चांद नजर नहीं आया, 7 मई को रखा जायेगा पहला रोजा

रांची: एदार ए शरीया झारखण्ड के नाजिमे आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने कहा है कि 29/शाबान अनुसार 5 मई 2019 दिन रविवार मगरिब के बाद दरगाह शरीफ डोरणडा, रांची में एदार ए शरीया झारखण्ड के काजीयाने शरीयत, मुफ्तियाने केराम और उलेमा की बैठक चीफ काजीए शरीयत हजरत मुफ्ति आबिद हुसैन मिसबाही की सदारत में हुई. णराज्य के विभिन्न भागों में आसमान साफ था मगर चांद नजर नहीं आया देश के बहुत से जगहों से सम्पर्क किया गया लेकिन कहीं से भी रमजानुल मोबारक का चांद नजर आने की कोई खबर नहीं है. इसलिए एदार ए शरीया झारखण्ड दारुल कजा से फैसला लिया गया कि दिनांक 7/मई 2019 दिन मंगलवार को रमजानुल मोबारक का पहला रोजा रखा जायेगा. बैठक में मौलाना सययद शाह अलकमा शिबली, मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी, मुफती आबिद हुसैन मिसबाही, सैयद नुरुल एैन बरकाती, मोहम्मद सईद, मुफती एजाज हुसैन, मौलाना डॉ ताजुद्दीन रिजवी, मौलाना नसीमुद्दीन खान, मुफती फैजुल्लाह मिसबाही, कारी अययुब, मौलाना दिलदार हुसैन मिसबाही, मौलाना मुजीबुर रहमान, एस, एम, मोईन, हाफिज नसरुल्लाह, मौलाना इरशाद मिसबाही, मौलाना अब्बास मिसबाही, हाफिज मोबीन रिजवी, मौलाना फारुक मिसबाही,,मौलाना नेजामुद्दीन मौजूद थे . इबादत व बरकत का महीना है रमजान रमजान का चांद सोमवार को दिखेगा. चांद दिखते ही मंगलवार से रमजान का पाक महिना शुरू हो जायेगा. इस्लामिक विद्वानों के मुताबिक रमजान को सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस दौरान हर मोमिन पर रोजा रखना, पांच वक्त की नमाज अदा करना, खैरात और जकात देना फर्ज होता है. इस दौरान किसी तरह के गलत कामों पर पूरी तरह से पाबंदी होती है। विद्वान मानते हैं कि इस दौरान सभी बुरी आदतों को छोड़ना होता है और दीन के रास्ते पर चलना होता है. इस माह में अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल देते हैं.रमजान का महीना आते ही मुसलमानों के घरों में खुशियां छा जाती है. रमजान के महीने में अल्लाह के रसूल के फरमान के मुताबिक हर फर्ज इबादतों का सत्तर गुणा अधिक बढ़ा दिया जाता है. जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं और जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिये जाते है. इसलिए इस माह को बरकत का महीना भी कहते हैं. रमजान इसलामी कैलेंडर का नौवां माह होता है. रमजान का चांद देखते ही लोग इबादत में लग जाते हैं. मुश्कीपुर स्थित मस्जिद के मौलाना रहमतउल्लाह कहते हैं कि रमजान में रोजा रखकर रात दिन ईबादत करने से बहुत शवाब मिलता है. इस ईबादत से अल्लाह खुश होते हैं. हदीस में आया है कि रमजान का महीना आते ही बानी-ए-इसलाम मोहम्मद जाकर दिन भर भूखे-प्यासे रोजा रखकर रब की खूब इबादत किया करते थे. इसकी इबादत अल्लाह को इतनी पसंद आया कि उसी समय से मुसलमानों पर रमजान का रोजा फर्ज कर दिया. कुरानशरीफ धरती पर उतारी गयी तथा इस रात में ही हजरत-ए-आदम के जन्म संबंधी बुनियाद भी रखी-गयी रमजान का रोजा हर मर्द-औरत बालिग पर फर्ज है. क्या है रमजान रमजान का महीना बेहद पाक व रहम वाला होता है.इस महीने में इबादत का सत्तर गुना ज्यादा शवाब मिलता है. रमजान में रोजा रखने का खास महत्व होता है. रमजान के महीने में 30 दिन लोग रोजा रखते हैं. इसके बाद इस महीने के आखिरी दिन ईद मनाई जाती है.