देश के पहले सूर्य मिशन 'आदित्य एल1' का सफल प्रक्षेपण,पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा

भारतीय अंतरिक्ष संगठन (इसरो) चंद्रमा पर सफल 'सॉफ्ट लैंडिंग' के बाद एक बार फिर इतिहास रचने जा रहा है। ईसरो ने शनिवार को देश के पहले सूर्य मिशन 'आदित्य एल1' का अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण किया। इसरो ने बताया कि आदित्य-एल1 यान पीएसएलवी रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया है। 

देश के पहले सूर्य मिशन 'आदित्य एल1' का सफल प्रक्षेपण,पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा
आदित्य एल1 का अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण।
  • 16 दिन चक्कर लगायेगा
  • 110 दिन में 15 लाख किमी दूर L1 पॉइंट पर पहुंचेगा

चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष संगठन (इसरो) चंद्रमा पर सफल 'सॉफ्ट लैंडिंग' के बाद एक बार फिर इतिहास रचने जा रहा है। ईसरो ने शनिवार को देश के पहले सूर्य मिशन 'आदित्य एल1' का अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण किया। इसरो ने बताया कि आदित्य-एल1 यान पीएसएलवी रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया है। 

यह भी पढ़ें:Gangs of Wasseypur Dhanbad : गैगस्टर प्रिंस खान का घर कुर्क, JCB लेकर पहुंची थी बैंक मोड़ पुलिस 


इंडिया का यह मिशन सूर्य से संबंधित रहस्यों से पर्दा हटाने में मदद करेगा। ईसरो के अफसरों ने बताया कि जैसे ही 23.40 घंटे की उलटी गिनती समाप्त हुई, 44.4 मीटर लंबा ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस सेंटर से सुबह 11.50 बजे निर्धारित समय पर शानदार ढंग से आसमान की तरफ रवाना हुआ। रॉकेट ने 63 मिनट 19 सेकेंड बाद आदित्य को 235 x 19500 Km की पृथ्वी की ऑर्बिट में छोड़ दिया। लगभग चार महीने बाद यह 15 लाख Km दूर लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज पर आसानी से रिसर्च की जा सकती है। 
आदित्य एल1’ सूर्य के रहस्य जानने के लिए विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक अध्ययन करने के साथ ही विश्लेषण के वास्ते इसकी तस्वीरें भी धरती पर भेजेगा।इसरो के अनुसार, ‘आदित्य-एल1’ सूर्य का अध्ययन करनेवाली पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है। यह अंतरिक्ष यान 125 दिन में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर लंबी यात्रा करने के बाद लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होगा, जिसे सूर्य के सबसे करीब माना जाता है। यह वहीं से सूर्यपर होनेवाली विभिन्न घटनाओं का अध्ययन करेगा. पिछले महीने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’में सफलता प्राप्त कर भारत ऐसा कीर्तिमान रचनेवाला दुनिया का पहला और अब तक का एकमात्र देश बन गया है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच ‘लैग्रेंजियन’ बिंदु (या पार्किंग क्षेत्र) हैं, जहां पहुंचने पर कोई वस्तु वहीं रुक जाती है। लैग्रेंज बिंदुओं का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर पुरस्कार प्राप्त करने वाले उनके अनुसंधान पत्र-‘एस्सेसुर लेप्रोब्लेम डेस ट्रोइस कॉर्प्स, 1772’ के लिए रखा गया है। लैग्रेंज बिंदु पर सूर्य और पृथ्वी के बीच गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित होता है, जिससे किसी उपग्रह को इस बिंदु पर रोकने में आसानी होती है। सूर्य मिशन को ‘आदित्य एल-1’ नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन बिंदु1 (एल1) क्षेत्र में रहकर अपने अध्ययन कार्य को अंजाम देगा।  यहां स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुए अंतरिक्ष यान को वैज्ञानिक शुरू में पृथ्वी की निचली कक्षा में रखेंगे, और बाद में इसे अधिक दीर्घवृत्तकार किया जायेगा। अंतरिक्ष यान को फिर इसमें लगी प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल कर ‘एल1’ बिंदु की ओर भेजा जायेगा, ताकि यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव से बाहर निकल सके और एल1 की ओर बढ़ सके। बाद में, इसे सूर्य के पास एल1 बिंदु के इर्द गिर्द एक बड़ी प्रभामंडल कक्षा में भेजा जायेगा।

आदित्य L1 का सफर
PSLV रॉकेट ने आदित्य को 235 x 19500 Km की पृथ्वी की कक्षा में छोड़ा।
16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा। 5 बार थ्रस्टर फायर कर ऑर्बिट बढ़ायेगा।
फिर से आदित्य के थ्रस्टर फायर होंगे और ये L1 पॉइंट की ओर निकल जायेगा।
110 दिन के सफर के बाद आदित्य ऑब्जरवेटरी इस पॉइंट के पास पहुंच जायेगा।