Kishore Kunal : आचार्य किशोर कुणाल ने बड़े पैमाने पर किये परोपकारी कार्य 

महावीर मंदिर न्यास के सचिव और अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक आचार्य किशोर कुणाल को वीपी सिंह की सरकार के दौरान विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता के लिए विशेष अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया था।

Kishore Kunal : आचार्य किशोर कुणाल ने बड़े पैमाने पर किये परोपकारी कार्य 
आचार्य किशोर कुणाल (फाइल फोटो)।
  • राम मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों में थे आचार्य कुणाल
  • महावीर मंदिर के जरिए विभिन्न अस्पतालों की स्थापना
  • दलित पुजारी को नियुक्त कर दिया था बड़ा संदेश

पटना। महावीर मंदिर न्यास के सचिव और अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक आचार्य किशोर कुणाल को वीपी सिंह की सरकार के दौरान विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता के लिए विशेष अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया था।
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अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद के निपटारे में भी उन्होंने भूमिका निभाई. बीपी सिंह सरकार द्वारा स्थापित ‘अयोध्या सेल’ में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी बनाया गया।किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुजफ्फरपुर जिले के बरूराज गांव से हुई थी। बाद में उन्होंने 1970 में पटना विश्वविद्यालय से इतिहास और संस्कृत में स्नातक किया। उन्हें संस्कृत से गहरा लगाव था। स्नातक के साथ ही उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी थी। 1972 में गुजरात कैडर में भारतीय पुलिस सेवा आईपीएस अधिकारी बने थे। 1978 में वे अहमदाबाद के पुलिस उपायुक्त बने थे।
2001 में छोड़ी दी नौकरी
किशोर कुणाल की पहली पोस्टिंग गुजरात के आणंद जिले में हुई थी। उन्हें आणंद का एसपी बनाया गया था। 1978 में उन्हें अहमदाबाद का पुलिस उपायुक्त बनाया गया था। किशोर कुणाल 1983 में पटना के एसएसपी बने थे। कुणाल ने 2001 में पुलिस सेवा से इस्तीफा दिया था। बाद में उन्होंने केएसडी संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति का पद संभाला था, वे वर्ष 2004 तक इस पद पर रहे। कुणाल ने बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक बन जातिवादी धार्मिक प्रथाओं में सुधार किया था।उन्होंने इस दौरान धार्मिक न्यास बोर्ड में कई बदलाव किए। 10 मार्च 2016 को पद से इस्तीफा दे दिया था। 
कई हॉस्पिटल की स्थापना
आचार्य किशोर कुणाल ने परोपकारी कार्य को लेकर पटना के हनुमान मंदिर के जरिए महावीर कैंसर संस्थान, महावीर आरोग्य संस्थान , महावीर नेत्रालय, महावीर वात्सल्य अस्पताल जैसे कई धर्मार्थ अस्पतालों की स्थापना की। उन्होंने बड़े पैमाने पर परोपकारी कार्य किए। महावीर मंदिर में पहली बार 13 जून 1993 को एक पुजारी को नियुक्त किया था। धार्मिक धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक के रूप में उन्होंने बिहटा, पालीगंज, बोधगया, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगुसराय और अन्य स्थानों पर कई प्रमुख मंदिरों में दलित पुजारियों की नियुक्ति की थी।
सांप्रदायिक सौहार्द्र के लिए प्रयास
अयोध्या के एक बहुत ही विवादास्पद मुद्दे पर हिंदू और मुस्लिम धार्मिक नेताओं के बीच बातचीत के नाजुक कार्य से भी वे जुड़े थे, फिर भी उन्होंने दोनों समूहों के साथ बहुत ही सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे। इसके बाद उन्होंने विभिन्न धार्मिक मंचों से सांप्रदायिक सद्भाव का झंडा बुलंद किया।
दलित पुजारी नियुक्त कर दिया बड़ा संदेश
