देश में जनवरी 2022 में आ सकता है नया कोरोना वैरिएंट ओमिक्रोन, नये साल में नई लहर की संभावना- एक्सपर्ट व्यू

स्पेशलिस्ट का मानना है कि नये वर्ष में ये ओमिक्रोन वैरिएंट नई मुसीबत बन सकता है। मेदांता हॉस्पीटल के चीफ  डाक्टर नरेश त्रेहन ने एक चैनल से हुई बातचीत में इस बात की आशंका जताई है। 

देश में जनवरी 2022 में आ सकता है नया कोरोना वैरिएंट ओमिक्रोन, नये साल में नई लहर की संभावना- एक्सपर्ट व्यू

नई दिल्ली। स्पेशलिस्ट का मानना है कि नये वर्ष में ये ओमिक्रोन वैरिएंट नई मुसीबत बन सकता है। मेदांता हॉस्पीटल के चीफ  डाक्टर नरेश त्रेहन ने एक चैनल से हुई बातचीत में इस बात की आशंका जताई है। 

धनबाद: BCCL की बस्ताकोला न्यू लोडिंग प्वाइंट बना रणक्षेत्र, JMS कुंती और बच्चा गुट में हिंसक झड़प, पत्थरबाजी
लापरवाही बन सकती है खतरनाक 
डाक्टर नरेश त्रेहन ने कोरोना के नये वैरिएंट इसकी एहतियात के लिए गवर्नमेंट द्वारा उठाये गये कदमों की सराहना की है। उन्होंने लोगों को ये भी सलाह दी है कि वो अपनी वैक्सीन जल्द से जल्द लगवाएं। उनका कहना है कि वैक्सीन लगने वाले लोगों के इस वैरिएंट की चपेट में आने के बाद भी उसको गंभीर लक्षण सामने नहीं आ रहे हैं। लेकिन जिन लोगों को वैक्सीन की एक भी डोज नहीं मिली है उनके लिए ये खतरनाक भी बन सकता है। इसलिए लापरवाही न बरतें और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जानें से बचें। त्रेहान के अनुसार ओमिक्रोन वैरिएंट का पहला मामला नवंबर में आने की बात सामने आई है, लेकिन मुमकिन है कि इसकी शुरुआत सितंबर या अक्टूबर में ही हो गई है।

बूस्टर डोज पर विचार कर रही है गवर्नमेंट

डाक्टर त्रेहन का कहना है कि हमनें डेल्टा के कहर को झेला और देखा है। लोगों ने मास्क को अपने से दूर किया, जिसका खामियाजा देखने को मिला। इसलिए अब ऐसा नहीं करना है। मास्क लगाना बेहद जरूरी है। उनके अनुसार गवर्नमेंट इससे एहतियात के लिए बूस्टर डोज पर भी विचार कर रही है। मेडिकल स्टाफ जो फ्रंटलाइन वर्कर है उसको इस खतरे से बचाने की बेहद सख्त जरूरत है। 

ट्रैवल बैन सही 

उनका ये भी मानना है कि जिस वैरिएंट की बात की जा रही है वो साउथ अफ्रीका से पहली बार सामने आया था। हालांकि उन्होंने अपने सैंपल को जांच के लिए भेजा था जिसमें इसका खुलासा हुआ। हालांकि इस खुलासे के बाद विभिन्न देशों ने अफ्रीकी देशों पर ही ट्रैवल बैन कर दिया। हालांकि ये फैसला एहतियाती कदमों के मुताबिक सही है। वहीं दूसरी तरफ अफ्रीकी देशों और WHO इसको सही नहीं मान रहा है। 
बच्चों पर इसके प्रभाव को लेकर आई रिपोर्ट
उन्होंने बताया कि इस वैरिएंट के पांच वर्ष तक के बच्चों पर प्रभाव को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है लेकिन इसकी पुष्टि कर पाना फिलहाल मुश्किल है। इसकी जांच में होने वाली देरी से संबंधित एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश में जीनोम सिक्वेंसिंग करने और इसका रिजल्ट आने में छह से सात दिन लगते हैं। इसकी वजह ये भी है कि देश में इसकी लैब की संख्या कम है। इसको बढ़ाने की तरफ कदम बढ़ाया जा रहा है। एक बार लैब की संख्या बढ़ जायेगी तो जांच में तेजी आयेगी। रिजल्ट भी जल्द मिल सकेंगे। 

जिनको अधिक खतरा

डाक्टर नरेश त्रेहन ने बताया है कि जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है या जो पहले से ही दूसरी बीमारियों से ग्रसित हैं, उनको इसका सबसे अधिक खतरा है। ये कहना कि इसके अभी माइल्ड मामले आ रहे हैं। इसका खतरा कम है कहना गलत है। क्योंकि ये इसके संक्रमण का दायरा डेल्टा से कहीं ज्यादा है। इसके अलावा जिनको वैक्सीन की एक भी डोज नहीं मिली है वो भी इसके दायरे में आ सकते हैं। ये वैरिएंट जानलेवा भी हो सकता है। इसलिए लापरवाही नहीं बरतनी है। 
उल्लेखनीय कि देश में पहले से ही ओमिक्रोन वैरिएंट के 21 मामले सामने आ चुके हैं। राजधानी दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात व कर्नाटक में नये वैरिएंट दस्तक दो चुकी है। सेंट्रल गवर्नमेंट भी इसको लेकर काफी गंभीर है। सभी तरह के एहतियाती कदम उठा रही है।