बिहार: VIP चीफ मुकेश सहनी की नीतीश कैबिनेट से डिसमिसल पर गवर्नर की मुहर

वीआइपी सुप्रीमो और बिहार सरकार के पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रहे मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से डिसमिस कर दिया गया है। गवर्नर फागू चौहान ने सीएम नीतीश कुमार की अनुशंसा पर उन्हें डिसमिस करने की स्वीकृति दे दी है। 

बिहार: VIP चीफ मुकेश सहनी की नीतीश कैबिनेट से डिसमिसल पर गवर्नर की मुहर
  • सन ऑफ मल्लाह को बीजेपी से पंगा लेना पड़ गया भारी

पटना। वीआइपी सुप्रीमो और बिहार सरकार के पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रहे मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से डिसमिस कर दिया गया है। गवर्नर फागू चौहान ने सीएम नीतीश कुमार की अनुशंसा पर उन्हें डिसमिस करने की स्वीकृति दे दी है। 

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बिहार कैबिनेट से मुकेश सहनी का 496 दिनों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। बीजेपी खेमे से मंत्री बनने के बाद भी उनसे पंगा लेना सन ऑफ मल्लाह को लिए भारी पड़ गया है।  बीजेपी पर लगातार हमलावर रहे मुकेश सहनी को हटाने संबंधी पत्र भाजपा की ओर से सीएम को भेजा गया था। इसके बाद रविवार को सीएम ने उन्हें हटाने की अनुशंसा कर दी। अब राज्यपाल ने भी इसपर अपनी मुहर लगा दी है।
गवर्नर के आमंत्रण पर सीएम समेत कई सांसद और मंत्री सोमवार को नाश्ते पर राजभवन पहुंचे हैं। राज्यपाल से हो रही इस मुलाकात को सियासत की दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है। 

जेडीयू के कई मिनिस्टर ने दिखाया था सॉफ्ट कार्नर

बीजेपी जहां मुकेश सहनी पर आक्रामक थी तो जेडीयू के मिनिस्टर्स का सॉफ्ट र्कानर दिख्श रहा था। अशोक चौधरी, श्रवण कुमार, मदन सहनी आदि ने कहा था कि सहनी के साथ ठीक नहीं हो रहा। जमां खान ने कह दिया कि पांच साल तक मुकेश सहनी मंत्रिमंडल में बने रहेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सीएम की अनुशंसा पर राज्यपाल ने स्वीकृति देकर मुकेश सहनी को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। 
बीजेपी और वीआइपी में दूरी के बीज यूपी विधानसभा चुनाव के समय पड़ गए थे। इस बीच मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद और मुकेश सहनी के बीच शब्दबाण की बौछार होती रही। आखिरकार इसकी परिणति आ ही गई।  

अमित शाह के साथ निकलते थे प्रचार में

फिल्मों के लिए सेट डिजाइन करने वाले सहनी ने 2014-15 के विधानसभा चुनाव के दौरान बिहार की राजनीति में प्रवेश किया। शुरुआती दौर में सहनी के तकरीबन छह प्रतिशत वोट की वजह से बीजेपी ने उन्हें तरजीह देकर प्रचारक बनाया। वे अमित शाह के साथ चुनाव प्रचार करने निकलते थे। बावजूद बीजेपी बड़ी सफलता हासिल नहीं कर पाई। नतीजा सहनी बीजेपीके लिए बहुत उपयोगी नहीं रह गये। सहनी भी इस बात को समझ गये। लिहाजा 2018 में अपनी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी बना ली। बीजेपी से अलग होकर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद से नजदीकी बनाई। बिहार में  2020 के चुनाव में उन्होंने 10 सर्कुलर रोड (राबड़ी आवास) के खूब चक्कर लगाये। लेकिन टिकट बंटवारे की बात आई तो तेजस्वी सहनी को आइना दिखा दिया। सहनी इसे बर्दाश्त नहीं कर पाये। महागठबंधन पर पीठ में छुरा मारने का आरोप लगा वे महागठबंधन से बाहर हो गए। 

तेजस्वी से नाराज होकर फिर पहुंचे थे बीजेपी खेमे में 

महागठबंधन से निकल सहनी एक बार फिर बीजेपी खेमे में पहुंचे। अमित शाह ने उन्हें मौका दिया और उन्हें एनडीए का सहयोगी बनाकर 11 सीटें और एक एमएलएसी की सीट भी दे दी। सहनी खुद चुनाव मैदान में सिमरी बख्यिारपुर से उतरे पर पराजित रहे। हां, उनकी पार्टी के चार लीडर एमएलए बन ये। बीजेपी ने सहनी के तीन एमएलए को अपनी पार्टी में विलय कराया (एक का निधन हो चुका है) और सहनी को मंत्री पद से मुक्त करने की अनुशंसा मुख्यमंत्री को भेज दी।