पटना हनुमान मंदिर में 13 जून,1993 को एक दलित पुजारी नियुक्त किया गया। बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक के रूप में उन्होंने बिहटा, पालीगंज, बोधगया, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगुसराय और अन्य स्थानों पर कई प्रमुख मंदिरों में दलित पुजारियों की नियुक्ति की है। उन्होंने बिहार के सभी मंदिरों में दलित ट्रस्टियों की नियुक्ति की है और उन्हें बड़े पैमाने पर मंदिर के मामलों के प्रबंधन से जोड़ा है। संगत (सामुदायिक प्रार्थना) और पंगत (सामुदायिक भोजन) के कार्यक्रमों के माध्यम से, उन्होंने बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में पुनर्जागरण लाया है।सांप्रदायिक सौहार्द्र यद्यपि वे अयोध्या के एक बहुत ही विवादास्पद मुद्दे पर हिंदू और मुस्लिम धार्मिक नेताओं के बीच बातचीत के नाजुक कार्य से जुड़े थे, फिर भी उन्होंने दोनों समूहों के साथ बहुत ही सौहार्दपूर्ण संबंध बनाये रखे। इसके बाद उन्होंने विभिन्न धार्मिक मंचों से सांप्रदायिक सद्भाव का झंडा बुलंद किया। समाज के सभी वर्गों से उन्हें बहुत सम्मान प्राप्त है।
कई सम्मान मिले 
सम्मान के प्रति सदा अनिकक्षा रखने वाले किशोर कुणाल को 2008 में भगवान महावीर फाउंडेशन, चेन्नई द्वारा प्रायोजित सामुदायिक और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में मानव प्रयास में उत्कृष्टता के लिए भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा 11वें महावीर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार में एक प्रशस्ति पत्र और 5 लाख रुपये दिए जाते हैं।2006 में उन्हें समाज कल्याण समिति, बिहार, पटना द्वारा सामाजिक सेवा के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।1997 में उन्हें संस्कृत के प्रचार-प्रसार में उनकी सेवा के लिए पूर्व काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह द्वारा श्रृंगेरी मठ, वाराणसी में सम्मानित किया गया था।1996 में उन्हें उनकी सामाजिक और सामुदायिक सेवाओं के लिए दूसरे विवेकानंद मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
लेखक की भूमिका में रहे व्यस्त
आचार्य किशोर कुणाल ने व्यस्त सामाजिक जीवन के बावजूद लेखन को हमेशा सिर से लगाये रखा। उन्होंने कई पुस्तकों का लेखन किया। 'दलित देवो भव' एक महान कृति है, जिसे प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दो खंडों में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने अयोध्या रिविजिटेड नामक पुस्तक भी लिखी है।आईपीएस में रहते हुए दिसंबर 1995 में यूएसए में 'क्राइसिस मैनेजमेंट कोर्स' और हैदराबाद स्थित एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया में टॉप मैनेजमेंट कोर्स सहित कई पाठ्यक्रमों में भाग लिया।भारत और अमेरिका में भारतीय इतिहास, दर्शन, संस्कृत साहित्य और धर्मग्रंथों के कई विषयों पर प्रवचन दिए। वाल्मीकि रामायण पर भी उनकी विशेषज्ञता थी।
‘दमन तक्षकों का’  काफी चर्चा में रहा
बहुचर्चित आइपीएस अफसर और पटना महावीर मंदिर के सचिव आचार्य किशोर कुणाल के द्वारा लिखी पुस्तक ‘दमन तक्षकों का’ इन दिनों काफी चर्चा में रहा। किशोर कुणाल की इस पुस्तक में आइपीएस अफसर रहते हुए बिहार से लेकर गुजरात तक जो -जो महत्वपूर्ण कार्य किए, उनका उल्लेख है। पुस्तक में बिहार में हुए बॉबी मर्डर केस से लेकर गुजरात में आसाराम बापू के विवाद पर भी कई खुलासे किए गए। अपनी पुस्तक में आचार्य किशोर कुणाल ने लिखा है कि किस तरह बॉबी हत्याकांड में उन्होंने जांच की और बाद में किस तरह उस जांच को सीबीआई को सौंप दिया गया।इस दौरान तत्कालीन सीएम से जो उनकी बातचीत हुई उसका भी जिक्र पुस्तक में किया गया है। गुजरात में नवनिर्माण आंदोलन के वक्त पुलिसकर्मियों को कैसे मुफ्त में खाने पीने वाला मफतलाल कहा जाता था, इस बात का भी जिक्र किशोर कुणाल ने अपनी पुस्तक में किया है।साथ ही पटना के एसएसपी रहते हुए उन्होंने कैसे अपराध रोकने के लिए अपराधियों में डर पैदा किया इसका भी जिक्र किया गया है।
1972 में बने आईपीएस
किशोर कुणाल साल 1972 में आईपीएस अफसर बने। आईपीएस रहते हुए उन्होंने कई उपलब्धियां प्राप्त कीं जिस कारण वह हमेशा सुर्खियों में भी रहे। इसके बाद मई 2001 में उन्होंने वीआरएस ले ली थी।अगस्त 2001 से फरवरी 2004 तक केएसडी संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा, बिहार के कुलपति रहे। उसके बाद उन्होंने स्वेच्छा से पद त्याग दिया। बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड में 23 मई, 2006 को बोर्ड के प्रशासक बने और 2010 में इसके अध्यक्ष बने।उन्होंने बोर्ड के कामकाज में कई बदलाव किए और इससे जुड़े ट्रस्टों के कामकाज को सुव्यवस्थित किया। उन्होंने 10 मार्च, 2016 को इस पद से इस्तीफा दे दिया।
 2001 में नौकरी से दिया इस्तीफा
किशोर कुणाल साल 1983 में पटना के एसएसपी बनाये गये। आईपीएस के रूप में विभिन्न पदों पर सेवा देते हुए 2001 में उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और धर्म आध्यात्म की दुनिया में आ गये। बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुधार किया। राज्य भर के प्रमुख मंदिरों को धार्मिक न्यास से जोड़ने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। दलित समाज के साधुओं को मंदिरों का पुजारी बनाने में उनकी भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता।  
किशोर कुणाल के परोपकारी कार्य
पटना के प्रसिद्ध महावीर (हनुमान) मंदिर के माध्यम से उन्होंने महावीर कैंसर संस्थान, महावीर आरोग्य संस्थान, महावीर नेत्रालय, महावीर वात्सल्य अस्पताल जैसे कई धर्मार्थ अस्पतालों की स्थापना की और विभिन्न रूपों में बड़े पैमाने पर परोपकारी कार्य किए।
13 जून 1993 को पटना हनुमान मंदिर में एक दलित पुजारी नियुक्त किया गया। बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक के रूप में उन्होंने बिहटा, पालीगंज, बोधगया, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय और अन्य स्थानों पर कई प्रमुख मंदिरों में दलित पुजारियों की नियुक्ति की है। उन्होंने बिहार के सभी मंदिरों में दलित ट्रस्टियों की नियुक्ति की है। उन्हें बड़े पैमाने पर मंदिर के मामलों के प्रबंधन से जोड़ा है। संगत (सामुदायिक प्रार्थना) और पंगत (सामुदायिक भोजन) के कार्यक्रमों के माध्यम से, उन्होंने बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में पुनर्जागरण लाया है।
सांप्रदायिक सौहार्द्र
यद्यपि वे अयोध्या के एक बहुत ही विवादास्पद मुद्दे पर हिंदू और मुस्लिम धार्मिक नेताओं के बीच बातचीत के नाजुक कार्य से जुड़े थे, फिर भी उन्होंने दोनों समूहों के साथ बहुत ही सौहार्दपूर्ण संबंध बनाये रखे। इसके बाद उन्होंने विभिन्न धार्मिक मंचों से सांप्रदायिक सद्भाव का झंडा बुलंद किया। समाज के सभी वर्गों से उन्हें बहुत सम्मान प्राप्त है।
पुरस्कार
वर्ष 2008 में उन्हें भगवान महावीर फाउंडेशन, चेन्नई द्वारा प्रायोजित सामुदायिक और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में मानव प्रयास में उत्कृष्टता के लिए भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा 11वें महावीर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार में एक प्रशस्ति पत्र और पांच लाख रुपये दिए जाते हैं।
वर्ष 2006 में उन्हें समाज कल्याण समिति, बिहार, पटना द्वारा सामाजिक सेवा के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
