बिहार: रुपेश मर्डर केस: 43 दिन बाद लिया रोडरेज का बदला, ऐसा पहली बार हुआ, बच गया मास्टरमाइंड !

राजधानी पटना  पुलिस बिहार के हाइप्रोपाइल रूपेश सिंह मर्डर केस के रहस्‍योद्घाटन का दावा तो कर रही है, लेकिन किसी को पुलिस की थ्योरी पर भरोसा नहीं हो रहा है। मर्डर के अनोखे कारण पर किसी को विश्‍वास नहीं हो रहा। न तो रूपेश के फैमिली वाले पुलिस की थ्‍योरी को मान रहे हैं और न ही आम आदमी।

बिहार: रुपेश मर्डर केस: 43 दिन बाद लिया रोडरेज का बदला,  ऐसा पहली बार हुआ,  बच गया मास्टरमाइंड !

पटना। राजधानी पटना  पुलिस बिहार के हाइप्रोपाइल रूपेश सिंह मर्डर केस के रहस्‍योद्घाटन का दावा तो कर रही है, लेकिन किसी को पुलिस की थ्योरी पर भरोसा नहीं हो रहा है। मर्डर के अनोखे कारण पर किसी को विश्‍वास नहीं हो रहा। न तो रूपेश के फैमिली वाले पुलिस की थ्‍योरी को मान रहे हैं और न ही आम आदमी।

पुलिस के पास आरोपी रितुराज के घटनास्‍थल पर होने और फरारी के एवीडेंस मिले हैं, इसलिए उसकी सं‍लप्तिता से इन्‍कार नहीं किया जा सकता। मगर कहानी समझ से परे हैं। आशंका जतायी जा रही है कि पुलिस मास्टरमाइंड को बचा तो नहीं रही है। विपक्ष मामले को लेकर हमलावर है। मर्डर में सत्ता से जुड़े सफेदपोशों के जुड़े होने का आरोप लगाया गया था।

आरोपी को विवाद की डेट याद नहीं

 बिहार के पुलिस के कई सीनीयर अफसर कहते हैं कि उन्‍होंने अपने कार्यकाल में रोडरेज की कई घटनाएं देखीं। लेकिन, यह मामला अनोखा है। वारदात के 43 बाद बदला लिया गया। आरोपित को रूपेश के गाड़ी के नंबर से लेकर ऑफिस आने-जाने तक का टाइम याद है। मगर वह यह नहीं बता पा रहा है कि उसकी बाइक रूपेश की कार से नवंबर 2020 में किस डेट को टकराई थी? ऐसा इसलिए भी क्‍योंकि पुलिस एक ऐसे युवक को आरोपित बता रही है, जिसने पहली बार आर्म्स उठाया और टारगेट का काम भी तमाम कर दिया।

 रोडरेज में ऑन द स्‍पॉट होता है फैसला

एक्सपर्टस का कहना है कि रूपेश सिंह की मर्डर संगठित अपराध की कटेगरी में है। बिहार में पहले भी रोडरेज की घटनाएं हुई हैं, जिसमें गया में आदित्‍य सचदेवा की मर्डर हाल के सालों में काफी चर्चित रही। रोडरेज की रिएक्‍शन तुरंत दिखता है। उसमें हाथापाई भी होकर भी मामला शांत हो जाता है तो कई बार मर्डर भी हो जाती है। रोडरेज में जो कुछ होता है, ऑन द स्‍पॉट होता है। इसके लिए कोई दो महीने तक बैठकर प्‍लानिंग नहीं करता। अगर रितुराज बाइक चोर है तो वह दो महीने तक अपना धंधा-पानी छोड़कर रूपेश सिंह के पीछे ही पड़ा नहीं रहता।

पु‍लिस सच उगलवा नहीं पा रही

एक्सपर्टस की माने तो पुलिस रितुराज से पुलिस सच्‍चाई उगलवाने में कामयाब नहीं हो पा रही। या पुलिस मामले की गहराई तक जाना नहीं चाहती है। पुलिस को Psychologist से मदद लेनी चाहिए, जिससे यह स्‍पष्‍ट हो सके कि रितुराज सच बोल रहा है या झूठ। संभव है कि रितुराज सुपारी किलर हो और वह साजिशकर्ता को बचाने की फिराक में है। नवंबर 2020 की जिस घटना का रितुराज उल्लेख कर रहा है, उस दिन उसने रूपेश की गाड़ी को रोककर मारने का प्रयास किया हो। मगर रूपेश के साथ और लोग थे, इसलिए वह कामयाब नहीं हो सका।

Road rage की घटना का बदला लंबे अंतराल के बाद

सवाल उठ रहा है कि Road rage की घटना का बदला इतने लंबे अंतराल के बाद किसी की मर्डर करने की बात समझ से परे है। रूपेश को जिस प्रकार कई गोलियां मारी गईं, उससे कोई विश्वास नहीं करेगा कि हमलावर ऋतुराज ने पहली बार गोली चलाई है। पुलिस को रोडरेज की सीसीटीवी फुटेज भी सार्वजनिक करनी चाहिए थी। परिजन भी यह कह रहे हैं रोडरेज की घटना में कोई विवाद नहीं हुआ था। ऐसे में पुलिस की थ्योरी संदेहास्पद लग रही है।आरोपी करोड़पति बाप का इकलौता बेटा है और बाइक चोरी कर रहा था। आर्म्स लेकर चलता था। कबी पुलिस गिरफ्त में नहीं आ सका। पहली बार फायरिंग कर मर्डर कर दिया यह गल से नहीं उतर पा रहा है।

