यूपी: छह माह भी नहीं चली मायावती-अखिलेश की दोस्ती, बीएसपी सु्प्रीमो का ट्वीट- एसपी के साथ आगे चुनाव लड़कर बीजेपी को हराना संभव नहीं

  • लोकसभा चुनाव में हार के कारण भी गिनाये
  • सपा के साथ मिलकर अब आगे कोई चुनाव नहीं लड़ेंगी
लखनऊ: लोकसभा चुनाव से पहले हुई बुआ-भतीजे की दोस्ती टूट गयी है. दोनों के रिश्ते में खटास आ गयी है. बीएसपी अब आगे कोई भी चुनाव एसपी से गठबंधन कर नहीं लड़ने का फैसला किया है. बीएसपी का मानना है कि एसपी के साथ आगे चुनाव लड़कर बीजेपी के हराना संभव नहीं है. बीएसपी सुप्रीमो ने ट्वीट कर ऐसा कहा है. मायावती ने सोमवार को लगातार तीन ट्वीट कर एसपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीएसपी ने प्रदेश में एसपी गर्वमेंट के दौरान दलित विरोधी फैसलों को दरकिनार कर देशहित में पूरी तरह गठबंधन धर्म निभाया. चुनाव नतीजों के बाद अब सपा का बर्ताव सोचने पर मजबूर करता है. सपा के साथ आगे चुनाव लड़कर भाजपा को हराना संभव नहीं है. मायावती ने ट्वीट किया, ''जगजाहिर है कि हमने सपा के साथ गठबंधन के लिए सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाया। 2012-17 के दौरान उनकी सरकार में हुए बसपा और दलित विरोधी फैसलों और बिगड़ी कानून व्यवस्था को दरकिनार कर देशहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी तरह निभाया.'' आमचुनाव के बाद सपा का व्यवहार बसपा को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके भाजपा को आगे हरा पाना संभव होगा? जो संभव नहीं है. इसलिए पार्टी और आंदोलन के हित में अब बसपा आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी. उल्लेखनीय है कि मायावती इससे पहले वे चार जून को भी सपा के साथ गठबंधन तोड़ने की बात कह चुकी हैं.यूपी में विधानसभा उपचुनाव में सभी 11 सीटों पर अकेले लड़ने का एलान कर चुकी है. उन्होंने कहा था कि अखिलेश यादव अपनी पार्टी के हालात सुधारें. चुनाव में सपा का बेस यानी यादवों के वोट ही उन्हें (सपा को) नहीं मिले. खुद डिंपल यादव और उनके बड़े नेता चुनाव हार गये. यह चिंता का विषय है. बीएसपी की लखनऊ बैठक में अखिलेशपर बरसी मायावती बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने रविवार को लखनऊ में संपन्न हुई पार्टी की राष्ट्रीय स्तरीय बैठक में समाजवादी नेताओं पर खूब बरसीं।. उन्होंने यादव वोट बैंक ट्रांसफर नहीं कराने की तोहमत दोहराने के साथ अनेक सीटों पर बसपा की हार के लिए उन्होंने सपा के जिम्मेदार नेताओं को दोषी ठहराया. माया ने लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद अखिलेश द्वारा कोई फोन नहीं करने पर भी कड़ा एतराज जताया. लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद गठबंधन को मिली पराजय के बाद पहली बार बसपा के नेताओं की बैठक में मायावती ने मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव पर सीधा हमला बोला और लोकसभा चुनाव में मिली हार के कारण गिनाये. माया ने कहा कि अखिलेश मुसलमान विरोधी हैं और लोकसभा चुनाव 2019 में मुसलमानों को टिकट देने से डर रहे थे. वह मुलायम सिंह यादव पर भी हमला करने से नहीं चूकीं. मायावती ने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने भाजपा से मिल कर ताज कॉरिडोर में उन्हें फसाने की कोशिश की.बैठक में मायावती ने कहा कि गठबंधन के चुनाव हारने के बाद अखिलेश ने मुझे फोन नहीं किया. सतीश मिश्रा ने उनसे कहा कि वे मुझे फोन कर लें, लेकिन फिर भी उन्होंने फोन नहीं किया. मैंने बड़े होने का फर्ज निभाया और वोटों की गिनती के दिन 23 तारीख को उन्हें फोन कर उनके परिवार के हारने पर अफसोस जताया. मायावती ने कहा कि तीन जून को जब मैंने दिल्ली की मीटिंग में गठबंधन तोड़ने की बात कही तब अखिलेश ने सतीष चंद्र मिश्रा को फोन किया, लेकिन तब भी मुझसे बात नहीं की. अखिलेश ने सतीष चंद्र मिश्रा से मुझे संदेश भेजवाया था कि मैं मुसलमानों को टिकट न दूं, क्योंकि उससे और ध्रुवीकरण होगा, लेकिन मैंने उनकी बात नहीं मानी. मायावती ने आरोप लगाया कि मुझे ताज कॉरिडोर केस में फंसाने में भाजपा के साथ मुलायम सिंह का भी अहम रोल था. उन्होंने कहा कि अखिलेश सरकार में गैर यादव और पिछड़ों के साथ नाइंसाफी हुई, इसलिए उन्होंने वोट नहीं किया. सपा ने प्रमोशन में आरक्षण का विरोध किया था इसलिए दलितों, पिछड़ों ने उसे वोट नहीं दिया.उन्होंने कहा कि बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को सलीमपुर सीट पर समाजवादी पार्टी के विधायक दल के नेता राम गोविंद चौधरी ने हराया. उन्होंने सपा का वोट भाजपा को ट्रांसफर करवाया, लेकिन अखिलेश ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. एसपी से गठबंधन कर 38 सीटों में 10 सीटें जीती बीएसपी बताया जाता है कि मायावती को यह आभास था कि एसपी-बीएसपी के बीच की ढ़ाई दशक पुरानी कड़वाहट लोकसभा चुनाव में गंठबंधन होनेके बाावजूद निचले स्तर के कार्यकर्ताओं तक समाप्त नहीं हो सकती. माया ने इसलिए सीट बटवारें में उन सीटों को लिया जो मुस्लिम और दलित समीकरण से जीत सकती थी. बीएसपी के हिस्से में आयी 38 सीटें में 24 सीटें ऐसी थीं, जिन पर दलित मुस्लिम और बसपा कैडर का पूर्व चुनावों में प्रभाव देखा गया था. मायावती को इसका फायदा भी मिला. इस तरह वह 38 सीटों में 10 सीटें जीतने में सफल रहीं. वर्ष 2014 में बीएसपी को एक सीट भी नहीं मिली थी. अखिलेश यादव मायावती के राजनीतिक दूरदर्शिता के शिकार हो गये. अखिलेश 37 सीटों पर लड़कर मात्र पांच सीट जीत सके. एसपी को 2014 में भी पांच सीटें मिली थी. इस बार अखिलेश की पत्नी डिंपल, चचेरे भाइ भी चुनाव हर गये. एसपी-बीएसपी गठबंधन में आरएलडी को मुजफ्फरनगर, मथुरा व बागपत सीट सपा ने अपने कोटे से छोड़ी थी. आरएलडी तीनों सीटें हार गयी.