बिहार: AES से अबतक 130 बच्चों की मौत

मुजफ्फरपुर: बिहार में मस्तिष्क ज्वर या एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बीमारी से अब तक लगभग 130 बच्चों की मौत हो चुकी है. मुजफ्फरपुर में ही 101 बच्चों की इस बीमारी से मौत हो गई है. रविवार देर रात तक और 28 बच्चों की मौत हो गयी. मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में 18, केजरीवाल अस्पताल में तीन, वैशाली में चार और मोतिहारी में तीन बच्चों की मौत हो गयी. मई-जून में अब तक राज्य में 130 बच्चों की जान जा चुकी है. पिछले 10 सालों में बिहार में 471 बच्चे इस बीमारी से मारे जा चुके हैं.स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इलाके में चिलचिलाती गर्मी, नमी और बारिश के ना होने के चलते हाइपोग्लाइसीमिया (शरीर में अचानक शुगर की कमी) के कारण लोगों की मौत हो रही है. कुछ रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया था कि चमकी के कारण हो रही मौतों का कारण लीची भी हो सकती है. बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर के आसपास उगाई जाने वाली लीची में कुछ जहरीले तत्व हैं. एईएस के कारणों को लेकर पिछले कई वर्षों से चल रहे रिसर्च में देश-विदेश की जांच एजेंसियों की रिपोर्ट में अब तक किसी वायरस की पुष्टि नहीं हुई है. इन रिपोर्टों में यह कहा जाता रहा कि इंसेफलाइटिस के ज्ञात वायरस नहीं हैं.एनआइवी पुणे, एनसीडीसी व सीडीसी अटलांटा द्वारा एईएस पीडि़त बच्चों के खून और सीएसएफ (रीढ़ का पानी) के सैंपल की जांच की थी. इसमें इंसेफलाइटिस के ज्ञात में से कोई भी वायरस नहीं मिले. यह भी आशंका जताई जाती रही कि इसके अज्ञात वायरस भी तो हो सकते हैं. अमेरिकन जनरल ऑफ़ हेल्थ रिसर्च द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक एईएस होने की पीछे वायरस, बैक्टीरिया, फंगी एवं अन्य टोकसिंस ज़िम्मेदार होते हैं. जेई वायरस से फैलने वाला रोग होता है जिसे सामान्यता एईएस के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है. जेई वायरस के अलावा डेंगू वायरस, एंटेरो वायरस, हर्पिस वायरस एवं मिजिल्स वायरस भी एईएस फ़ैलाते हैं. इनके बावजूद 68 से 75 प्रतिशत एईएस केस में इसके होने की वजह ज्ञात नहीं हो पाती है. बीमारी के लक्षण एईएस में दिमाग में ज्वर, सिरदर्द, ऐंठन, उल्टी और बेहोशी जैसी समस्याएं होतीं हैं. शरीर निर्बल हो जाता है. बच्‍चा प्रकाश से डरता है. कुछ बच्चों में गर्दन में जकड़न आ जाती है. लकवा भी हो सकता है. डॉक्‍टरों के अनुसार इस बीमारी में बच्चों के शरीर में शर्करा की भी बेहद कमी हो जाती है. बच्चे समय पर खाना नहीं खाते हैं तो भी शरीर में चीनी की कमी होने लगती है. बचाव यह रोग एक प्रकार के विषाणु (वायरस) से होता है. इस रोग का वाहक मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो विषाणु उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. बच्चे के शरीर में रोग के लक्षण चार से 14 दिनों में दिखने लगते हैं. मच्छरों से बचाव कर व टीकाकरण से इस बीमारी से बचा जा सकता है. हर्षवर्धन और मंगल पांडे के खिलाफ के खिलाफ कोर्ट में सीपी स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही का आरोप मुजफ्फरपुर: बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (मस्तिष्क ज्वर) से हो रही बच्चों की मौत को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के खिलाफ मुजफ्फरपुर सीजेएम कोर्ट में कंपलेन पिटीशन दायर किया है. तमन्ना का आरोप है कि एईएस को लेकर सरकार ने जागरुकता नहीं फैलाई. कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 24 जून को होगी. तमन्ना हाशमी ने की पिटीशन में आरोप है कि जागरुकता अभियान नहीं चलाने की वजह से मस्तिष्क ज्वर से बच्चों की मौत हुई. इस बीमारी से हर साल बच्चों की मौत होती है लेकिन, इसके बाद भी आज तक इस पर कोई शोध नहीं हुआ. सरकार की लापरवाही की वजह से बच्चों की जान जा रही है. सरकार की तरफ से किए जा रहे सारे दावे हवा-हवाई हैं. NHRC ने सेंट्ल व स्टेट गर्वमेंट से मांगी रिपोर्ट नई दिल्ली: :राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बिहार में चमकी बुखार से 100 से ज्यादा बच्चों की हुई मौत को गंभीरता से लेते हुए सेंट्रल व स्टेट गर्वमेंट से रिपोर्ट मांगी है. एनएचआरसी ने बिहार के चीफ सेकरेटरी और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को नोटिस जारी करते हुए अक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से हुई मौतों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने इस बीमारी के नियंत्रण एवं रोकथाम के कार्यक्रम (NPPCJA) को लागू करने के स्टेटस और मौजूदा हालात को संभालने के लिए उठाए गए दूसरे कदमों के बारे में भी जानकारी मांगी है. आयोग ने चार सप्ताह में जवाब मिलने की उम्मीद जताई है.