बिहार: वसूलीबाज डीआईजी 2007 बैच के आईपीएस अफसर मोहम्मद शफीउल हक सस्पेंड

बिहार गवर्नमेंट ने वसूलीबाज डीआईजी 2007 बैच के आईपीएस अफसर मोहम्मद शफीउल हक को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। आरोप है कि डीआइजी जेडीयू के नेशनल प्रसिडेंट ललन सिंह के नाम पर पुलिस के जूनियर अफसर से भयादोहन की कोशिश किया था। दो लोगों को रखकर वसूली करवा रहे थे। 

बिहार: वसूलीबाज डीआईजी 2007 बैच के आईपीएस अफसर मोहम्मद शफीउल हक सस्पेंड
वसूलीबाज डीआईजी मोहम्मद शफीउल हक।
  • एमपी ललन सिंह के नाम पर पुलिसवाले से वसूली का आरोप
  • वसूली के लिए कहा था- 'ललन सिंह का दबाव है...15 लाख से कम में मैनेज नहीं होगा'
  • जेडीयू के नेशनल प्रसिडेंट ललन सिंह से पीड़ित ने की थी कंपलेन
  • ईओयू ने की थी DIG शफीउल हक पर लगे आरोपों की जांच

पटना। बिहार गवर्नमेंट ने वसूलीबाज डीआईजी 2007 बैच के आईपीएस अफसर मोहम्मद शफीउल हक को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। आरोप है कि डीआइजी जेडीयू के नेशनल प्रसिडेंट ललन सिंह के नाम पर पुलिस के जूनियर अफसर से भयादोहन की कोशिश किया था। दो लोगों को रखकर वसूली करवा रहे थे। 

सलमान खान की फिल्म 'अंतिम- द फाइनल ट्रुथ' ने पहले वीक में कमाये 29.35 करोड़
प्राइवेट स्टाफ रखकर कराते वसूली 
ईओयू की जांच में एक और चौंकानेवाली बात सामने आई है। इसमें पता चला कि डीआईजी शफीउल हक एएसआई मोहम्मद उमरान और एक निजी आदमी के जरिए मुंगेर रेंज में आनेवाले जूनियर पुलिस अफसरों और स्टाफ से इलिगल उगाही कराते थे। ईओयू ने अपने जांच में पाया कि एएसआई मोहम्मद उमरान के गलत काम की जानकारी होते हुए भी डीआईजी शफीउल हक ने कोई कार्रवाई नहीं की। उनके इशारे पर पुलिस अफसरों से वसूली करता था।ईज्ओयू की जांच में कहा गया है कि डीआईजी एएसआइ मोहम्मद उमरान और एक प्राइवेट व्यक्ति के माध्यम से ही शफीउल हक मुंगेर प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले कई पुलिस अफसरों  व स्टाफ से अवैध राशि की उगाही किया करते थे।मोहम्मद इमरान के गलत काम संज्ञान में होने के बावजूद बतौर डीआईजी कोई कार्रवाई नहीं करने के मामले को गंभीरता से देखते हुए ईओयू ने यह माना है कि इस काम में डीआईजी की भी सहभागिता थी। इसके बाद डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग शुरू की गई थी।
ऐसे फंस गये IPS शफीउल हक
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मुंगेर के डीआईजी शफीउल हक ने बिहार पुलिस के एक जूनियर हरिशंकर कुमार को वॉट्सऐप कॉल कर पैसे की डिमांड की। उन्होंने हरिशंकर से कहा कि 'तुम्हारे खिलाफ ऊपर से कंपलेन आई है। केस के रिव्यू में मैंने पाया कि तुमने गलती की है। अगर तुम मैनेज करना चाहते हो तो 15 लाख रुपयेदेने होंगे। बातचीत के दौरान हरिशंकर ने कहा कि '15 लाख मैं नहीं दे सकता, डेढ़-दो लाख होता तो दे भी देता। हरिशंकर ने समझदारी दिखाई और दूसरे फोन से पूरी बातचीत को रेकॉर्ड कर लिया। वॉट्सऐप कॉल रेकॉर्ड नहीं होता है। डीआईजी शफीउल ने कहा कि 'ऊपर से आदेश है कि कार्रवाई की जाए।' हरिशंकर ने पूछा 'किसने दबाव बनाया है?' इसपर डीआईजी ने मुंगेर कहा कि मुंगेर एमपी 'ललन सिंह का आदेश है।

छह माह बाद हुए सस्पेंड
पुलिस अफसर हरिशंकर कुमार ने तत्काल एमपी ललन सिंह से बात की और डीआईजी शफीउल से हुई बातचीत के बारे में बताया। हरिशंकर ने बातचीत की रेकॉर्डिंग भी ललन सिंह को दे दिया। रेकॉर्डिंग को सुनने के बाद ललन सिंह ने उसे सीएम नीतीश कुमार को दे दिया। सीएम ने डीजीपी को ऑडियो को जांच करने का निर्देश दे दिया। इसके बाद ईओयू ने मामले की जांच की। इस दौरान केस से जुड़े हरिशंकर कुमार समेत अन्य लोगों की गवाही हुई। मुंगेर के एसपी मानवजीत ढिल्लो ने भी गवाही दी। एमपी मानवजीत सिंह ढिल्लो ने कहा कि बहुत सारे थानाध्यक्षों ने इस बात की शिकायत की है कि डीआईजी शफीउल पैसे की डिमांड करते हैं। शफीउल हक को मुंगेर रेंज के डीआईजी पोस्ट से जून 2021 में हेडक्वार्टर बुला लिया गया था। वे पुलिस हेडक्वार्टर में वेटिंग फॉर पोस्टिंग में चल रहे थे।गवाही और एवीडेंस जुटाने के लगभग छह महीने बाद डीआईजी शफीउल को सस्पेंड किया गया।
शफीउल हक ने कहा था-उनका कोई गॉड फादर नहीं
मुंगेर रेज के डीआईजी से हटाये जाने के बाद विदाई समारोह में आइपीएस शफीउल हक ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा था कि उनका कोई गॉड फादर नहीं है। इसलिए 27 साल की नौकरी में 21 बार उनका ट्रांसफर हो चुका है।