नई दिल्ली: कोविशील्ड और कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी, PM मोदी ने दी बधाई

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन को आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। मैसर्स केडिला हेल्थकेयर को भारत में तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल करने की अनुमति दी गई है।

नई दिल्ली: कोविशील्ड और कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी, PM मोदी ने दी बधाई

नई दिल्ली। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन को आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। मैसर्स केडिला हेल्थकेयर को भारत में तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल करने की अनुमति दी गई है। डीसीजीआइ के अनुसार दोनों वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित हैं। टीकाकरण के दौरान  दो-दो डोज डी जायेगी। 
इससे पहले इन दोनों कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की सिफारिश करने वाली सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी (CEC) ने कुछ शर्तों के साथ दोनों वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को हरी झंडी दी थी।आज डीजीसीआइ ने आखिरी मुहर लगाई है।

उल्लेखनीय है कि आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसीत वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट कोविशील्ड नाम से इंडिया में प्रोडक्शन रहा है। स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने विकसित किया है। डीसीजीआइ से मंजूरी मिलने के बाद अब देश में कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल शुरू हो जायेगा।अब उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही देश में टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी। हालांकि फिलहाल प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण किया जायेगा। टीकाकरण को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इससे पहले ड्राई रन चलाया। 

टीके कैसे विकसित किये गये

कोविशील्ड में प्रतिकृति की कमी वाला चिम्पांजी वायरल वेक्टर का उपयोग किया गया है। यह सामान्य सर्दी वायरस (एडेनोवायरस) के कमजोर संस्करण पर आधारित है, जो कि चिम्पांजी में संक्रमण का कारण बनता है। इसमें SARS-CoV-2 वायरस स्पाइक प्रोटीन की आनुवंशिक सामग्री होती है। टीकाकरण के बाद सतही स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन होता है, जो कि SARS-CoV-2 पर हमला के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को भड़काता है, अगर यह बाद में शरीर को संक्रमित करता है।

कोवाक्सिन एक निष्क्रिय टीका है। निष्क्रिय टीका जो कि बीमारी का कराण बनने वाले जीवित सूक्ष्मजीवों को निष्क्रिय करने (मारने) से विकसित किया जाता है। यह बीमारी को दोहराने की क्षमता को नष्ट कर देता है। हालांकि यह इसे एक हद तक बरकरार रखता है ताकि प्रतिरक्षा प्रणाली अभी भी इसे पहचान सके और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सके। भारत बायोटेक ने कहा है कि हेपेटाइटिस ए, इन्फ्लुएंजा, पोलियो, रेबीज के खिलाफ कई निष्क्रिय टीके हैं, जो "उत्कृष्ट सुरक्षा" प्रदान करते हैं। 

परीक्षण और प्रभावकारिता

दवा नियंत्रक ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने 23,745 से अधिक विदेशी प्रतिभागियों के डेटा का परीक्षण किया, जिसमें 70.42 परसेंट प्रभावकारिता थी। भारत में आयोजित किये गये फस्ट व सेकेंड फेज के परीक्षण में 1,600 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसके परिणाम पहले चरण के परीक्षण के बराबर थे।भारत बायोटेक ने फस्ट व सेकेंड फेज का परीक्षण 800 प्रतिभागियों पर किया। इसके अलावा कई जानवरों पर भी इसके परीक्षण किये गये। इसका थर्ड परीक्षण चल रहा है। कुल 22,500 प्रतिभागियों ने इसमें भाग लिया। दवा नियंत्रक ने कहा कि टीका प्रभावी और सुरक्षित पाया गया है।