नीरज सिंह मर्डर केस: झारखंड गवर्नमेंट व CBI को 15 दिन में हाई कोर्ट में एफीडेविट दाखिल करने का आदेश

एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर की सीबीआइ जांच कराने को दायर रिट याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस  संजय कुमार द्विवेदी की बेंच ने सीबीआइ एवं सरकार को 15 दिनों में काउंटर एफीडेविट दाखिल करने का आदेश दिया है। इस मामले में आरोपित झरिया के एक्स एमएलए संजीव सिंह के एडवोकेट मो. जावेद ने बताया कि छह सितंबर 2019 को मामले की सीबीआइ जांच करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की गयी थी।

नीरज सिंह मर्डर केस: झारखंड गवर्नमेंट व CBI को 15 दिन में हाई कोर्ट में एफीडेविट दाखिल करने का आदेश
धनबाद। एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर की सीबीआइ जांच कराने को दायर रिट याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस  संजय कुमार द्विवेदी की बेंच ने सीबीआइ एवं सरकार को 15 दिनों में काउंटर एफीडेविट दाखिल करने का आदेश दिया है। इस मामले में आरोपित झरिया के एक्स एमएलए संजीव सिंह के एडवोकेट मो. जावेद ने बताया कि छह सितंबर 2019 को मामले की सीबीआइ जांच करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की गयी थी।
 
संजीव सिंह की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आनंदा सेन की बेंच ने 28 नवंबर 2019 को  सुनवाई के लिए स्वीकृत किया था। कोर्ट ने  सीबीआइ व सरकार को छह हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। ढाई साल हो चुके हैं, पर सरकार व सीबीआइ ने अब तक जवाब नहीं दाखिल किया गया। मो. जावेद ने बताया कि सुनवाई के दौरान सीनयर एडवोकेट इंद्रजीत सिन्हा एवं अरुण कुमार ने कोर्ट का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया कि दोनों एजेंसियों ने अब तक इस मामले में काउंटर एफीडेविट नहीं दाखिल किया है। कोर्ट ने सरकार व सीबीआइ को काउंटर एफीडेविट दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय दिया है।
पुलिस के इन्विस्टीगेशन पर सवाल 
संजीव सिंह ने वर्ष 2019 की छह सितंबर को हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर सीबीआइ जांच की मांग की थी। संजीव की ओर से इसमें कहा गया है कि उन्हें और अन्य लोगों को फंसाने के लिए कांड के कंपलेनेंट नीरज सिंह के भाई व उनके सहयोगियों द्वारा कहानी लिखी गयी। अपने पसंद के पुलिस अफसर को केस का आइओ बनाया गया। आइओ ने वही किया, जो उन्हें करने को कहा गया। एसआइटी की जांच का केस डायरी में कहीं उल्लेख ही नहीं है। ऐसी हालत में जबकि मामले का निष्पक्ष अनुसंधान न किया गया हो पुलिस की कार्यशैली पर विश्वास करना कठिन है। इसलिए इस मामले का पुन: जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि इन्विस्टीगेशन से पता चलता है 21 से लेकर 23 मार्च तक केवल पुलिस कागजात उठाकर लाई। सारे बनावटी गवाह लाये गये जिन्होंने खुद को प्रत्यक्षदर्शी बताया। मो. जावेद ने बताया कि घटना के दिन घटनास्थल पर काफी संख्या में पुलिसकर्मी थे, परंतु किसी ने एफआइआर नहीं किया।