धनबाद:डीएमएफटी फंड की योजनाओं की हो रही है जांच,हाइकोर्ट के निर्देश पर बनीं कमेटी

डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) से ली गयी योजनाओं का लाभ क्या प्रभावित क्षेत्र के लोगों को मिल रहा है? इसकी जांच शुरू शुरू हो गयी है। झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर डीसी ने विभागवार टीम गठित कर योजनाओं की उपयोगिता पर रिपोर्ट मांगी है।

  • वित्तीय वर्ष 2016-17 से हुए खर्च की जांच होगी
  • माइनिंग एरिया लोगों को लाभ दिलाना उद्देश्य:डीसी

धनबाद।डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) से ली गयी योजनाओं का लाभ क्या प्रभावित क्षेत्र के लोगों को मिल रहा है? इसकी जांच शुरू शुरू हो गयी है। झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर डीसी ने विभागवार टीम गठित कर योजनाओं की उपयोगिता पर रिपोर्ट मांगी है। धनबाद में डीएमएफटी से लगभग 1000 करोड़ की योजनाएं ली गयी हैं।
झारखंड हाई कोर्ट में डीएमएफटी को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गयी है। हाइकोर्ट ने डीसी से योजनाओं की उपयोगिता के बारे में स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है।  डीसी उमाशंकर सिंह ने नगर निगम, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग सहित वैसे विभाग, जहां डीएमएफटी की राशि से योजनाएं ली गयी है या चल रही हैं, की जांच के लिए अलग-अलग कमेटियां बनायी हैं। डीसी ने कहा कि कमेटी को यह जांच करने के लिए कहा गया है कि योजनाओं का लाभ एरिया के लोगों मिल रहा है या नहीं या मिल सकता है या नहीं? डीएमएफटी के नियमों के अनुसार माइनिंग एरिया के आस-पास की आबादी को लाभ देनेवाली योजनाओं को प्राथमिकता देनी है। एडीएम (लॉ एंड आर्डर) चंदन कुमार जांच का समन्वय करेंगे. वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2020-21 में अब तक हुए खर्च की विस्तृत जांच होगी।
विभिन्न योजनाओं पर DMFT के तहत खर्च की गयी राशि
नगर निगम एरिया में जलापूर्ति के लिए खरीदे गये टैंकर : एक करोड़।
रोड की सफाई के लिए तीन बड़ी व दो छोटी रोड स्वीपिंग मशीन खरीदी गयी : तीन करोड़।
कंबाइंड बिल्डिंग से मेमको मोड़ और बैंक मोड़ से कतरास तक स्ट्रीट लाइट: तीन करोड़।
प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी : परियोजना लागत 92.10 करोड़। कुल क्षेत्र दस एकड़, कुल आवासीय इकाइयों की संख्या 1500। इस योजना पर काम नहीं हुआ।
धनबाद शहरी जलापूर्ति योजना फेज-2 : लागत 579.89 करोड़, निर्माण अवधि 36 माह, जलस्रोत मैथन डैम व दामोदर नदी, इंटेक वेल 77 एमएलडी, ग्राउंड लेवल सर्विस रिजर्वायर 8.6 एमएल, दो जलशोध संस्थान (दस एमएलडी भेलाटांड़ व 5.5 एमएलडी कांड्रा), 570 किमी का पाइपलाइन नेटवर्क, 76 हजार 79 घरों तक पानी पहुंचाने का टारेगट। इसका काम चल रहा है।
अन्य योजनाओं पर खर्च: लगभग 250 करोड़।
जांच के प्रमुख बिंदु
योजना कितनी जरूरी थी, इसके लिए जो डीपीआर बनाया गया, क्या वह योजना के अनुकूल है?
योजना पर कितना काम हो चुका है, कितनी राशि खर्च की गई है, कितनी होनी चाहिए थी। DMFT फंड से ही राशि क्यों खर्च की गई, किसी योजना का एस्टीमेट तो अधिक नहीं है।