JAMA Masjid  में जा सकेंगी लड़कियां, एलजी के हस्तक्षेप के बाद वापस लिया गया बैन का आदेश

देश की राजधानी दिल्ली की जामा मस्जिद में लड़कियों की इंट्री पर लगाया गया बैन वापस ले लिया गया है। अब जामा मस्जिद में लड़कियां इंट्री सकेंगी। मामला तूल पकड़ने के बाद दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने इस पर हस्तक्षेप किया है। 

JAMA Masjid  में जा सकेंगी लड़कियां, एलजी के हस्तक्षेप के बाद वापस लिया गया बैन का आदेश

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली की जामा मस्जिद में लड़कियों की इंट्री पर लगाया गया बैन वापस ले लिया गया है। अब जामा मस्जिद में लड़कियां इंट्री सकेंगी।

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मामला तूल पकड़ने के बाद दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने इस पर हस्तक्षेप किया है। बताया जाता है कि एलजी ने जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी से बात की और लड़कियों का इंट्री बैन करने वाले आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया। एलजी की अपील पर इमाम बुखारी ने सहमति जताई और आदेश वापस लेने का फैसला किया। उन्होंने यहां आने वाले लोगों से मस्जिद की पवित्रता का सम्मान करने का अनुरोध किया है। 

महिला आयोग ने जारी किया था नोटिस
राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले को लेकर जामा मस्जिद प्रबंधन को नोटिस जारी किया था। इस पूरे मामले पर स्पष्टीकरण मांगने के साथ उनसे महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव न करने को लेकर आगाह किया था। आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा था कि हम इस मामले को स्वत: संज्ञान ले रहे हैं। यह गंभीर मामला है। जल्द ही इस पर आगे की कार्यवाई की जायेगी।
मस्जिद मैनेजमेंट ने दी थी बेतुकी दलील
लड़कियों के मस्जिद में इंट्री पर बैन के फैसले को लेकर मस्जिद मैनेजमेंट की ओर से अजीबोगरीब दलील दी गई थी। जामा मस्जिद मैनेजमेंट का कहना था कि महिलाओं का इंट्री बैन नहीं है। केवल अकेली महिलाएं की एंट्री पर बैन है। क्योंकि इस धार्मिक स्थल पर लड़िकयां अनुचित हरकतें करती हैं, वीडियो शूट करती हैं। इन सब को रोकने के लिए मैनेजमेंट ने कदम उठाया है। मस्जिद मैनेजमेंट का कहना है कि परिवार या विवाहित जोड़ों पर कोई बैन नहीं लगाया गया है। 

मस्जिद के गेट पर लगाया गया था नोटिस
जामा मस्जिद में लड़कियों के इंट्री पर बैन के मामले का नोटिस लगाया था। जामा मस्जिद के इंट्री गेट से लड़कियों के प्रवेश पर प्रतिबंध के सूचना पट हटा लिए गये हैं। इमाम सैयद अहमद बुखारी ने की इसकी पुष्टि की है। जामा मस्जिद मैनेजमेंट के इस फैसले को लेकर मुस्लिम संगठनों, सामाजिक संगठनों और महिला संगठनों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई। लोग इसे महिला विरोधी मानसिकता की पराकाष्ठा बताते हुए मस्जिद प्रबंधन से ये फैसला तुरंत वापस लेने की मांग कर रहे थे।