोर करने का आरोप लगाया है। प्रदेश प्रभारी प्रभारी अविनाश पांडेय और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर पर ही आरोप लग रहा है। 

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झारखंड कांग्रेस जिलाध्यक्षों की लिस्ट में नहीं हैं एक भी महिला, अल्पसंख्यक और दलित नहीं है। आरोप लग रहा है  कि प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय ने अपनी जाति के लोगों को तरजीह दी है। यही वजह है कि जिस जाति से अविनाश पांडेय आते हैं उससे सात जिला के अध्यक्ष बनाये गये हैं। स्टेट के किसी जिला में महिला, दलित और अल्पसंख्यक को अध्यक्ष नहीं बनाया गया है। कांग्रेस के सीनीयर लीडर्स ने इसको लेकर आपत्ति जतायी है। विवाद को देखते सोमवार को प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के साथ सुबोधकांत सहाय, बंधु तिर्की, सुखदेव भगत सहित कई नेताओं ने इस पर चर्चा की है। प्रदेश को नेताओं का मानना है कि चयन संतुलित नहीं है। इसमें कई वर्गों को छोड़ दिया गया है।
खरगे से मिलकर फुरकान ने जताया विरोध
गोड्डा के एक्स एमपी फुरकान अंसारी ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात कर जिलाध्यक्षों की सूची को लेकर आपत्ति जतायी है। श्री अंसारी ने कहा कि राज्य में गठबंधन की सरकार बनाने के लिए एक समुदाय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। लेकिन आज पार्टी की ओर से निराश किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि जिलाध्यक्षों की सूची पर पार्टी के कई एमएलए को भी आपत्ति है।
वहीं पार्टी नेताओं का कहना है कि कुछ कमी रह गयी है। इसे दूर कर लिया जायेगा। पार्टी नेताओं के सुझाव पर काम होगा़ कहीं कोई विवाद नहीं है। जिलाध्यक्षों का चयन लोकतांत्रिकतरीके से हुआ है। किसी को इसपर कोई आपति है तो पार्टी उसपर गंभीरता से विचार करेगी।
पहले इंटरव्यू, फिर मार्किंग के आधार पर हुआ सेलक्शन
कांग्रेस जिलाध्यक्ष का सलेक्शन इंटरव्यू लेकर किया गया था। इसके लिए पार्टी ने सात-आठ प्रश्नों का फॉरमेट बनाया था़। इसके लिए नेताओं की पार्टी में भूमिका, पूर्व का अनुभव और कामकाज देखा गया है़। इंटरव्यू में प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष और जिला के संयोजक बैठे थे़। नेताओं का नंबर के आधार पर सलेक्शन किया गया है़। इंटरव्यू की प्रक्रिया के बाद संगठन की ओर से
जारी सूची के बाद विवाद बढ़ा है़। इसमें एक भी महिला, दलित और अल्पसंख्यक को मौका नहीं मिला। अब पार्टी को राजनीतिक समीकरण का ख्याल आ रहा है।