अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में मौत, फंदे पर लटकी थी बॉडी

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व और मठ बाघम्बरी गद्दी के महंत महंत नरेंद्र गिरि(60) की सोमवार की शाम संदिग्ध हालात में मौत हो गई। गिरि की बॉडी अल्लापुर में बांघबरी गद्दी मठ के कमरे में फंदे से लटकी मिली है। पुलिस के मौके से एक आठ पेज का सुसाइडल नोट भी मिली है। पुलिस ने महंथ के शिष्य आनंद गिरि व लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी व उनके बेटे संदीप तिवारी को कस्टडी में ले लिया है। 

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में मौत, फंदे पर लटकी थी बॉडी
नरेंद्र गिरि (फाइल फोटो)।
  • शिष्य आनंद गिरि, लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी और उनके बेटे पुलिस कस्टडी में

प्रयागराज। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व और मठ बाघम्बरी गद्दी के महंत महंत नरेंद्र गिरि(60) की सोमवार की शाम संदिग्ध हालात में मौत हो गई। गिरि की बॉडी अल्लापुर में बांघबरी गद्दी मठ के कमरे में फंदे से लटकी मिली है। पुलिस के मौके से एक आठ पेज का सुसाइडल नोट भी मिली है। पुलिस ने महंथ के शिष्य आनंद गिरि व लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी व उनके बेटे संदीप तिवारी को कस्टडी में ले लिया है। 

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जब तक जिया सम्मान से जिया,अनुयायी लगा रहे हैं मर्डर का आरोप 
पुलिस को नरेंद्र मरे से एक सुसाइड नोट मिला था, जिसमे उन्होंने अपने शिष्य आनंद गिरि और लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी व उनके बेटे संदीप तिवारी को मौत की वजह बताया था। मौत की वजह बताया था। पुलिस को आठ पन्नों का यह सुसाइड नोट उस कक्ष के बेड पर मिला जहां महंत नरेंद्र गिरि की बॉडी पंखे में फंदे से लटका मिला। सुसाइड नोट में लिखा है कि जब तक जिया सम्मान से जिया, सभी को सम्मान दिया। अपमान में जीना नहीं चाहता। आखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और मठ बाघम्बरी गद्दी के महंत तकरीबन 60 वर्षीय नरेंद्र गिरि के जीवन के यह वो अंतिम शब्द हैं जो उन्होंने मौत को गले लगाने से पहले सुसाइड नोट में लिखा। की सत्यता की भी जांच होनी है कि यह वास्तव में महंत नरेंद्र गिरि ने ही लिखा या नहीं। महंत नरेंद्र गिरि को पिछले कुछ दिनों से टेंशन में होने की बात कही जा रही है। हालांकि उनके अनुयायी मर्डर का आरोप लगा रहे हैं। 

पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी, डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने जताया शोक
घटना की सूचना मिलते ही आईजी केपी सिंह, डीआईजी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी और डीएम संजय खत्री समेत अनय अफसर मौके पर पहुंचे।IG रेंज केपी सिंह ने बताया कि मौके से सात पेज का सुसाइड नोट मिला है। इसमें महंत नरेंद्र गिरि ने वसीयतनामा की तरह लिखा है। इसमें शिष्य आनंद गिरि का भी जिक्र है। नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में यह जिक्र भी किया है कि किस शिष्य को क्या देना है? कितना देना है? सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि वह अपने कुछ शिष्यों के व्यवहार से बहुत ही आहत और दुखी हैं। इसीलिए वह सुसाइड कर रहे हैं। पहली नजर में यह सुसाइड का ही मामला समझ में आ रहा है। मठ पर जुटे अनुयायी और श्रद्धालु इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि उन्होंने आत्महत्या क्यों की? पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी, डिप्टी सीएम केशव मौर्य आदि ने निधन पर गहरा शोक जताया है।
पुलिस ने जब पूछताछ शुरू की तो एक शिष्य ने बताया कि दोपहर 12 बजे गुरुजी सभी शिष्यों के पास पंगत में थे। इसके बाद वह अपने आश्रम में गए। वहां से कुछ कागज लिए। कहा कि अतिथि गृह में कोई मिलने आ रहा है। उन्हें कॉल करके कोई परेशान नहीं करेगा।

