Odisha Train Accident : बालेश्वर में रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त, अबतक 288 लोगों की मौत, 900 सौ घायल

ओडिशा के बालेश्वर जिल अंतर्गत बाहानगा स्टेशन से दो किमी दूर पनपना के पास हुई भीषण रेल हादसे में अब तक 288 लोगों की मौत हो गयी है। भीषण ट्रेन हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया गया है। हालांकि अभी यह कहना मुश्किल है कि मृतकों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो सकता। हॉस्पिटल में एडमिट  नौ सौ से ज्यादा घायलों में कईयों की हालत बेहद गंभीर है। 

Odisha Train Accident : बालेश्वर में रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त, अबतक 288 लोगों की मौत, 900 सौ घायल
बालेश्वर में रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त।

भुवनेश्वर। ओडिशा के बालेश्वर जिल अंतर्गत बाहानगा स्टेशन से दो किमी दूर पनपना के पास हुई भीषण रेल हादसे में अब तक 280 लोगों की मौत हो गयी है। भीषण ट्रेन हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया गया है। हालांकि अभी यह कहना मुश्किल है कि मृतकों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो सकता। हॉस्पिटल में एडमिट  नौ सौ से ज्यादा घायलों में कईयों की हालत बेहद गंभीर है। 

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पीएम नरेन्द्र मोदी ने दुर्घटनास्थल का जायजा लिया। उनके साथ सेंट्रल मिनिस्टर धमेंद्र प्रधान और अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे। पीएम ने बालेश्वर सदर अस्पताल एवं कटक एससीबी मेडिकल कालेज का भी दौरा किया।सेंट्रल रेल मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक भी शनिवार की सुबह दुर्घटनास्थल पर पहुंचे। रेल मिनिस्टर ने कहा कि रेलवे, NDRF, SDRF की टीम बचाव कार्य में जुटी है। फिलहाल, हमारा ध्यान बचाव कार्य पर है। राहत और बचाव कार्य खत्म होने के बाद ही बहाली का कार्य शुरू कर दिया जायेगा। पहले से ही बहाली के लिए मशीनें तैनात हैं।

हादसे में सुरक्षित बचे 1000 पैसेंजर्स को विश्वेसरैया-हावड़ा एक्सप्रेस से हावड़ा रवाना कर दिया गया है। बालासोर से आने वाली एक स्पेशल ट्रेन से घटनास्थल पर फंसे दो पैसेंजर्स को खाना और राहत सामग्री देकर भेजा गया। NDRF की तीन टीमें और 20 से ज्यादा फायर सर्विस एंड रेस्क्यू टीमें घटनास्थल पर हैं। इनमें 1200 बचाव कर्मी मौजूद हैं। भुवनेश्वर में अधिकारियों ने बताया कि हादसे के बाद 115 एंबुलेस, 50 बसें और 45 मोबाइल हेल्थ यूनिट्स तैनात की गई हैं। NDRF और एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर्स रेस्क्यू के लिए पहुंच गए हैं। भुवनेश्वर और कोलकाता से भी रेस्क्यू टीमें भेजी गई हैं। सेना की पूर्वी कमान से चिकित्सा और इंजीनियरिंग टीमों को एंबुलेंस और मेडिकल एड के साथ बालासोर में तैनात किया गया है। 2000 से ज्यादा लोग रातभर बालासोर मेडिकल कॉलेज के बाहर खड़े रहे, ताकि घायलों को मदद पहुंचा सकें। कई लोगों ने खून डोनेट किया।पहले कोरोमंडल एक्सप्रेस बेपटरी होकर मालगाड़ी से भिड़ी, दूसरी तरफ से आ रही दुरंतो बोगियों से टकराई जिससे बेंगलुरु हावड़ा एक्सप्रेस की टक्कर हुई।इस दुर्घटना में दोनों ट्रेन के 12 कोच बेपटरी हो गये। यह घटना बालासोर जिले के बहानगा बाजार स्टेशन के पास शाम सात बजे हुई। हादसे के बाद इस रूट पर रेल ट्रैफिक बंद करना पड़ा है। 

न्यूज एजेंसी ने यह जानकारी दी है कि बालासोर में शुक्रवार शाम हुए ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 261 हो गई है। । एक्सीडेंट में 900 से ज्यादा यात्री घायल हुए है। रेलवे के मुताबिक 650 लोग हॉस्पिटल में एडमिट हैं। रेलवे अफसरों ने बताया कि बहानगा बाजार स्टेशन की आउटर लाइन पर एक मालगाड़ी खड़ी थी। हावड़ा से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस यहां पटरी से उतर गई। कोरोमंडल एक्सप्रेस का इंजन मालगाड़ी पर चढ़ गया और बोगियां तीसरे ट्रैक पर जा गिरीं। कुछ देर बाद तीसरे ट्रैक पर आ रही हावड़ा-बेंगलुरु दुरंतो ने कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियों को टक्कर मार दी।

मां के निधन पर 14 साल बाद लौटे बेटे की मौत
रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म तो हो गया है लेकिन अब लोग अपनों की खैर-खबर और उनकी तलाश में बदहवास इधर से उधर घूम रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स अपने भाई की तलाश में इस हॉस्पिटल से उस अस्पताल से मारा-मारा फिर रहा है पर उसके भाई का पता नहीं चल पा रहा है।एक बेटा अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए 14 साल बाद चेन्नई से अपने गांव आया था। श्राद्धकर्म के बाद वह अपने गांव से रवाना हो गया लेकिन वह भी ट्रेन हादसे का शिकार हो गया। बालेश्वर जिले के सोरो इलाके के रहने वाले रमेश चेन्नई में रहते हैं। मां की मौत की खबर सुनकर रमेश 14 साल बाद गांव लौटे। वह अपनी मां के शुद्धिकरण की रस्में पूरी करने के बाद शुक्रवार को चेन्नई लौट रहे थे। हालांकि, विधाता ने कुछ और ही लिखा था। हादसे में रमेश की मौत हो गई।

भाई की तलाश में अस्पतालों के चक्कर काट रहे
रमेश के दो भाई शव की पहचान के लिए इस अस्पताल से उस अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि, उन्हें अभी तक अपने भाई का शव नहीं मिला है। रमेश के भाई ने कहा कि शुक्रवार को मेरा भाई शाम 6 बजे ट्रेन में सवार हुआ था। हादसा शाम सात बजे हुआ। हादसे की आवाज सुनकर हम मौके पर पहुंचे। हमने भाई को तलाशा लेकिन वह नहीं मिला। बाद में, हम घर वापस चले गये।उन्होंने आगे बताया कि रात करीब 12.30 बजे के आसपास, हमने उसके मोबाइल फोन पर कॉल किया। जब फोन की घंटी बजी, तो एक आदमी ने उसे उठाया और हमें सूचित किया कि वह मर चुका है।भाइयों ने रोते हुए बताया कि रात से, हम इस अस्पताल से उस अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि, अभी तक भाई के शव की पहचान नहीं हो पायी है।