झारखंड कैबिनेट का फैसला:ट्रैफिक फाइन में कटौती, झमाडा कर्मियों को सातवें वेतनमान के तहत भुगतान की मंजूरी

  • ट्रैफिक फाइन में 50 से लेकर 100 परसेंट तक की कटौती झारखंड वनांचल और जेपी आंदोलनकारियों की पहचान के लिए बनी कमेटी का कार्यकाल बढ़ा
रांची: झारखंड गर्वमेंट ने सेंट्रल मोटर वैकिल एक्ट रूल्स के तहत एक दर्जन से अधिक प्रावधानों में संशोधन किया है. अब इन प्रावधानों के तहत ट्रैफिक रूल्स में गलती करने पर फाइन की राशि पहले की तुलना में काफी कम हो गई है. लगभग फाइन की राशि वही रह गई जो संशोधित नियमावली के पहले थी. कुछ मामलों में राज्य सरकार के हाथ में बदलाव संभव नहीं था और ऐसे मामलों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है.बिना हेलमेट के पकड़े जाने व बिना बीमा के वाहनों पर कोई राहत नहीं मिलेगी. इस गलती पर बढ़ी हुई फाइन का भुगतान करना होगा. कैबिनेट ने बिना नक्शा के बने हजारों की संख्या में अनियमित भवनों को नियमित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है. टाउन एरिया में 5000 वर्ग फीट क्षेत्रफल तक के भवनों (जी प्लस टू) को इसके तहत लाभ दिया जा सकेगा. इसके एवज में मकान मालिकों को 200 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क देना होगा. रांची मास्टर प्लान के तहत अपर बाजार के श्रद्धानंद रोड और कुछ अन्य इलाकों को लैंड यूज अब व्यावसायिक होगा. पहले कुछ गलतियों के कारण इसे आवासीय श्रेणी में रखा गया था. कैबिनेट की बुधवार को हुई बैठक में 23 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गयी. विवि कर्मियों को सातवें वेतनमान के बकाया भुगतान (एक जनवरी 2016 से 31 मार्च 2019) के लिए सरकार ने 210 करोड़ की राशि निर्गत करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गयी है. प्रकार झमाडा (धनबाद-बोकारो) कर्मियों को सातवें वेतनमान के तहत भुगतान के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई है. झारखंड, वनांचल और जेपी आंदोलनकारियों की पहचान के लिए बनी कमेटी के कार्यकाल को एक वर्ष के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव भी पास हो गया है. ट्रैफिक के इन प्रावधानों में मिली राहत पुलिस अफसर से बदतमीजीः सड़क पर वाहन के कागजात जांच रहे अफसर से बदतमीजी करने पर पहले 500 रुपये तक का फाइन था,  केंद्र सरकार ने बढ़ा कर 2000 रुपये कर दिया था. राज्य सरकार ने घटा कर फिर से अधिकतम 500 रुपये ही कर दिया है. मोबाइल पर बातः वाहन चलाते वक्त मोबाइल से बात करने पर पहले 1000 रुपये तक का फाइन था केंद्र सरकार ने बढ़ा कर 5000 रुपये कर दिया था. राज्य सरकार ने इसे घटा कर फिर से 1000 रुपये ही कर दिया है. खतरनाक ड्राइविंगः खतरनाक तरीके से वाहन चलाने पर पहले फाइन 1000 रुपये का था, केंद्र सरकार ने बढ़ाकर 5000 रुपये कर दिया था और साथ में छह महीने की सजा का प्रावधान था. राज्य सरकार ने इसे घटा कर अब फिर से 1000 रुपये कर दिया है. रजिस्ट्रेशन नहीं रहने परः रजिस्ट्रेशन नहीं रहने पर पहले फाइन 2000 रुपये का था. जिसे केंद्र सरकार ने बढ़ाते हुए 5000 कर दिया था. राज्य सरकार ने घटाते हुए एक बार फिर से 2000 रुपये कर दिया