झारखंड में सीबीआइ को बिना इंजाजत की एंट्री नहीं, हेमंत सोरेन गवर्नमेंट ने CBI से वापस ली जनरल कंसेंट 

झारखंड गवर्नमेंट ने सीबीआई को दी हुई जनरल कंसेंट वापस ले ली है। अब सीबीआइ को झारखंड में किसी मामले की जांच के लिए जाने से पहले स्टेट गवर्नमेंट से सहमति लेनी होगी। महाराष्ट्र,आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल,राजस्थान, सिक्किम, नागालैंड, छत्तीसगढ़ सरकार भी जनरल कंसेंट को वापस ले चुकी है।

झारखंड में सीबीआइ को बिना इंजाजत की एंट्री नहीं, हेमंत सोरेन गवर्नमेंट ने CBI से वापस ली जनरल कंसेंट 

रांची। झारखंड गवर्नमेंट ने सीबीआई को दी हुई जनरल कंसेंट वापस ले ली है। अब सीबीआइ को झारखंड में किसी मामले की जांच के लिए जाने से पहले स्टेट गवर्नमेंट से सहमति लेनी होगी। महाराष्ट्र,आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल,राजस्थान, सिक्किम, नागालैंड, छत्तीसगढ़ सरकार भी जनरल कंसेंट को वापस ले चुकी है।
हेमंत सोरेन गर्वमेंट ने इस फैसले पर गुरुवार को मुहर लगा दी है। झारखंड सरकार के गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने गुरुवार को दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सदस्यों को एक कानून दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेबलिशमेंट एक्ट 1946 (25 ऑफ 1946) के तहत राज्य में शक्तियों और न्यायक्षेत्र के इस्तेमाल की सहमति को वापस लेने संबंधी आदेश जारी कर दिया गया है। इसके बाद सीबीआइ को अब झारखंड में शक्तियों और न्यायाक्षेत्र के इस्तेमाल के लिए आम सहमति नहीं होगी, जो झारखंड सरकार (तत्कालीन बिहार) द्वारा 19 फरवरी 1996 को जारी एक आदेश के तहत दी गई थी। अब सीबीआइ को किसी भी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी।
झारखंड सरकार के इस कदम से सेंट्रल गवर्नमेंट के साथ टेंशन और बढ़ने की संभावना है। जीएसटी में देनदारी, कोयला कंपनियों पर बकाया, कोल कंपनियों की लीज पर निजी कंपनियों को देने जैसे मामले पर केंद्र और राज्य सरकार का टकराव हो चुका है। अभी हाल में केंद्र सरकार ने डीवीसी के बकाया का 1400 करोड़ रुपये काट लिया था, इसपर सीएम  हेमंत सोरेन ने काफी रोष जताया था।पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और केरल की सरकारों ने भी इसी तरह के फैसले लिए और सीबीआई को दी हुई सामान्य सहमति को वापस ले चुकी है। इन सभी राज्यों में बीजेपी या उसके गठबंधन सहयोगियों की गवर्नमेंट नहीं है। 

क्या है सामान्य सहमति ?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के विपरीत, जो अपने स्वयं के एनआईए अधिनियम द्वारा शासित होती है और जिसका देशभर में अधिकार क्षेत्र है।सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम द्वारा शासित की जाती है। यह अधिनियम उसे किसी भी राज्य में जांच के लिए एक राज्य सरकार की सहमति को अनिवार्य करता है।

दो तरह की होती हैं सहमति
दो प्रकार की सहमति होती हैं। पहली केस स्पेसिफिक और दूसरी जनरल (सामान्य)। यूं तो सीबीआई का अधिकार क्षेत्र केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों पर है, लेकिन राज्य सरकार से जुड़े किसी मामले की जांच करने के लिए उसे राज्य सरकार की सहमति की जरूरत होती है। इसके बाद ही, वह राज्य में मामले की जांच कर सकती हे।
सामान्य सहमति के वापस लेने का मतलब
इसका सीधा मतलब है कि सीबीआई बिना केस स्पेसिफिक सहमति मिले इन राज्यों में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई नया मामला नहीं दर्ज कर पाएगी। सामान्य सहमति को वापस लेने का मतलब है कि राज्य सरकार की अनुमति के बिना इन राज्यों में प्रवेश करते ही किसी भी सीबीआई अफसर के पुलिस अधिकारी के रूप में मिले सभी अधिकार खत्म हो जाते हैं।