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दोपहर में शिष्यों को लगा कि वह आराम कर रहे हैं लेकिन पांच बजे शाम को जब मंदिर जाने के लिए भी नहीं निकले तो खलबली मची। फोन करने पर भी कोई जवाब नहीं मिल रहा था। शिष्यों ने दरवाजा खटखटाया। बाहर से एसी बंद कर दिया लेकिन फिर भी नहीं निकले तो धक्का देकर दरवाजा खोल दिया। कमरे के अंदर का दृश्य देखकर शिष्य चीख उठे। थोड़ी ही देर में वहां सन्नाटा छा गया। बड़े और छोटे सभी शिष्य पहुंच गये। पुलिस को कॉल करके जानकारी दी गई। पुलिस मौके पर पहुंची। कमरे के अंदर फांसी पर लटके महंत नरेंद्र गिरि का शव फंदा काटकर नीचे उतारा जा चुका था। वहीं पास में एक डिब्बे में सल्फास की गोलियां रखी थीं लेकिन उसे खोला नहीं गया था। पास में ही आठ पन्ने का सुसाइड नोट था।, बबलू नाम के एक शिष्य ने पुलिस को बताया कि एक दिन पहले ही गेहूं में रखने के लिए गुरुजी ने सल्फास की गोलियां मंगाई थी।

शक की सुई इन आध दर्जन से अधिक चेहरों के इर्दगिर्द
नरेंद्र गिरि के मौत में प्राथमिक तौर पर शिष्य नरेंद्र गिरि और लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी, उसका बेटा संदीप तिवारी का नाम सामने आ रहा है। इन तीन चेहरों के अलावा चार अन्य लोगों का नाम भी संदेह के घरे है। आनंद गिरि के अनुसार की गुरुजी ने मठ की संपत्ति को बेचकर कई लोगों ने बड़ी-बड़ी हवेलियां बनवाई हैं। इनमें नरेंद्र गिरि के सुरक्षाकर्मी अजय सिंह, मनीष शुक्ला, अभिषेक मिश्रा, शिवेक मिश्रा का नाम शामिल हैं। इन लोगों की नजर मठ की संपत्ति पर थी।गुरुजी ने मनीष शुक्ला की शादी करवाई थी। उसे करोड़ों का घर भी दिया था। अभिषेक मिश्रा को भी गुरुजी ने करोड़ों का घर दिया था। इसके साथ ही शिवेक मिश्रा ने करोड़ों खर्च कर घर बनवाया था। गुरुजी ने इसे भी सहयोग किया था। आनदं गिरि ने बताया कि गुरुजी ने डॉक्टर समेत कई उद्योगपति से कर्ज ले रखा था। मई के बाद मेरी गुरुजी की मुलाकात नही हुई। हमारी आखिरी मुलाकात लखनऊ में हुई थी।
बहुत बड़ा षडयंत्र 
पुलिस कस्टडी में  लिये गये आनंद गिरि के अनुसार गुरुजी की मर्डर कर मुझे फंसाने की साजिश की जा रही है। मठ की जमीन हड़पने और वर्चस्व को लेकर महंत जी की हत्या की गई। पैसे वसूलने वालों ने एक बड़ी साजिश को अंजाम दिया है। सुसाइड नोट की भी जाचं होनी चाहिए। ये गुरुजी नहीं लिख सकते। मेरा नाम एक षडयंत्र के तहत लिखा गया है। मैंने अपना पूरा जीवन गुरुजी के साथ बिताया है। कभी भी उनसे कोई पैसा नहीं लिया। मेरे और गुरु जी के बीच सब कुछ अच्छा था। मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि इस मामले की पूरी जांच करें।

वसीयतनामा की तरह लिखा है सुसाइड नोट को
कई पन्ने के सुसाइड नोट में शिष्य आनंद गिरि के बारे में ज्यादा चर्चा है। उन्होंने एक तरह से मठ और आश्रम को लेकर वसीयत भी लिख दी है। पुलिस का कहना है कि सुसाइड नोट में उन्होंने सुसाइड करने की बात लिखी है। हालांकि सुसाइड नोट की फोरेंसिक जांच होगी।एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि मठ और आश्रम को लेकर आगे क्या करना है। किस तरह से व्यवस्था होगी। क्या करना है। एक तरह से सुसाइड नोट में उनका वसीयतनामा है। इसमें विस्तार से लिखा है कि किसे क्या देना है और किसके साथ क्या करना है। पुलिस के अनुसार सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि वह अपने एक शिष्य से दुखी थे। उन्होंने लिखा है कि मैं सम्मान के बिना नहीं रह सकता। अब समझ नहीं आ रहा कि क्या कर सकता हूं। उन्होंने बेहद मार्मिक बातें लिखी हैं। उन्होंने अपनी गद्दी किसे सौंपनी है इस बारें भी लिखा है। सुसाइड नोट में आनंद गिरी का नाम लिखते हुए उन्होंने  उससे परेशान होने की बात लिखी है। पिछले दिनों आनंद गिरी से उनका बड़ा विवाद हो गया था। आनंद गिरी को मठ से निष्कासित कर दिया गया था। हालांकि बाद में आनंद गिरी के माफी मांगने पर सुलह हो गया था।