है. प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं रहने परः प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं रहने पर पहले 1000 रुपये का जुर्माना था. जिसे केंद्र सरकार ने बढ़ाते हुए 10,000 रुपये कर दिया था. राज्य सरकार ने इसे घटा कर फिर से 1000 ही कर दिया है. ड्राइविंग लाइसेंस नहीं रहने परः ड्राइविंग लाइसेंस नहीं रहने पर पहले 500 रुपये का फाइन था. जिसे केंद्र सरकार ने बढ़ाते हुए 5000 रुपये कर दिया था. राज्य सरकार ने इसमें किसी तरह का कोई संशोधन नहीं किया. हेलमेट नहीं रहने परः हेलमेट नहीं रहने पर पहले 1000 रुपये या तीन महीने के लिए लाइसेंस सस्पेंड करने का प्रावधान था. राज्य सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए लाइसेंस निलंबन के प्रावधान को हटा दिया है. सीट बेल्ट नहीं लगाने परः सीट बेल्ट नहीं लगाने पर केंद्र सरकार की तरफ से 1000 रुपये के जुर्माने के साथ-साथ तीन महीने का लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान था. सुधार के बाद अब सिर्फ जुर्माना होगा, लाइसेंस रद्द नहीं होगा. ट्रिपलिंग करने परः 1000 रुपये फाइन या तीन महीने लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान था अब सिर्फ फाइन होगा. पैसेंजर ओवरलोडिंगः ओवरलोड होने पर पहले हर पैसेंजर पर 200 फाइन का प्रावधान केंद्र सरकार ने बनाया था. यह यथावत है. गुड्स वाहन ओवरलोडः केंद्र सरकार की तरफ से 20,000 और प्रति टन 2000 रुपये फाइन का प्रावधान था. यह यथावत रखा गया है. स्पीडिंग और रेसिंगः सड़क पर रेसिंग करनेवालों के लिए पहले केंद्र सरकार की तरफ से पहली बार 5000 रुपये फाइन या तीन महीने की सजा का प्रावधान था. जिसमें बदलाव करते हुए सिर्फ फाइन किया गया है. जबरन हॉर्न बजाने परः जबरन हॉर्न बजाने पर पहली बार में 1000 और दूसरी बार में 2000 का फाइन लगेगा इंश्योरेंस नहीं रहने परः इंश्योरेंस नहीं रहने पर पहले 1000 रुपये का जुर्माना था. जिसे केंद्र सरकार ने बढ़ाते हुए 4000 रुपये या तीन महीने का जेल का प्रावधान कर दिया था. राज्य सरकार की तरफ से इसमें सजा के प्रावधान को हटा दिया है. कैबिनेट ने झारखंड महिला पर्यवेक्षिका सेवा संवर्ग नियमावली को स्वीकृति प्रदान कर दी है. अब 25 परसेंट आंगनबाड़ी पर्यवेक्षिका बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के पद पर सीमित परीक्षा पास कर नियुक्त हो सकेंगी. इसी प्रकार 25 परसेंट सहायिका को 10 वर्ष के अनुभव के उपरांत सीमित परीक्षा पास कर पर्यवेक्षिका बनने का अवसर मिलेगा.झारखंड में किसानों से धान खरीद के एवज में केंद्र सरकार के स्तर पर निर्धारित समर्थन मूल्य पर बोनस राशि 185 रुपये प्रति क्विंटल को कैबिनेट की स्वीकृति मिल गई है. इस प्रकार प्रति क्विंटल 2000 रुपये मिलेंगे। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए राज्य सरकार ने 52 करोड़ रुपये की राशि भी स्वीकृत कर दी है.देवघर जलापूर्ति योजना को तकनीकी स्वीकृति प्रदान कर दी गई है. यह योजना 314.047 करोड़ रुपये की लागत से पूरी होगी। पुनासी जलापूर्ति योजना के नाम से प्रचलित इस योजना की घोषणा लोकसभा चुनाव के पूर्व की गई थी और सांसद से लेकर सरकार तक लगी हुई थी.