बिहार: एनडीए को विधानसभा में बहुमत, तेजस्वी यादव असली बाजीगर, हारकर भी हैं सबसे आगे

बिहार विधानसभा चुनाव में 125 सीटकर जीत एनडीए ने बहुमत हासिल कर महागठबंधन को पछाड़ दिया है।महागठबंधन के लीडर तेजस्वी यादव हारकर भी बाजीगर बने हैं।

बिहार: एनडीए को विधानसभा में बहुमत, तेजस्वी यादव असली बाजीगर, हारकर भी हैं सबसे आगे
  • आंकड़ों के उलटफेर में चिराग व ओवैसी का बड़ा हाथ

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में 125 सीटकर जीत एनडीए ने बहुमत हासिल कर महागठबंधन को पछाड़ दिया है। नीतीश सातवीं बार बिहार के सीएम बनकर रिकार्ड हासिल करेंगे। इस बाक के चुनाव में  बीजेपी फस्ट डिवीजन हुई है। जेडीयू मुश्किल से पास हुई है। इसलिए इस बार नीतिश के लिए चुनौतियां ज्यादा है। 

विपक्षी महागठबंधन के भले बहुमत  हासिल नहीं कर सकी है लेकिन एनडीए के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।  महागठबंधन के लीडर तेजस्वी यादव हारकर भी बाजीगर बने हैं। चुनाव में 75 सीट लाकर आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनी है। तेजस्वी यादव अपनी पार्टी आरजेडी को भले ही सत्ता तक नहीं पहुंचा पाए, लेकिन उन्होंने वोटों और सीटों के मामले में बीजेपी को पटखनी जरूर दी है। एनडीए के सहयोगी दलों की बात करें तो बीजेपी को 74, जेडीयू को 43, वीआईपी और हम को 4-4 सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी है, जिसे 75 सीटें मिली हैं। कांग्रेस को 19 और वाम दलों को कुल 16 सीटें मिली हैं।

किस पार्टी को कितने वोट
वोट शेयर की बात करें तो आरजेडी को सबसे अधिक 23.1 परसेंट वोट मिले हैं। कुल 97 लाख 36 हजार 242 लोगों ने आरजेडी को वोट दिया है। बीजेपी दूसरे नंबर पर है जिसे 19.46 परसेंट लोगों ने वोट दिया। बीजेपी को कुल 82 लाख एक हजार 408 वोट मिले हैं। सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को 15.4 परसेंट यानी 64 लाख 84 हजार 414 लोगों ने वोट दिया। कांग्रेस को 9.5 परसेंट वोट मिले हैं।  कांग्रेस को 39 लाख 95 हजार 3 वोटर्स ने वोट दिया। एलजेपी 5.66 परसेंट यानी 23 लाख 83 हजार 457 वोट लाकर मात्र एक सीट जीत सकी है। एआईएमआईएम 1.24 परसेंट यानी पांच लाख 23 हजार 279 वोट लेकर पांच सीटें जीत गई। अन्य को 18.8 फीसदी वोट मिले हैं। 

2015 की विधानसभा चुनाव में किसे कितना वोट मिला
2015 की विधानसभा चुनाव में सीटों के मामले में तीसरे नंबर पर रही बीजेपी वोटशेयर के मामले में टॉप पर थी। बीजेपी को 53 सीटें मिली थीं, लेकिन उसे 24.42 परसेंट यानी 93 लाख 08 हजार 15 वोट मिले थे। आरजेडी को 18.35 परसेंट यानी कुल 69 लाख 95 हजार 509 लोगों ने वोट दिया था। जेडीयू को 16.83 परसेंटऔर कांग्रेस को 6.66 परसेंट वोट मिले थे। निर्दलीयों को 9.39 परसेंट वोट मिले थे। 

दोनों चुनावों की तुलना करें तो आरजेडी वोट शेयर के मामले में काफी फायदे में रही है। उसे पिछली बार से 4.75 परसेंट यानी 27 लाख 40 हजार 733 वोट ज्यादा मिले। बीजेपी ने 2015 के मुकाबले 21 सीटें अधिक हासिल की हैं।  लेकिन वोटशेयर के मामले में उसे नुकसान हुआ है। बीजेपी को इस बार 11 लाख 06 हजार 607 कम वोट मिले हैं। वोट शेयर और सीटों के मामले में जेडीयू काफी नुकसान हुआ है। उसे 28 कम सीटें मिली हैं तो वोट शेयर भी कम हुआ है। कांग्रेस का वोट शेयर काफी बढ़ा पर उसे भी सीटों के मामले में नुकसान हुआ है। पिछली बार कांग्रेस को 27 सीटें मिली थी, जबिक इस बार उसके 19 कैंडिडेट ही जीत सके।

औवसी ने महागठबंधन व चिराग ने एनडी के खेल बिगाड़े

विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने पांच सीटों पर जीत कर महागठबंधन व आरजेडी को बड़ा नुकसान पहुंचाया। ओवैसी के कारण बीजेपी व पीएम मोदी तथा नीतीश विरोधी जिन वोटों को महागठबंधन को मिलना था, वे बंट गे। ओवैसी ने मुस्लिम वोटों के साथ दलित वोटों में भी सेंधमारी कर दी। इस कारण महागठबंधन को बड़ा नुकसान हुआ। मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके में ओवैसी ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की है। महागठबंधन को भरोसा था कि सीमांचल की मुस्लिम आबादी ओवैसी के बजाए उसके साथ है, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। 
चिराग ने जेडीयू को दो दर्जन व बीजेपी को आधा दर्जन सीटों पर नुकसान पहुंचाया
विधानसभा चुनाव में एलजेपी सुप्रीमो चिराग ने लगभग 140 सीटों पर अपना कैंडिडेट उतारे थे। हालांकि पार्टी ने एक सीट पर ही जीत हासिल की है। एलजेपी ने बीजेपी को लगऊभग आधआ दजर्न व जेडीयू को दो दर्जन सीटों पर नुकसान पहुंचाया है। अगर जेडीयू की सीट पर एलजेपी कैंडिडेट नहीं होते तो वह और दो दर्जन से ज्यादा सीटें जीत सकती थी। भालपुर समेत बीजेपी की कई सीटों पर एलजेपी ने  कैंडिडेट उतारे थे। हलांकि गोविंदगंज, लालगंज जैसी सीटों पर एलजेपी कैंडिडेट रहने के बावजूद बीजेपी जीती है।