नई दिल्ली: चिराग ने रविवार को बुलाई LJP राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक, चाचा पारस के खिलाफ भतीजे का नया दांव

चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को पार्टी अध्यक्ष के रुप में निर्वाचन को इलिगल बताया है। उन्होंने कहा कि गुरुवार को  पटना में आयोजित बैठक असंवैधानिक थी। इसमें राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्यों की न्यूनतम उपस्थिति तक नहीं थी।

नई दिल्ली: चिराग ने रविवार को बुलाई LJP राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक, चाचा पारस के खिलाफ भतीजे का नया दांव
  • भतीजे का दावा 90 में से नौ कार्यकारिणी मेंबर के दम पर ही चाचा पारस बने प्रसिडेंट

नई दिल्ली। चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को पार्टी अध्यक्ष के रुप में निर्वाचन को इलिगल बताया है। उन्होंने कहा कि गुरुवार को  पटना में आयोजित बैठक असंवैधानिक थी। इसमें राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्यों की न्यूनतम उपस्थिति तक नहीं थी। 

चिराग ने कहा कि पार्टी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पारस के नेतृत्व वाले गुट  को बैठकों में पार्टी का चिह्न और झंडे का इस्तेमाल करने से रोकने का आग्रह भी किया है।चिराग पासवान ने दावा किया पशुपति पारस को सिर्फ नौ राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यों ने अध्यक्ष चुना। जबकि LJP में 90 से ज्यादा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पार्टी के 90 से अधिक स्वीकृत सदस्य हैं। टना में हुई बैठक में मात्र नौ ही उपस्थित थे।चिराग पासवान ने अपना नया दांव चलते हुए 20 जून को LJP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलायी है। इस बैठक के संबंध में पार्टी के प्रधान महासिचव ने पत्र जारी किया है। 

पटना बैठक तक असंवैधानिक
चिराग पासवान ने कहा कि लोजपा संविधान के अनुसार पार्टी प्रमुख के तौर पर वो या महासचिव के रूप में खालिक ही ऐसी कोई बैठक करने के लिए अधिकृत हैं। 
लोकसभा स्पीकर को पत्र
चिराग ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से सदन में पार्टी के नेता के रूप में पशुपति कुमार पारस को मान्यता देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि लोजपा संविधान अपने संसदीय बोर्ड को संसद में अपने नेता के बारे में फैसला करने के लिए अधिकृत करता है। उन्होंने कहा कि ‘मेरे चाचा के नेतृत्व वाला गुट एक स्वतंत्र समूह हो सकता है।लेकिन एलजेपी का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता।’
 कोर्ट जायेंगे चिराग
चिराग नेकहा कि वह इस मुद्दे पर लोकसभा स्पीकर से मिलने की कोशिश करेंगे। अगर फैसला वापस नहीं लिया गया तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे।