कोलकाता: पीके ने की ममता से मुलाकात, BJP से निपटने के लिए टीएमसी के लिए काम करेंगे

  • बंगाल में 2021 की विधानसभा चुनाव में गढ़ बचाने के लिए ममता लेगी पीके की मदद
  • पीके की टीम एक महीने बाद टीएमसी के लिए शुरु कर देगी काम
कोलकाता: चुनावी रणनीतिकार प्रशात किशोर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी व टीएमसी के लिए काम करेंगे.ममता लोकसभा चुनाव में बंगाल में बीजेपी के प्रदर्शन के बाद अपना किला बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करने में लगी है. बताया जाता है कि ममता विधानसभा चुनाव के लिए चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की की सेवा लेंगी. पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं.प्रशांत किशोर की टीम अगले महीने से टीएमसी के लिए बंगाल में काम करना शुरू कर देगी. सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर ने गुरुवार को कोलकाता में ममता बनर्जी से मुलाकात की. दोनों की मुलाकात लगभग दो घंटे तक चली है. ममता ने मुलाकात के दौरानप्रशांत किशोर से टीएमसी के लिए काम करने का प्रस्ताव दिया. प्रशांत ने ममता के प्रस्ताव पर अपनी सहमति जता दी है.टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने 2011 में पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर लगातार 34 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज लेफ्ट को करारी शिकस्त देकर सत्ता हासिल की. ममता के कारण इस बार लोकसभा चुनाव में बंगाल में लेफ्ट का खाता भी नहीं खुलासका. बीजेपी बंगाल में तेजी से मजबूत होते हुए लोकसभा चुनाव में 42 में से 18 सीट जीतकर ममता की टेंशन बढ़ा दी है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट शेयर 40.3 परसेंट व टीएमसी का वोट प्रतिशत 43.3 परसेंट रहा था. बीजेपी 2014 में लोकसभा की मात्र दो सीट ही जीती थी. टीएमसी ने 34 सीटों पर कब्जा किया था. बीजेपी का पांच साल पहले वोट शेयर 17 परसेंट झा जो भठकर 40 परसेंट हो गया है. प्रशांत किशोर प्रशांत किशोर पीके नाम से फेमस हैं औ जाने-माने चुनावी रणनीतिकार हैं. पीके ने 2014 के लोकसभा चुनाव के में बीजेपी के लिए काम किया था. चुनाव में तीन दशकों बाद बीजेपी के रूप में किसी पार्टी को अकेले अपने दम पर बहुमत मिला था. इसके बाद से प्रशांत किशोर काफी तेजी से लोकप्रिय हुए. पीके ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस महागठबंधन के लिए काम किया था. चुनाव में महागठबंधन की जीत हुई और नीतीश सीएम बने. जेडीयू ने पीके को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है. पीके ने इस साल लोकसभा चुनाव के साथ हुए आंध्र प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के लिए काम किया था. चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस को जबरदस्त सफलता मिली है. पीके जदयू को बाय-बाय करेंगे राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से लंबी मुलाकात के बाद बिहार में सियासत तेज हो गयी है. कहा जा रहा है कि आंध्र प्रदेश में जगनमोहन को सफलता दिलाने के बाद अब वे ममता बनर्जी के साथ काम करेंगे. अभी प्रशांत किशोर एनडीए में शामिल जदयू में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर हैं. ममता बनर्जी एनडीए के घोर विरोधी हैं. ऐस में कहा जा रहा है कि पीके जल्द ही जदयू को बाय-बाय कह सकते हैं.पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को सत्ता में बनाए रखने का कांट्रैक्ट लेकर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जदयू से बाहर निकलने का रास्ता बना लिया है. पीके जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के बावजूद अंदरूनी विवाद के कारण पार्टी की गतिविधियों में शामिल नहीं हो रहे हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ही पीके का जदयू से अलगाव हो गया था. वह चुनाव भर आंध्र प्रदेश में सक्रिय रहे, जहां उनकी एजेंसी वाइएसआर कांग्रेस के लिए काम कर रही थी. सूत्रों का कहना है कि पीके खुद जदयू से इस्तीफा दे सकते हैं, क्योंकि तृणमूल से उनका लगाव बीजेपी के साथ जदयू के रिश्ते को प्रभावित कर सकता है.पीके कभी बीजेपी की पसंद हुआ करते थे. पीके 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव के अलावा 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा की जीत के लिए रणनीति बनायी थी. बिहार के बक्सर के रहनेवाले हैं पीके प्रशांत किशोर का जन्म बिहार के बक्सर जिले में हुआ. पीके पिता चिकित्सक डॉक्टर थे जिनका पिछले माह ही निधन हुआ है. पीके के बड़े भाई पटना में बिजनेस करते हैं. प्रशांत किशोर बिहार में शुरुआती पढ़ाई के बाद इंजीनियरिंग करने हैदराबाद चले गये. पीके ने पढ़ाई के बाद यूनिसेफ ज्वाइन किया, जहां उन्होंने ब्रांडिंग की जिम्मेदारी संभाली. पीके वर्ष 2011 में इंडिया वापस लौटकर गुजरात के चर्चित 'वाइब्रैंट गुजरात' आयोजन से जुड़े.पीके की वहां मुलाकात गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई. नरेंद्र मोदी ने प्रशांत किशोर से प्रभावित होकर उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने की जिम्मेदारी दी. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली भारी जीत का श्रेय प्रशांत किशोर को दिया गया.बाद में प्रशांत किशोर की बीजेपी से दूरियां बढ़ी और वह निराश होकर बिहार लौटे. बिहार में पीके की सीएम नीतीश कुमार से नजदीकी बढ़ी. पीके ने 2015 के विधानसभा चुनाव में सीएम नीतीश कुमार के लिए काम किया.