रोजा रखने पर इनसान को आंख, हाथ, दिल व मुंह से कुछ भी बुरा करने से परहेज करना चाहिए. इससे रोजा रखने वाले इनसान को हमेशा बुराई से तोबा करते रहना चाहिए. इससे रोजा रखने वाले का दिल साफ रहता है. रोजे के दौरान रोजा रखने वालों को सूर्य निकलने से पहले व सूर्य डूबने तक किसी भी तरह का चीज खाने पीने से परहेज करना चाहिए. रोजेदार की दिन की शुरुआत हल्की सुबह में अजान से पहले सहेरी में होती है. रमजान की नमाज रमजान को कुरान का महीना कहा जाता है. रमजान की रात में विशेष नमाज अदा की जाती है, जिसे तरावी कहते है. यह सबसे लंबी 20 रेकायत के दौरान पढ़ी जाती है. इस नमाज को पढ़ने के लिए हर मसजिद में एक हाफिज को बुलाया जाता है. हाफिज उसे कहते हैं, जिसे पूरी कुरान मुंह जुबानी याद हो. रमजान की रोजे की अजमत रमजानुल के महीने में पवित्र कुरान नाजिल किया गया. यह महीना अल्लाह से निकट होने का महीना है अल्लाह इस महीना है अल्लाह इस महीनों में रहमतों की बारिश करता है. रमजान के रोजे के बारे में कुरान में आया कि ए ईमान वालों (मुसलमानों) तुम पर रोजा फर्ज किया गया था ताकि तुम पहरेगार और तकवा बनो. रोजा कब फर्ज हुआ रमजानुल मुबारक का रोजा सन् दो हजार में फर्ज किया रोजा पहले किताब (आसमानी किताब) के मानने वालों पर फर्ज किया गया है.हजरत मूसा अलैह सलाम के काल में अशूरा यानि दस मुहर्रम को फर्ज था.हजरत मोहम्मद के काल में रमजानुल मुबारक के 30 रोजे फर्ज किये गये. रमजान के महीने में कुरान धरती पर उतरी इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना रमजानुल मुबारक है. साल के 12 महीनों में रमजान का विशेष महत्व है. यह महीना पूरी दुनिया के लिए है. इसे अल्लाह का महीना भी कहा जाता है. तरावी पढ़ना शबाव इफ्तार करने के बाद रोजेदार नमाज-ए-ऐशा के बाद हरके मसजिद या दूसरी सार्वजनिक स्थानों में तरावी पढ़ी जाती है.इस नमाज में काफी भीड़ रहती है.पूरे तीस दिनों तक हाफिज एक कुरान पढ़ता है और पीछे लोगों कुरान सुनते हैं.जिससे तरावी का शबाव मिलता है. शबे कद्र का एहतमाम करें रमजानूल मुबारक को तीस अशरा में बांटा गया है. पहला अशरा एक से दस रमजान तक रहमतों का है.इसमें रहमतों की बारिश होती है. दूसरा अशरा 11 से 20 रमजान तक जहन्नुम से निजात पाने का है अंतिम अशरा में ही 21, 23, 25, 27, 29 पाक रातें हैं. इन पांचों रात में एक रात शबेकद्र की रात है. इस रात में पवित्र कुरान में आया है कि हजारों महीनों से बेहतर है. इस रात इबादत का शबाव एक हजार महीनों तक इबादत करने के बराबर शबाव मिलता है. सेहरी करना बरकत सेहरी खाने में बरकत है सेहरी देर से खाना सुन्नत है. अगर सेहरी खाते समय अजान हो जाय तो खाना तुरंत छोड़ दें. जकात व खैरात देना फर्ज रमजान के महीने में हर दौलतमंद लोगों को जकात देना फर्ज है. जकात देना उन लोगों पर है जिसके पास 7.5 तोला सोना और 52.5 तोले चांदी के बराबर संपत्ति या रुपया हो तो रमजान में जकात देना फर्ज है. खैरात हर रोजेदार के ऊपर फर्ज फरमाया गया है. फितरा मुसलमानों पर फर्ज फितरा निकलना मुसलमानों पर फर्ज है.फितरा उस वक्त निकाला जाता है कि ईद के नमाज के पहले कोई बच्च पैदा होता है तो उसके भी नाम फितरा निकालना वाजिब है.फितरा प्रत्येक व्यक्ति पर दो किलो 45 ग्राम जौ या गेहूं या उसके बदले उसकी कीमत जो बनता है वह निकाला जाता है.