Mann Ki Baat 100th Episode: देशवासियों की अच्छाइयों का अनोखा पर्व बना 'मन की बात', यह कार्यक्रम नहीं, मेरे लिए आस्था-पूजा और व्रत : PM नरेंद्र मोदी

नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम का 30 मई को 100वां एपिसोड पूरा कर लिया। आज का एपिसोड टीवी चैनलों, निजी रेडियो स्टेशनों और सामुदायिक रेडियो सहित एक हजार से अधिक प्लेटफॉर्म पर ब्रॉडकास्ट किया गया। संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क स्थित हेडक्वार्टर पर भी एपिसोड सुना गया।

Mann Ki Baat 100th Episode: देशवासियों की अच्छाइयों का अनोखा पर्व बना 'मन की बात', यह कार्यक्रम नहीं, मेरे लिए आस्था-पूजा और व्रत : PM नरेंद्र मोदी
  • कई जन आंदोलनों ने लिया जन्म
  • जनता के चरणों में प्रसाद की थाल है मन की बात कार्यक्रम 

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम का 30 मई को 100वां एपिसोड पूरा कर लिया। आज का एपिसोड टीवी चैनलों, निजी रेडियो स्टेशनों और सामुदायिक रेडियो सहित एक हजार से अधिक प्लेटफॉर्म पर ब्रॉडकास्ट किया गया। संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क स्थित हेडक्वार्टर पर भी एपिसोड सुना गया।

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पीएम मोदी ने कहा कि तीन अक्टूबर 2014 को विजयादशमी से शुरू हुआ यह त्योहार हम हर महीने मनाते हैं। तीन अक्टूबर 2014 को विजया दशमी का वो पर्व था। हम सबने मिलकर विजयादशमी के दिन 'मन की बात' की यात्रा शुरू की थी। विजयादशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व ‘मन की बात’ भी देशवासियों की अच्छाइयों का सकारात्मकता का एक अनोखा पर्व बन गया है। एक ऐसा पर्व, जो हर महीने आता है, जिसका इंतजार हम सभी को होता है।
मन की बात कार्यक्रम नहीं, यह मेरे लिए आस्था,पूजा और व्रत है। जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं तो प्रसाद की थाल लाते हैं। मन की बात ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल जैसे है। मन की बात कार्यक्रम जन आंदोलन बन गया है। जिस विषय से जुड़ा वो जन-आंदोलन बन गया। उसे जन-आंदोलन आप लोगों ने बनाया। जब मैंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ साझा 'मन की बात' की थी, उसकी चर्चा पूरे विश्व में हुई थी। 'मन की बात' मेरे लिए दूसरों के गुणों की पूजा करने के जैसा ही रहा है।'मन की बात' कोटि-कोटि भारतियों के मन की बात है। उनकी भावनाओं का प्रकटीकरण मन की बात में देश के कोने-कोने से लोग जुड़े। हर आयु-वर्ग के लोग जुडे़।


मुझे आप सबकी हजारों चिट्ठियां मिली 
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज 'मन की बात' का 100वां एपिसोड है। मुझे आप सबकी हजारों चिट्ठियां मिली हैं, लाखों संदेश मिले हैं और मैंने कोशिश की है कि ज्यादा से ज्यादा चिट्ठियों को पढ़ पाऊं, देख पाऊं, संदेशों को जरा समझने की कोशिश करूं। आपके पत्र पढ़ते हुए कई बार मैं भावुक हुआ, भावनाओं से भर गया, भावनाओं में बह गया और खुद को फिर संभाल भी लिया। आपने मुझे 'मन की बात' के 100वें एपिसोड पर बधाई दी है, लेकिन मैं सच्चे दिल से कहता हूं। बधाई के पात्र तो आप सब 'मन की बात' के श्रोता हैं, हमारे देशवासी हैं।
जनभाव मेरा अटूट अंग बन गया 
मोदी ने कहा कि जब मैं गुजरात का सीएम था, तब सामान्य तौर पर लोगों से मिलना-जुलना हो जाता था। 2014 में दिल्ली आने के बाद मैंने पाया कि यहां का जीवन और काम का स्वरूप अलग है। सुरक्षा का तामझाम, समय की सीमा सबकुछ अलग है। शुरुआती दिनों में खाली-खाली सा महसूस करता था। 50 साल पहले घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि अपने ही देशवासियों से संपर्क नहीं हो पाएगा। देशवासी सबकुछ हैं और उनसे कटकर नहीं रह सकता था। मन की बात ने मुझे मौका दिया। पदभार और प्रोटोकॉल व्यवस्था तक सीमित रहा। जनभाव मेरा अटूट अंग बन गया।
'सेल्फी विद डॉटर' अभियान ने मुझे बहुत प्रभावित किया
पीएम मोदी ने कहा- 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की शुरुआत मैंने हरियाणा से ही की थी। 'सेल्फी विद डॉटर' अभियान ने मुझे बहुत प्रभावित किया और मैंने अपने एपिसोड में इसका जिक्र किया। जल्द ही यह 'सेल्फी विद डॉटर' अभियान वैश्विक हो गया। इस अभियान का मकसद लोगों को जीवन में बेटी के महत्व को समझाना था।
मन की बात ईश्वर रूपी जनता के चरणों में प्रसाद की थाल जैसे
हर महीने मैं देशवासियों के त्याग की पराकाष्ठा देखता हूं। मुझे लगता ही नहीं है कि आपसे थोड़ा भी दूर हूं। मन की बात कार्यक्रम नहीं, यह मेरे लिए आस्था,पूजा और व्रत है। जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं तो प्रसाद की थाल लाते हैं। मन की बात ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल जैसे है। यह मेरे लिए अध्यात्मिक यात्रा बन गया है। अहम से वयम की यात्रा है। यह तो मैं नहीं, तू ही की संस्कार साधना है।