CIMFR Dhanbad honorarium scam : एक्स डायरेक्टर पीके सिंह व चीफ साइंटिस्ट के खिलाफ CBI ने दर्ज किया FIR

सीएसआइआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च (CIMFR) धनबाद में 1.39 अरब से अधिक के honorarium scam (मानदेय घोटाला) में सिंफर के एक्स डायरेक्टर डॉ पीके सिंह तथा चीफ साइंटिस्ट एके सिंह के खिलाफ CBI ने FIR दर्ज किया है। मामले में अन्य अननोन को भी एक्युज्ड बनाया गया है। 

CIMFR Dhanbad honorarium scam : एक्स डायरेक्टर पीके सिंह व चीफ साइंटिस्ट के खिलाफ CBI ने दर्ज किया FIR
डॉ पीके सिंह पर कसा शिकंजा।

धनबाद। सीएसआइआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च (CIMFR) धनबाद में 1.39 अरब से अधिक के honorarium scam (मानदेय घोटाला) में सिंफर के एक्स डायरेक्टर डॉ पीके सिंह तथा चीफ साइंटिस्ट एके सिंह के खिलाफ CBI ने FIR दर्ज किया है। मामले में अन्य अननोन को भी एक्युज्ड बनाया गया है। यह भी पढे़ं:Jharkhand cabinet: श्रावणी मेला को लेकर बनेंगे 44 अस्थायी ओपी, हॉस्पिटल के लिए छह करोड़ 87 लाख की राशि स्वीकृत
CIMFR एक्स डायरेक्टर डॉ पीके सिंह तथा चीफ साइंटिस्ट एके सिंह पर सीएसआइआर के नियमों का उल्लंघन कर incentive मद में राशि निकासी का आरोप है। एक्स डायरेक्टर पर 15,36,72,000 रुपये व एके सिंह पर 9,04,31,337 रुपये मानदेय लेने का आरोप है।
यह है मामला
CBI ने ने 25 जून को सिंफर के एक्स डायरेक्टर व चीफ साइंटिस्ट पर एफआइआर दर्ज की है। दोनों के खिलाफ 420, 13(2) सहित कई अन्य आइपीसी सेक्शन के तहत एफआइआर दर्ज की गयी है। एक ज्ञात स्रोत से शिकायत मिली थी कि सिंफर के तत्कालीन डायरेक्टर ने वर्ष 2016 से 2021 के बीच तय नियमों को तोड़ कर incentive लिया। इस मानदेय मद में सीएसआइआर को 1,39,79,97,871 रुपये का नुकसान हुआ है। एफआइआर के अनुसार, 28 अक्तूबर 2015 को एक एमओयू हुआ था, इसमें सिंफर को कोयला की गुणवत्ता जांच के लिए ऑर्डर मिला था। इस मामले में सिंफर को थर्ड पार्टी सैंपलिंग एजेंसी के रूप में चुना गया था। यह एमओयू 10 वर्ष के लिए हुआ था। इसे अगले पांच वर्षों तक जारी रखने का भी प्रावधान था।
पांच वर्षों में 1.39 अरब का पेमेंट
एफआइआर के अनुसार, वर्ष 2016 से 25 मार्च 2021 के बीच सिंफर के वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं कर्मियों के बीच incentive के रूप में 1,39,79,97,871 रुपये का भुगतान हुआ। इसमें तत्कालीन डायरेक्टर के अकाउंट में 15,36,72,000 रुपये (लगभग) तथा एके सिंह के अकाउंट में 9,04,31,337 (लगभग) रुपये का ट्रांसफर मानदेय के रूप में हुआ। incentive राशि सिंफर के गैर तकनीकीकर्मियों के बीच भी हुआ। प्रथमदृष्टया यह मामला गलत माना गया है। यह सीएसआइआर के नियमों का उल्लंघन है। अन्य कर्मियों के चयन में भी गड़बड़ी का आरोप है। सीबीआइ धनबाद के एसपी पीके झा ने इंस्पेक्टर अमरनाथ ठाकुर को आइओ बनाया है।
सीबीआइ ने आरोप लगाया है कि दोनों ने साजिश रची, जिसके तहत सीआइएमएफआर के विज्ञानियों, तकनीकी अधिकारियों और प्रशासनिक कर्मचारियों को 2016 और 2021 के बीच मानदेय, बौद्धिक शुल्क और परियोजना शुल्क के रूप में 137.79 करोड़ रुपये का वितरण किया गया। सीबीआइ का आरोप है कि प्रजेक्ट में लाइब्रेरियन, डॉक्टर और टेक्लीनकल अफसरों को कोयले के सैंपल की जांच के लिए रुपये का भुगतान किया गया, जबकि इसमें उनका कोई योगदान नहीं था। सीएसआइआर के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए 304 कोल सैंप्ल प्रोजेक्ट की ओर से पीके सिंह को 15.36 करोड़ और एके सिंह को 9.04 करोड़ रुपये बौद्धिक शुल्क के रूप में प्राप्त हुए थे।
सीएसआइआर कोयले के सैंपल की जांच का करती है काम
सीएसआइआर-सीआइएमएफआर (सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च) कोयला कंपनियों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले कोयले के सैंपल की जांच और विश्लेषण के लिए थर्ड पार्टी एजेंसी के रूप में कार्य करती है। कोयला उत्पादकों और ऊर्जा से जुड़ी कंपनियों से संस्था ने 10 वर्षों के लिए चार एमओयू साइन किया था।इस समझौते में विशेष तौर पर कहा गया है कि कोयले की गुणवत्ता की जांच वार्षिक स्तर पर की जाएगी। साथ ही छोटी अवधि के लिए विभिन्न प्रोजेक्ट में इस समझौते का कोई उप विभाजन नहीं किया जायेगा। हालांकि, सीएसआइआर-सीआइएमएफआर की ओर से कई समझौतों को एक परियोजना में जोड़कर 304 कोल सैंपल प्रोजेक्ट बनाई गईं।
घोटाला के कारण एके सिंह को नहीं मिला एक्सटेंशन

सिंफर में incentive घोटाले की कंपलेन पहले सीएसआइआर के विजीलेंस से की गयी थी। विजीलेंस जांच के बाद सीएसआइआर के तत्कालीन डीजी ने incentive पेमेंट पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इस कारण सिंफर के तत्कालीन डायरेक्टर पीके सिंह को निदेशक के रूप में एक्सटेंशन नहीं मिला। रिटायरमेंट से एक दिन पहले सीएसआइआर द्वारा उन्हें चार्जशीट भी किया गया था। इसके बाद incentive राशि वापसी की प्रक्रिया भी शुरू हुई. इसे एक कर्मी ने झारखंड हाइकोर्ट में चुनौती दी। इस दौरान हाइकोर्ट के आदेश पर incentive रिकवरी पर रोक लगी।