पुलिस की रोडरेज थ्योरी पर सवाल दर सवाल
इंडिगो के पटना एयरपोर्ट स्टेशन मैनेजर रूपेश सिंह की मर्डर के मामले में  पुलिस की रोडरेज थ्योरी सवालों के घेरे में है। रूपेश के पिता ने कहा है कि वह इस स्वभाव का था ही नहीं कि किसी से लड़ाई-झगड़ा हो।  पत्नी ने भी इसे खारिज करते हुए कहा है कि रूपेश की गाड़ी से आरोपित की बाइक टकराने के बारे में जो बताया जा रहा है, वह गलत है।

पुलिस की संदेहास्पाद स्टोरी पर सवाल

पुलिस ने कहा है कि 29 नवंबर को रोडरेज की घटना हुई थी। मुख्य आरोपी ऋतुराज की बाइक रूपेश की एमजी हेक्टर कार से टकराने के बाद उसकी रूपेश से झड़प हुई। रूपेश ने ऋतुराज को मारपीट भी कर दी। इससे उसने जैसी घटना को अंजाम दिया।

सवाल:ऋृतुराज ने 43 दिन के बाद इसका बदला लिया? रोडरेज की घटनाओं में अमूमन जो कुछ भी होता है, तत्काल ही। अब तक के केसों में यही देखा गया है। यह मामला थोड़ा अलग दिख रहा, जिस पर परिजन ही नहीं आमलोग भी सवाल उठा रहे हैं।

एसएसपी उपेंद्र कुमार शर्मा ने मर्डर के पीछे के कारण और आरोपित ऋतुराज की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी मीडिया को बताई। एसएसपी का कहना है कि ऋतुराज बाइक चोर तो है, लेकिन उसने कभी आरर्म्स का प्रयोग नहीं किया।

रूपेश की 12 जनवरी को मर्डर के बाद डीजीपी तक ने यह अनुमान लगाया था कि यह किसी पेशेवर क्रिमिनल का काम है।

सवाल: अगर ऋतुराज ने इससे पहले कभी गोली नहीं चलाई थी तो फिर ऑटोमैटिक पिस्टल से उसने ताबड़तोड़ गोलियां कैसे फायर कर दीं। रूपेश के बॉडी के एक ही तरफ  छह गोलियां लगी थीं।

सवाल: एसएसपी ने कहा कि घटनास्थल क्रिमिनलों के लिए सेफ जगह नहीं है। ऐसे में कोई भी क्रिमिनल 43 दिन तक पीछा करने के बाद वैसी जगह क्यों चुनेगा?

एसएसपी ने कहा है कि ऋतुराज बाइक चोरी करता था। वह हर दस दिन पर बाइक बदलता था। उसके पिता मनोरंजन सिंह चार-चार ईंट-भट्ठे के मालिक हैं। ऋतुराज उनका इकलौता वारिस है। रामकृष्णनगर में उनका आलीशान घर है। इश घर से उसके पिता को 70 हजार रुपये मथली रेंट के रूप में आता है। वह अपने बेटे को दस हजार रुपये महीना पॉकेट खर्च के लिए देते हैं। वह जयपुर से भूगोल में ग्रेजुएशन किया है। कुछ साल दूसरे शहर में नौकरी भी की है। उसे नहीं पता था कि जिसकी मर्डर कर रहा है, वह प्रभावशाली व्यक्ति है।

सवाल : आरोपी ने जिस व्यक्ति का 43 दिन तक पीछा किया, उसके बारे में उसको कुछ भी पता नहीं होना आश्चर्यजनक है। वह पढ़ा-लिखा है। उसने यह जानने की कोशिश भी नहीं कि रूपेश आखिर एयरलाइंस की डे्रस में क्यों रहते हैं और एयरपोर्ट क्यों आते-जाते हैं?

सवाल : ऋृतुराज को जब पता था कि रूपेश अक्सर शाम छह बजे लौटते थे तो अपने साथियों के साथ राजवंशीनगर में मंदिर के पास चार घंटे तक घात लगाकर क्यों बैठा रहा? 

तेजस्‍वी ने कहा- पुलिस ने खोज लिया बकरा

Rupesh Singh Murder Case  की पुलिसिया थ्योरी पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि मैंने 15 दिन पहले ही कह दिया था कि सरकार को अपनी 'नाक के बाल' और 'आंखों के तारे' को बचाने के लिए किसी बकरे की तलाश है। पुलिस को आखिरकार वह बकरा मिल गया है। तेजस्वी ने बयान जारी कर कहा कि यकीन मानिए यह कहानी C grade film में भी नहीं मिलेगी। उन्होंने ने पुलिस की कहानी सुनने की सबसे अपील भी की है।