नई दिल्ली:महाराष्ट्र की प्रांजल पाटिल देश की पहली दृष्टिहीन महिला आईएएस बनीं

नई दिल्ली:महाराष्ट्र की 28 वर्ष प्रांजल पाटिल देश की पहली दृष्टि बाधित महिला आईएएस बनी है. प्रांजल पाटिल को केरल कैडर मिला है. प्रांजल पाटिल ने सोमवार को तिरुवनंतपुरम में डिप्टी कलक्टर का पोस्ट संभाला. प्रांजल का कहना है कि वह एक ऐसी व्यवस्था बनाना चाहती हैं जिसमें हर किसी को बिना भेदभाव के अवसर मिलें.प्रांजल पाटिल ने अपने संघर्ष और सफलता की कहानी पर कहा कि ‘मैंने कभी हार नहीं मानी’. प्रांजल का जन्म महाराष्ट्र के उल्हासनगर में हुआ.प्रांजल अपनी सफलता का श्रेय वे अपने मां-पिता को देती हैं, जो उन्हें हमेशा प्रेरित करते रहे. [caption id="attachment_40145" align="alignnone" width="300"] माता-पिता के साथ प्रांजल.[/caption] बचपन में आंख की रौशनी चली गई प्रांजल मात्र छह साल की थीं जब खेल-खेल में उनकी आंख में पेंसिल लग गई. हादसा इतना गंभीर था कि कुछ दिन बाद ही उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई.वह अचानक अंधेरे में चली गई दुनिया से जूझना प्रांजल के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी. जेएनयू से की पढ़ाई प्रांजल ने जवाहर लाल यूनिर्वसिटी से इंटरनेशनल रिलेशन पर ग्रेजुएशन किया. फिर पीएचडी और एमफिल किया. प्रांजल कहती हैं कि वहां हर किसी में समाज के लिए कुछ करने जा जज्बा था, जिससे प्रभावित होकर उन्होंने सिविल सेवा में जाने का फैसला किया. रेलवे ने नौकरी देने से किया इनकार, नहीं हारी हिम्मत प्रांजल ने वर्ष 2016 में यूपीएससी की परीक्षा में 773वीं रैंक हासिल की. रैंक के अनुसार प्रांजल को इंडियन रेलवे की अकाउंट सर्विस में नौकरी का प्रस्ताव मिला. रेलवे ने दृष्टिहीनता के कारण प्रांजल को नौकरी नहीं दी.वह बेहद निराश थीं लेकिन हार नहीं मानी. दोबारा प्रयास करने की ठानी. प्रांजल वर्ष 2011 में यूपीएसपी में 124वीं रैंक हासिल की. आइएएस में केरल कैडर मिला. प्रांजल को ट्रेनिंग के दौरान एर्नाकुलम अस्सिटेंट कलेक्टर बनाया गया था.