वर्ष ।1997 में उन्हें संस्कृत के प्रचार-प्रसार में उनकी सेवा के लिए पूर्व काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह द्वारा श्रृंगेरी मठ, वाराणसी में सम्मानित किया गया था।
वर्ष 1996 में उन्हें उनकी सामाजिक और सामुदायिक सेवाओं के लिए दूसरे विवेकानंद मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
ग्रन्थकारिता कई पुस्तकों के लेखक
“दलित देवो भव”, एक महान कृति है, जिसे प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 2 खंडों में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने अयोध्या रिविजिटेड नामक पुस्तक भी लिखी है।
पाठ्यक्रम 
आईपीएस में रहते हुए दिसंबर 1995 में यूएसए में ‘क्राइसिस मैनेजमेंट कोर्स’ और हैदराबाद स्थित एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया में टॉप मैनेजमेंट कोर्स सहित कई पाठ्यक्रमों में भाग लिया।
प्रवचन
भारत और अमेरिका में भारतीय इतिहास, दर्शन, संस्कृत साहित्य और धर्मग्रंथों के कई विषयों पर प्रवचन दिए। वाल्मीकि रामायण पर एक महान विशेषज्ञ।
अन्य कार्य 
पटना के प्रसिद्ध महावीर (हनुमान) मंदिर के सचिव
सचिव, निखिल भारतीय तीर्थ विकास समिति, दिल्ली में पंजीकृत एक अखिल भारतीय सोसायटी
अध्यक्षता किये
वर्ष 2004 में वाराणसी में अखिल भारतीय प्राच्यविद्या सम्मेलन का इतिहास अनुभाग
वर्ष 2006 में जम्मू में अखिल भारतीय प्राच्यविद्या सम्मेलन के पुरातत्व अनुभाग
वर्ष 2008 में कुरुक्षेत्र में अखिल भारतीय प्राच्यविद्या सम्मेलन का इतिहास अनुभाग
संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति रहते हुए जगन्नाथपुरी, हरिद्वार, वडोदरा तथा अन्य स्थानों पर अनेक संस्कृत सम्मेलनों में भाग लिया।

मुजफ्फरपुर जिले के बरूराज कोठियां गांव के रहने वाले थे आचार्य किशोर कुणाल
एक्स आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल बिहार के  रामचंद्र प्रसाद शाही के एकलौते पुत्र किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त, 1950 को हुआ था। तब उनके पिताजी स्वर्गीय रामचंद्र प्रसाद शाही यूपी के देवरिया चीनी मिल में सुपरवाईजर के पदपर कार्यरत थे। किशोर कुणाल बचपन से ही पूरे इलाके में ईमानदार व सच्चाई के मिशाल थे। मैट्रिक के बाद उन्होंने इंटर की पढ़ाई विज्ञान विषय से की। इंटर पास करने के बाद वह पटना चले गए। वहां बीए पार्ट 1 में यूनिवर्सिटी टॉपर बने थे। वह न्यूज पेपर पढ़ने में सर्वाधिक रुचि रखते थे।
एकलौते पुत्र शायन कुणाल, बहु सांभवि चौधरी हैं एमपी
स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के कुछ ही दिन बाद न्यूज पेपर के माध्यम से किशोर कुणाल को जानकारी मिली कि यूपीएससी की वेकैंसी आई है, फिर उन्होंने उसमें अप्लाई किया। पहली बार में ही वह यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईपीएस कैडर में चयनित हुए। आईपीएस बनने बाद आचार्य किशोर कुणाल ने समस्त ग्रामीणों के बीच जश्न मनायी थी। इसी दौरान उनकी शादी को लेकर चर्चा तेज हो गई। आईपीएस में चयन होने के कुछ दिनों बाद ही उनकी शादी हो गयी।किशोर कुणाल के एकलौते पुत्र शायन कुणाल हैं। बहु सांभवि चौधरी समस्तीपुर की सांसद हैं।
पहली सैलेरी से बनाया मंदिर
ग्रामीण बताते हैं की हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार उनकी शादी हो रही थी, देवता पूजन के दौरान घर के सामने पोखर किनारे झोपड़ीनुमा मंदिर में वह अपने परिवार के संग प्रवेश किये, निकलते समय सर में चोट लग गयी। सिर से खून निकलता देख उसी समय उनकी दादी स्वर्गीय जयरूपा देवी ने कहा कि मेरे पोते की नौकरी का पहला वेतन जब आयेगा उससे मंदिर बनवायेंगे। शादी के अगले महीने उनके खाते में सैलरी आई, तो सबसे पहले उन्होंने अपने घर के सामने एक मंदिर बनवाया, जिसका नामकरण अपनी दादी के नाम से कराया।