शेल कंपनी और माइनिंग लीज़ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मेंटेनबिलिटी पर झारखंड हाई कोर्ट को सुनवाई का दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट में झारखंड गवर्नमेंट की ओर से दाखिल SLP पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस भट्ट और जस्टिस धूलिया की बेंच में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट से याचिका की मेंटेनिबिलिटी पर फैसला लेने को कहेंगे, हम इसमें अपनी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। हम इन सबके बीच में नहीं आयेंगे। 

शेल कंपनी और माइनिंग लीज़ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मेंटेनबिलिटी पर झारखंड हाई कोर्ट को सुनवाई का दिया निर्देश

रांची। सुप्रीम कोर्ट में झारखंड गवर्नमेंट की ओर से दाखिल SLP पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस भट्ट और जस्टिस धूलिया की बेंच में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट इस याचिका की मेंटेनिबिलिटी पर फैसला लेे।

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झारखंड गवर्नमेंट की ओर से सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा. कोर्ट में पक्ष रखते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को पक्षकार बनाया जाना चाहिए था। यह मामला  पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। इस लिए कॉस्ट लगाकर मामले को रद्द कर देना चाहिए। ईडी की ओर से एडवोकेट तुषार मेहता ने कहा ED  विशेष अपराध की जांच कर रहा है। जांच में दूसरे अपराध से संबंधित सामग्री मिली है। ईडी ने अब तक की जांच में पाया कि इस मामले में उच्च रैंक वाले शामिल हैं। हम इसे कोर्ट के सामने रख सकते हैं। तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि माइनिंग लीज सीएम हेमंत सोरेन के कार्याकाल में आवंटित हुआ है। इसलिए मामला चलना चाहिए. पक्ष सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी मामले की जांच करने के लिए स्वतंत्र है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से कहा कि जनहित याचिका की विश्वसनीयता तय करें। कोर्ट में झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन भी उपस्थित रहे।
याचिका के माध्यम से सीलबंद रिपोर्ट की मांग
सुप्रीम कोर्ट में 20 मई को सुनवाई के दौरान अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सरकार का पक्ष रखते हुए मामले की जल्द सुनवाई का आग्रह किया था। उन्होने कोर्ट को बताया हाईकोर्ट का आदेश सही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में आदेश दिया है कि सीलबंद रिपोर्ट भी आरोपी को दिया जाना चाहिए। झारखंड हाईकोर्ट इस मामले में आरोपी राज्य सरकार को सीलबंद रिपोर्ट नहीं दे रही है। जब तक ईडी के दस्तावेज नहीं मिलते तब तक जवाब दाखिल नहीं किया जा सकता है। झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाला शिवशंकर शर्मा भी कैविएट दायर किया है। झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से कैविएट दायर किया गया. याचिकाकर्ता के तरफ से अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोर्ट से कहा कि मामले में उनका पक्ष भी सुना जाए।
हाई कोर्ट में एक जून को होगी सुनवाई
सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े माइनिंग लीज व शेल कंपनी मामले की सुनवाई अब एक जून को होगी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस एस एन प्रसाद की बेंच मे होगी। इसमें माइनिंग लीज और आय से अधिक संपत्ति का मामला है।मामले में आज ही सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को याचिका की विश्वसनीयता तय करने के लिए कहा है।
प्रार्थी शिव शंकर शर्मा के एडवोकेट हैं राजीव कुमार
झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को माइनिंग लीज से जुड़ी जनहित याचिका दायर की गयी है। प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि सीएम हेमंत सोरेन के जिम्मे खनन और वन पर्यावरण विभाग भी हैं। उन्होंने स्वंय पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया। खनन पट्टा हासिल की। ऐसा करना पद का दुरुपयोग और जनप्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है। इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराई जाए। प्रार्थी ने याचिका के माध्यम से हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी की है।

शेल कंपनी से जुड़ा है मामला
शिव शंकर शर्मा ने एडवोकेट राजीव कुमार के माध्यम से एक अन्य जनहित याचिका दायर की थी।एडवोकेट राजीव कुमार ने आरोप लगाया कि सीएम हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए राजधानी रांची के चर्चित बिजनेसमैन रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल एवं अन्य को दिया जाता है। यह पैसा 24 कंपनियों के माध्यम से दिया जा रहा है। इन कंपनियों के माध्यम से ब्लैक मनी को वाइट मनी बनाया जा रहा है। इसलिए याचिका के माध्यम से सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स से पूरी संपत्ति की जांच की मांग की गई है।  इस मामले में झारखंड सरकार के मुख्य सचिव, सीबीआई, ईडी, हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन, रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल, राजीव अग्रवाल एवं अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है।