झारखंड: प्रोमोशन पर लगी रोक हटेगी, SC-ST कर्मियों को सीनीयर पोस्ट पर भी मिलेगा रिजर्वेशन का लाभ

झारखंड में प्रोमोशन पर लगी रोक हटाया जा सकती है। वहीं प्रमोशन में मिले रिजर्वेशन का लाभ रिजर्व कटेगरी के कर्मियों को सीनीयर पोस्ट पर भी जारी रह सकता है। इस प्रकार सामान्य वर्ग के कर्मी जो नियुक्ति के समय अपने साथ या बाद की रिजर्व कटेगरी के कर्मियों से जूनियर हो गये हैं, वह बाद के पोस्टों पर भी अपने रिजर्व कटेगरी के कर्मियों से सीनीयर नहीं हो पायेंगे। 

झारखंड: प्रोमोशन पर लगी रोक हटेगी, SC-ST कर्मियों को सीनीयर पोस्ट पर भी मिलेगा रिजर्वेशन का लाभ

रांची। झारखंड में प्रोमोशन पर लगी रोक हटाया जा सकती है। वहीं प्रमोशन में मिले रिजर्वेशन का लाभ रिजर्व कटेगरी के कर्मियों को सीनीयर पोस्ट पर भी जारी रह सकता है। इस प्रकार सामान्य वर्ग के कर्मी जो नियुक्ति के समय अपने साथ या बाद की रिजर्व कटेगरी के कर्मियों से जूनियर हो गये हैं, वह बाद के पोस्टों पर भी अपने रिजर्व कटेगरी के कर्मियों से सीनीयर नहीं हो पायेंगे। 

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झरखंड गवर्नमेंट अपने कर्मियों की प्रोमोशन में कर्नाटक गवर्नमेंट की तर्ज पर नये प्रावधानों को लाने की तैयारी कर रही है। जानकार सोर्सेज के स्टेट गवर्नमेंट एससी, एसटी कर्मियों के लिये कॉन्सीक्वेंसल सीनियोरिटी ला सकती है। संविधान के 85 वें संशोधन के माध्यम से अनुच्छेद 16 (4-क) को जोड़ कर कॉन्सीक्वेंसल सीनियोरिटी का प्रावधान किया गया था। वस्तुत: कॉन्सीक्वेंसल सीनियोरिटी से तात्पर्य यह है कि प्रोमोशन में मिले रिजर्वेशन का लाभ रिजर्व कटेगरी के कर्मियों को सीनीयर पोस्ट पर भी मिलता रहेगा। इस प्रकार जनरलकटेगरी के कर्मी जो नियुक्ति के समय अपने साथ या बाद के रिजर्व कटेगरी के कर्मियों से कनीय हो गये हैं वह बाद के पदों पर भी अपने रिजर्व कटेगरी के कर्मियों से वरीय नहीं हो पायेंगे।

झारखंड में कर्नाटक मॉडल की तैयारी

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक गवर्नमेंट द्वारा 2002 में इस निमित बनाये गये कानून को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पवित्रा (एक) मामले में संविधान के विरुद्ध बता कर गैर कानूनी करार दिया गया था। इसके बाद कर्नाटका गवर्नमेंट द्वारा रतना प्रभा कमेटी का गठन कर अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मियों के संबंद्ध में आंकड़े एकत्रित किये गये। इन आंकड़ों के आधार पर 2018 में एक नया कानून बनाया गया। इसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा पवित्रा (दो) मामले में विधिसम्मत करार दिया गया।
सोर्सेज के अनुसार स्टेट गवर्नमेंट पवित्र दो के निर्णय के आधार पर ही प्रस्तावित अध्यादेश या विधेयक की ओर से बढ़ रही है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभी हाल में 28 जनवरी को न्याय निर्णय में सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय बेंच द्वारा पवित्रा (दो) में दिये गये निर्णय को कुछ मामलों में खारिज कर दिया गया है। ऐसे में देखना होगा कि स्टेट गवर्नमेंट इस कठिन मुद्दे को किस प्रकार साधती है। पूर्व में विधानसभा की विशेष समिति द्वारा इस विषय को लेकर एक विस्तृत प्रतिवेदन दिया गया था, जिसके बाद से राज्य सरकार के कर्मियों की प्रोमोशन पर रोक लगाई गई। राज्य सरकार द्वारा अधिकारियों की उच्च स्तरीय समिति द्वारा भी एससी, एसटी कर्मियों के सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व की स्थिति की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपी गई है।

प्रोमोशन पर लगी रोक जल्द हटेगी
झारखंड हाई कोर्ट द्वारा अपने एक निर्णय में सरकार द्वारा प्रोमोशन पर लगाई गई रोक को गैर कानूनी बताया गया है।हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में झारखंड सरकार अगले एक दो दिन में प्रोमोशन पर लगाई गई रोक हटाने जा रही है। इस आधार पर फिलहाल पूर्व की भांति सरकारी कर्मियों को प्रोमोशन  मिलती रहेगी। इसके बाद आगे के लिये विधेयक लाने की तैयारी की जा रही है। कैबिनेट की गुरुवार को आयोजित राज्य बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण होने जा रही है। अभी तक की तैयारियों के अनुसार इस बैठक में प्रोमोशन पर लगी रोक हटाने को लेकर कार्मिक विभाग के प्रोपोजल पर चर्चा संभव है। प्रोमोशन पर लगी रोक हटनी तो है ही, इसे एक समय सीमा के अंदर हटाने की तैयारियों में सरकार लगी है।