बिहार: BJP को नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेज तर्रार चेहरे की तलाश, तेजस्वी के मुकाबले का नेतृत्व चाहिए

बिहार में लगभग 21 महीने तक सरकार में रहने के बाद बीजेपी अब विपक्ष में है। अचानक बदली राजनीतिक परिस्थिति में बीजेपी को सड़क से सदन तक नेता प्रतिपक्ष के रूप में एक तेज-तर्रार चेहरे की तलाश है। चेहरा भी ऐसा जो नीतीश और तेजस्वी के सामने मुखर होकर अपनी बात रख सके।

बिहार: BJP को नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेज तर्रार चेहरे की तलाश, तेजस्वी के मुकाबले का नेतृत्व चाहिए
  • संजय जायसवाल व तारकिशोर नहीं डाल सके अपेक्षित प्रभाव
  • विधानसभा और विधान परिषद के लिए तीन-तीन नाम शॉर्टलिस्टेड 

पटना। बिहार में लगभग 21 महीने तक सरकार में रहने के बाद बीजेपी अब विपक्ष में है। अचानक बदली राजनीतिक परिस्थिति में बीजेपी को सड़क से सदन तक नेता प्रतिपक्ष के रूप में एक तेज-तर्रार चेहरे की तलाश है। चेहरा भी ऐसा जो नीतीश और तेजस्वी के सामने मुखर होकर अपनी बात रख सके। 

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देश के 18 राज्यों में शासन करने वाली बीजेपी की सरकार (कहीं स्वतंत्र तो कही गठबंधन वाली) अब 17 स्टेट तक सिमट चुकी है। जदयू एनडीए से बाहर है। सत्ता से अचानक विपक्ष की भूमिका में आई बीजेपी की वर्तमान स्थिति 2024 की चुनावी स्थिति के अनुकूल नहीं। 2025 में विधानसभा का चुनाव भी है। इन दोनों चुनावों को जीतने की इच्छा रखने वाली बीजेपीअब समझ चुकी है कि बिहार दुर्जेय नहीं है। ऐसे में बीजेपी को  प्रदेश में सक्षम-सशक्त नेतृत्व चाहिए। पार्टी में इसी मंशा के साथ अब ओजस्वी और तेजस्वी सर्वजन प्रिय नेता की तलाश कर रही है।
जायसवाल और तारकिशोर नहीं रहे प्रभाव विहीन 

बीजेपीको अब वैसा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष चाहिए, जो सड़क से लेकर सदन तक राज्य सरकार को घेर सके। प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल का कार्यकाल अगले माह पूरा हो जाएगा। जायसवाल और तारकिशोर के लिए बोचहां विधानसभा उपचुनाव और विधान परिषद चुनाव में सक्षम नेता सिद्ध होने का एक अवसर था, लेकिन पार्टी को बुरी तरह से मात मिली। डिप्टी सीएम रह चुके तारकिशोर प्रसाद अभी बीजेपी विधानमंडल दल के नेता हैं, जो सदन में अपनी छाप छोड़ने में बिल्कुल ही सफल नहीं रहे। कमोबेश ऐसी ही स्थिति विधानपरिषद में उप नेता नवल किशोर यादव और उप सचेतक डा. दिलीप जायसवाल की रही।

नये-पुराने चेहरे में की तलाश में जुटी बीजेपी

बीजेपी अब नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजतर्रार चेहरा तलाश रही है। चेहरा भी ऐसा जो नीतीश और तेजस्वी के सामने मुखर होकर अपनी बात रख सके। बिहार बीजेपी में इसको लेकर नामों पर मंथन शुरू हो गया है। नये-पुराने चेहरे टटोले जा रहे हैं, मगर प्राथमिकता नए चेहरे को दी जा सकती है। 
दोनों सदनों के लिए तीन-तीन नाम  भेजे जायेंगे सेंट्रल को
सोर्सेज के अनुसार बिहार बीजेपी की ओर से विधानसभा और विधानपरिषद दोनों सदन के लिए तीन-तीन नाम का प्रोपोजल  दिया जाएगा। इन नामों पर अंतिम मुहर दिल्ली में सेंट्रल लीडरशीप ही लगायेगा। अभी तक जो नाम विधानमंडल के नेता के रूप में सबसे आगे हैं, उसमें पूर्व एक्स मिनिस्टर नंदकिशोर यादव, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा और संजीव चौरसिया के नाम आगे हैं। डिप्टी सीएम की कुर्सी संभाल रहे तारकिशोर प्रसाद के नाम पर भी विचार किया जा सकता है।

विजय सिन्हा का आक्रामक रवैया बीजेपी को पसंद 

नंदकिशोर यादव इसके पहले भी नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। हाल के दिनों में विजय कुमार सिन्हा के आक्रमक रवैये को देखते हुए उन्हें भी विधानमंडल दल का नेता बनाने पर विचार किया जा रहा है। विजय कुमार सिन्हा अभी विधानसभा अध्यक्ष हैं, मगर उनके विरुद्ध महागठबंधन के दलों ने अविश्वास प्रस्ताव का आवेदन दिया है। ऐसे में उनका पद पर बने रहना मुश्किल है। ऐसे में बीजेपी विधानसभा अध्यक्ष के पद से हटते ही उन्हें प्रतिपक्ष का नेता बना सकती है। युवा चेहरों की बात की जाए तो संजीव चौरसिया, जिबेश कुमार जैसे नाम भी लिए जा रहे हैं, मगर इनपर सहमति बनेगी या नहीं, कहना मुश्किल है। 
शाहनवाज हुसैन को मिल सकता हैं विधान परिषद का जिम्मा 
विधानसभा के बाद विधानपरिषद में भी बीजेपी को सदन के नेता के रूप में एक मजबूत चेहरा चाहिए। यहां उसके पास विकल्प भी हैं। अभी तक उद्योग मंत्री के रूप में बेहतर काम करके दिखाने वाले शाहनवाज हुसैन को पार्टी आगे कर सकती है। वह केंद्र में मंत्री भी रहे हैं और उच्च सदन के हिसाब से उनकी शैली और भाषण देने का तरीका भी बेहतरीन है। दूसरा नाम, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का हो सकता है। मंगल पांडेय भी फैक्ट के जरिए अपनी बात रखने के लिए जाने जाते हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। ऐसे में उनके नाम पर भी विचार किया जा रहा है।