नई दिल्ली: CBI के DSP इंटरपोल , एनपी मिश्रा ने ज्वाइंट डायरेक्टर अजय भटनागर को हटाने की मांग की, बकोरिया कांड की जांच प्रभावित करने का आरोप

  • पीएमओ, सीबीआइ डायरेक्टर व सीवीसी से की गयी कंपलेन
नई दिल्ली: CBI के डीएसपी इंटरपोल एनपी मिश्रा ने सीबीआइ के ज्वाइंट डायरेक्टर (एडमिस्ट्रेशन) अजय भटनागर पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग की है. डीएसपी मिश्रा ने ज्वाइंट डायरेक्टर पर वर्ष 2015 की आठ जून की रात झारखंड पलामू के सतबरवा पुलिस स्टेशन एरिया के बकोरिया में हुई कथित पुलिस-नक्सली इनकाउंटर की जांच को प्रभावित करने का आरोप लगाया है. एनपी मिश्र ने सीबीआइ डायरेक्टर, सीवीसी व पीएमओ को कंपलेन की है. कंपलेन में कहा है कि बकोरिया इनकाउंटर की जांच सीबीआइ की स्पेशल क्राइम ब्रांच कर रही है. उन्होंने कहा है कि सीबीआइ की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए भटनागर को तुरंत एजेंसी से हटाया जाना चाहिए, अन्यथा वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर जांच को प्रभावित कर सकते हैं.एनपी मिश्र ने कहा है कि इस संबंध में मारे गए लोगों के परिजनों ने भी शिकायत दर्ज कराई है. डीएसपी ने कहा है कि सीबीआइ में बड़े पद कर रहते हुए भटनागर इस केस को प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे में उन्हें तत्काल पद से हटाया जाए. क्योंकि इस मामले में सीआइडी के अफसरों पर भी गंभीर आरोप लगे हैं. सीआइडी के अफसरों पर आरोप है कि उन्होंने लंबे समय तक मामले की जांच नहीं की. अजय भटनागर भी सीआइडी के एडीजी के पद पर पदस्थापित रहें हैं.डीएसपी ने आरोप लगाया है कि भटनागर के खिलाफ भ्रष्टाचार के भी गंभीर मामले हैं, जिसकी शिकायत उन्होंने कई बार की है. डीएसपी श्री मिश्र ने छत्तीसगढ़ के पत्रकार उमेश राजपूत हत्याकांड में भी सीबीआइ अफसरों पर भ्रष्टाचार और सुबूतों से छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे. जांच एजेंसी ने तब आरोपों को नकार दिया था। आरोपों के बाद मिश्र का ट्रांसफर कर दिया गया था.श्री मिश्र ने मामले कीदिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है और उस पर एक अक्टूबर को सुनवाई होनी है. भटनागर पर केस में गड़बड़ी करने का लगा था आरोप उल्लेखनीय है कि इनकाउंटर पर विवाद होने के बाद सीआइडी के तत्कालीन एडीजी रेजी डुंगडुंग को हटाकर अजय भटनागर को सीआइडी का एडीजी बनाया गया था. मारे गये लोगों के परिजनों ने अजय भटनागर के एडीजी रहने के दौरान परिजनों ने केस की जांच की धीमी रफ्तार व गड़बड़ी का आरोप लगाया था. इसके बाद मानवाधिकार आयोग ने पूरे मामले पर संज्ञान लिया था.