Jharkhand: कुख्यात अपराधी मयंक सिंह को रामगढ़ जेल में रखना खतरा, सेंट्रल जेल घाघीडीह जमशेदपुर में होगा शिफ्ट
कुख्यात अपराधी सुनील सिंह मीणा उर्फ मयंक सिंह को सुरक्षा कारणों से रामगढ़ जेल से जमशेदपुर के घाघीडीह केंद्रीय कारा में स्थानांतरित किया जाएगा। उसके लारेंस विश्नोई और अमन साव गिरोह से संबंधों का खुलासा हुआ है।

- कुख्यात अपराधी मयंक सिंह को रामगढ़ जेल में रखना खतरा
- अब जमशेदपुर के घाघीडीह केंद्रीय कारा में होगी कड़ी निगरानी
रांची/रामगढ़। झारखंड पुलिस और जेल प्रशासन ने कुख्यात अपराधी सुनील सिंह मीणा उर्फ मयंक सिंह को रामगढ़ उपकारा से जमशेदपुर के घाघीडीह सेंट्रल जेल में स्थानांतरित करने का फैसला लिया है।
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सूत्रों के मुताबिक, खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि रामगढ़ जेल में उसकी मौजूदगी से सुरक्षा व्यवस्था को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसी कारण जेल प्रशासन ने आईजी जेल से अनुमति लेकर उसे जल्द ही शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
अजरबैजान से प्रत्यार्पण के बाद से रामगढ़ जेल में था बंद
मयंक सिंह को अजरबैजान से 23 अगस्त 2025 को रांची लाया गया था, जहां उसे न्यायिक हिरासत में रामगढ़ उपकारा में रखा गया था। वह कुख्यात अमन साव गिरोह का सक्रिय सदस्य है और हत्या, रंगदारी, आर्म्स एक्ट जैसे 48 से अधिक मामलों में आरोपी है। इन मामलों में हजारीबाग, रामगढ़, रांची, पलामू और गिरिडीह जिलों के थाने शामिल हैं।
हजारीबाग में सबसे ज्यादा केस, लारेंस विश्नोई से भी जुड़ाव
जांच में खुलासा हुआ कि मयंक सिंह मूल रूप से राजस्थान के अनूपगढ़ जिले के मंडी थाना क्षेत्र के घड़साना का निवासी है। झारखंड एटीएस की रिपोर्ट के अनुसार, वह अंतरराष्ट्रीय अपराधी लारेंस विश्नोई गिरोह के संपर्क में था और अमन साव गैंग को हथियारों की आपूर्ति करता था। इसके साथ ही, उसने कोयला कारोबारियों, ट्रांसपोर्टरों और बड़े व्यापारियों से रंगदारी वसूली के लिए धमकी भरे कॉल भी किए थे।
रामगढ़ से घाघीडीह स्थानांतरण क्यों जरूरी?
जेल सूत्रों ने बताया कि मयंक सिंह के जेल में रहते हुए अन्य अपराधियों से उसका नेटवर्क सक्रिय होने की आशंका बढ़ रही थी। इस कारण जेल प्रशासन ने सुरक्षा जोखिम को देखते हुए उसे घाघीडीह की उच्च सुरक्षा व्यवस्था वाली जेल में भेजने का प्रस्ताव दिया, जिसे आईजी जेल ने मंजूरी दे दी है। अब उसे केंद्रीय कारा घाघीडीह में सख्त निगरानी और अलग बैरक में रखने की योजना है ताकि किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधि को रोका जा सके।
Threesocieties.com विश्लेषण
मयंक सिंह का यह मामला सिर्फ झारखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य के अपराध जगत और जेल सुरक्षा प्रणाली की गंभीर खामियों को भी उजागर करता है।
अंतरराज्यीय अपराधी नेटवर्क और जेल के अंदर सक्रिय गिरोहों पर नियंत्रण झारखंड प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।