झारखंड: 73 हजार पुलिस कांस्टेबल 14 अप्रैल से सामूहिक अवकाश पर जायेंगे, मांगों पर विचार के लिए अल्टीमेटम

झारखंड के 73 हजार पुलिस कांस्टेबल-हवलदारों ने अपनी मांगों पर वचार नहीं किये जाने पर 14 अप्रैल से सामूहिक अवकाश पर जाने का अल्टीमेटम दिया है। झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन ने वार्ता के लिए स्टेट गवर्नमेंट को आठ मार्च तक का समय दिया है।

झारखंड: 73 हजार पुलिस कांस्टेबल 14 अप्रैल से सामूहिक अवकाश पर जायेंगे, मांगों पर विचार के लिए अल्टीमेटम
  • झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन ने वार्ता के लिए स्टेट गवर्नमेंट को दिया आठ मार्च तक का समय

रांची। झारखंड के 73 हजार पुलिस कांस्टेबल-हवलदारों ने अपनी मांगों पर वचार नहीं किये जाने पर 14 अप्रैल से सामूहिक अवकाश पर जाने का अल्टीमेटम दिया है। झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन ने वार्ता के लिए स्टेट गवर्नमेंट को आठ मार्च तक का समय दिया है।

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पुलिस मेंस एसोसिएशन ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि आठ मार्च तक उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार नहीं किया गया तो नौ अप्रैल से उनका आंदोलन शुरू हो जायेगा।आंदोलन चार चरणों में होगा। चौथा चरण 14 अप्रैल से होगा, जब राज्य के 73 हजार पुलिस कांस्टेबल-हवलदार पांच दिनों के सामूहिक अवकाश पर चले जायेंगे।
एसोसिएशन का कहना है कि जिस लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी इन्हीं कांस्टेबल-हवलदारों के कंधे पर है, अगर वे अवकाश पर चले जायेंगे तो राज्य की पुलिसिंग व्यवस्था ठप हो जायेंगी। झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष राकेश कुमार पांडेय ने बताया कि उनका एसोसिएशन जवानों की बुनियादी सुविधाओं व समस्याओं के निवारण के लिए सरकार-प्राधिकार में प्रयास कर रहा है। एसोसिएशन सीएम हेमंत सोरेन से भी मिलने के लिए कई बार समय मांगा, लेकिन हर वक्त असफलता हाथ लगी। इन्हीं मुद्दों को लेकर 14 फरवरी को एसोसिएशन की एक दिवसीय राज्य स्तरीय बैठक हुई। बैठक में ही यह निर्णय लिया गया कि आठ मार्च तक सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं करती है तो वे आंदोलन को बाध्य होंगे।
आंदोलन की रुप रेखा
प्रथम चरण : नौ, 10 व 11 मार्च को सिपाही-हवलदार अपने बांये कंधे पर काला बिल्ला लगाकर करेंगे ड्यूटी।
द्वितीय चरण : 21 मार्च को सभी जिला-वाहिनी, पोस्ट व पिकेट का मेस बंद रहेगा। सभी जवान एक दिन के सामूहिक उपवास पर रहेंगे।
तृतीय चरण : 31 मार्च को एसोसिएशन के पदाधिकारी-सदस्य अपने-अपने जिला, वाहिनी मुख्यालय में एक दिवसीय धरना देंगे और वहां के विभागाध्यक्ष को अपनी मांग पत्र सौंपगे।
चतुर्थ चरण : अगर इसके बाद भी मांगों पर विचार नहीं हुआ तो 14 अप्रैल से राज्य के सभी सिपाही-हवलदार पांच दिनों के सामूहिक अवकाश पर चले जायेंगे। इस दौरान राज्य में उत्पन्न किसी भी प्रकार की विधि-व्यवस्था ड्यूटी या समस्या के लिए सिपाही-हवलदार दोषी नहीं होंगे।
पुलिसकर्मियों की मांगें
20 दिनों का क्षतिपूर्ति अवकाश पहले की तरह बहाल करें। पुलिसकर्मियों को मिलने वाले एक माह के अतिरिक्त वेतन में त्रुटि का निदान करें। एसीपी-एमएसीपी से संबंधित आदेश में त्रुटि का निराकरण करें। सातवें वेतन के अनुरूप वर्दी, राशन, धुलाई, विशेष कर्तव्य, आरमोरर, चालक, दुह, राइफल, तकनीकी, शिक्षण व प्रशिक्षण भत्तेलागू हों। जवानों को बेहतर इलाज के लिए मेडिक्लेम की व्यवस्था या प्रतिपूर्ति की जटिल प्रक्रिया को समाप्त किया जाय। राज्य में तनाव के कारण आये दिन जवान आत्महत्या कर रहे हैं, इसे रोकने के लिए सार्थक पहल
किया जाय। उग्रवादी अभियान में लगे जवानों की सुविधा बढ़े, मनोबल बढ़ाया जाय। नये वाहिनी एवं राज्य के कई जिलों में पुलिसकर्मियों का कार्यालय, पारिवारिक आवास भवन व बैरक का निर्माण किया जाय। वर्ष 2004 के बाद बहाल जवानों के लिए पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाय। शिकायत काेषांग, स्थानांतरण समिति, अनुकंपा समिति में पुलिस मेंस एसोसिएशन को सदस्य रखा जाय। मुसहरी कमेटी के अनुरूप जवानों को आठ घंटे की ड्यूटी व साप्ताहिक अवकाश प्रदान की जाय। केंद्र के अनुरूप झारखंड पुलिस के जवानों के भी दो बच्चे-बच्चियों की पूरी शिक्षा का खर्च दिलाया जाय। राज्य के उन्नति में बलिदान देने वाले झारखंड पुलिस के जवानों के आश्रितों को भू-खंड देने के लिए नीति बनाएं व उनके जीविकोपार्जन के लिए गैस एजेंसी-पेट्रोल पंप की पात्रता की अनुशंसा की जाय। कानून व्यवस्था स्थापित करने में अपनी जान गंवाने वाले सिपाही-हवलदार को शहीद का दर्जा देते हुए राजकीय स्तर पर पुलिसकर्मी के पार्थिव शरीर की अंत्येष्टी के स्थान पर बंदूक से सलामी दी जाय।