आयोग ने भी सीआइडी को केस की धीमी जांच के लिए फटकार लगायी थी. बाद में भटनागर झारखंड पुलिस से सेंट्रल डिपुटेशन पर सीबीआइ में चले गये थे. . एक्स DGP डीके पांडेय और व सीबीआइ ज्वाइंट डायरेक्टर अजय भटनागर के नजदीकी संबंध बकोरिया कांड इ स बार सीबीआइ डीएसपी व सीबीआइ के ज्वाइंट डाइरेक्टर अजय भटनागर के बीच वि वा दसे फिर चर्चा में हैं. पुलिस की कथित इनकाउंटर 12 निर्दोष लोगों की कथित पुलिस मुठभेड़ में मर्डर में डीजीपी डीके पांडेय विवाद में रहे हैं. झारखंड के एक्स डीजीपी डीके पांडेय व सीआइडी के एडीजी रहे अजय भटनागर ( अब CBI, सीबीआइ के ज्वाइंट डायरेक्टर) एक-दूसरे के करीबी रहे हैं . य ही कारण है कि अब अजय भटनागर पर सवाल उठ रहे हैं. सीआरपीएफ व पुलिस ने पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में कथित इनकाउंटर में एक नक्सली समेत 12 लोगों को मार गिराया. पुलिस ने दावा किया कि मारे गये सभी लोग नक्सली हैं. तत्कालीन डीजीपी डीके पांडेय, स्पेशल ब्रांच के तत्कालीन एडीजी अनुराग गुप्ता (अब एडीजी सीआइडी), तत्कालीन एडीजी अभियान एसएन प्रधान (अब एनडीआरएफ के डीजी) समेत अन्य अफसर सुबह मौके पर पहुंचे. डीजीपी श्री पांडेय व एडीजीश्री प्रधान ने बयान दिया कि मारे गये सभी लोग नक्सली थे. इनकाउंटर में मारे गये.तत्कालीन डीजीपी डीके पांडे ने कथित इनकाउंटर में शामिल पुलिस जवानों को कैश रिवार्ड देकर सम्मानित किया. पुलिस की इस सफलता पर सेंट्रल होम मिनिस्टर व सीएम ने सबको बधाई दी. इनकाउंटर में शामिल जवानों को दिल्ली ले जाया गया जहां होम मिनिस्टर ने ने जवानों से मुलाकात कर बधाई दी. झारखंड में एडीजी (हेडक्वार्टर) थे अजय भटनागर अभी सीबीआइ के ज्वाइंट डायरेक्टर अजय भटनागर बकोरिया इनकाउंटर के समय झारखंड में एडीजी (हेडक्वार्टर) के पोस्ट पर थे. श्री भटनागर तत्कालीन डीजीपी डीके पांडेय के खास करीब अफसर माने जाते थे. सीआइडी के एडीजी के रेजी डुंगडुंग थे. रांची जोन की आइजी सुमन गुप्ता थीं. पलामू रेंज के डीआइजी हेमंत टोप्पो थे. पलामू के एसपी कन्हैया मयूर पटेल (अभी हजारीबाग के एसपी) थे. लातेहार के एसपी अजय लिंडा व पलामू सदर थाना प्रभारी के पद पर सब इंस्पेक्टर हरीश पाठक पोस्टेड थे. जब सीआइडी एडीजी बनाये गये अजय भटनागर बकोरिया इनकाउंटर की जांच सीआइडी को करनी थी. रेजी डुंगडुंग सीआइडी के एडीजी थे. केस की जांच में श्री डुंगडुंग से किसी तरह की गड़बड़ी की संभावना नहीं की जा सकती. डीजीपी ने रेजी डुंगडुग को तत्काल सीआइडी एडीजी के पोस्ट से हटवा दिया.अजय भटनागर को सीआइडी एडीजी चार्ज दिया गया. अजय भटनागर छह महीने तक एडीजी सीआइडी रहे, कोर् एक्शन नहीं की लगभग छह माह तक अजय भटनागर एडीजी सीआइडी के पोस्ट पर रहे. बकोरिया कथित इनकाउंटर में मारे गये लोगों के परिजनों ने हर सीएम से लेकर पुलिस महकमा में हर जगह आवेदन देकर इनकाउंटर को गलत बताया और न्याय की मांग की. एडीजी सीआइडी होने के नाते अजय भटनागर ने कंपलेन की जांच नहीं करवायी.उन्होंने इस केस में कुछ भी नहीं किया. कि डीजीपी से करीबी होने की वजह से अजय भटनागर ने बकोरिया कांड की जांच ही शुरू नहीं की.इस केस में डीजीपी डीके पांडेय पर इंवॉल्व होने के आरोप लगे थे. आइपीएस एमवी राव को सीआइडी एडीजी रहते हुए बकोरिया कांड की जांच में तेजी लाने के कारण पोस्ट से हटा दिया गया था. श्री राव ने गर्वमेंट को लेटर लिखकर कहा कि डीजीपी डीके पांडेय चाहते थे कि बकोरिया कांड की जांच नहीं की जाये या कमजोर तरीके से हो. उनकी बात नहीं मानने के कारण ही उनका ट्रांसफर दिल्ली स्थित झारखंड भवन में कर दिया गया. इससे यही समझ बनती है बकोरिया कथिच इनकाउंटर में जो भी अफसर पुलिस की प्लांट थ्योरी से विपरीत विचार रखते थे, उन्हें तत्काल पद से हटाकर नन पोपुलर पोस्ट पर भेज दिया जाता था. एडीजी सीआइडी रेजी डुंगडुंग, रांची जोन की आइजी सुमन गुप्ता और पलामू रेंज के डीआइजी हेमंत टोप्पो को बारी-बारी से हटाया गया.कुछ दिन बाद लातेहार के एसपी अजय लिंडा को भी हटा दिया गया. क्योंकि घटना स्थल पलामू और लातेहार जिला के सीमा पर है. पलामू सदर थाना प्रभारी हरीश पाठक ने गलत केस नहीं करने की बात कही, तो उन्हें भी सस्पेंड कर दिया गया. वह अब तक विभागीय प्रताड़ना का दंश झेल रहे हैं. जांच में डीजीपी के अनुसार काम करने वाले अफसरों को जिला का एसपी बना दिया आइपीएस अजय कुमार सिंह को सीआइडी में एडीजी के पोस्ट पर पोस्टेड किया गया. बाद में फिर एडीजी प्रशांत सिंह को सीआइडी भेजा गया. जिन-जिन अफसरों ने केस के अनुसंधान में तत्कालीन डीजीपी डीके पांडेय के अनुसार काम किया सबको इनाम मिला. सबको जिला में पोस्टिंग मिली. जिन-जिन कनीय अफसरों डीएसपी, इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टरों ने डीजीपी के अनुसार जांच किया, उन्हें भी कोयला-लोहा वाला जिला मिला. विरोध करने वालों को शंटिंग में भेज दिया गया. सीआइडी में रहे डीजीपी के चेहते अफसरों ने ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देशों का भी पालन नहीं किया. एमवी राव आते ही जांच में तेजी लायी प्रशांत सिंह के बाद एमवी राव को एडीजी सीआइडी बनाया गया. बकोरिया कांड की सीबीआइ जांच के लिए हाइकोर्ट में भी सुनवाई शुरू हो चुकी थी. एमवी राव ने मामले की जांच तेज कर दी. इस कारण डीजीपी डीके पांडेय और एमवी राव के बीच विवाद भी हुआ. डीजीपी केस को कमजोर करने और जांच को सुस्त करने के लिए दवाब बना रहे थे लेकिन एमवी राव ऐसा करने से इंकार कर रहे थे. पुलिस हेडक्वार्टर में डीजीपी व एडीजी राव के बीच हॉट-टॉक हुआ. यह खबर मीडिया में भी आयी.इसके बाद एडीजी सीआइडी एमवी राव का तबादला दिल्ली झारखंड भवन में कर दिया गया. यहां पद स्वीकृत ही नहीं है. न तो कोई काम था और न ही कोई सुविधा. सीआइडी ने कोर्ट में बकोरिया कांड की फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी सीआइडी ने इसी दौरान कोर्ट में बकोरिया कांड की फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी. सीआइडी ने अपनी रिपोर्ट में इनकाउंटर को सही बताया. अजय कुमार सिंह सीआइडी के एडीजी थे. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि सीआइडी ने बकोरिया कांड की जांच सही तरीके से नहीं की. इसलिए मामले की सीबीआइ जांच जरूरी है.हाइकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने कहा थाः मामले को लेकर सीआइडी की जांच सही दिशा में नहीं जा रही है. इससे लोगों का जांच एजेंसियों से भरोसा उठ रहा है. इसलिए बकोरिया फर्जी एनकाउंटर मामले की जांच अब सीबीआइ करेगी.अब मामले की सीबीआइ जांच कर रही है.