नई दिल्ली: Supreme Court का अयोध्या पर आज 10.30 बजे आयेगा फैसला

  • यूपी समेत विभिन्न राज्यों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
  • फैसला सुनाने वाले सभी जजों की सुरक्षा बढ़ायी गयी सीजेआई ने यूपी के सीएस वडीजीपी को सुप्रीम कोर्ट बुलाकर कानून-व्यवस्था की जानकारी ली
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट अयोध्या राम जन्मभूमि –बाबरी मजस्जिद विवाद से संबंधित ऐतिहासिक मुकदमें पर शनिवार को फैसला सुनायेगा. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच सुबह साढे दस बजे अपना फैसला सुनायेगी.सुप्रीम कोर्ट ने इस मुकदमें की 40 दिन तक मैराथन सुनवाई करने के बाद पिछले 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. शनिवार को छुट्टी के दिन सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच बैठेगी और सुबह 10.30 बजे फैसला सुनायेगी.. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए पूरे देश में सुरक्षा चाक चौबंद है.धर्मगुरुओं ने भी लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की है.सीजेआइ ने उत्तर प्रदेश और विशेषकर अयोध्या की स्थिति जानने के लिए शुक्रवार को राज्य के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी और डीजीपी ओपी सिंह को सुप्रीम कोर्ट बुलाकर कानून-व्यवस्था की स्थिति जानी. सेंट्रल गर्वमेंट ने अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाली पांच सदस्यीय बेंच में शामिल सभी जजों की सुरक्षा बढ़ा दी है. उल्लेखनीय है कि चीफ जस्टिस 17 नवंबर को रिटायर्ड हो रहे हैं. जस्टिस एस ए बोबड़े अगले चीफ जस्टिस होंगे. सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में दूसरी सबसे लंबी सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान 40 दिन हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं. सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में सबसे लंबी सुनवाई 68 दिनों तक केशवानंद भारती से सबंधित वाद में चली थी. संवैधानिक मूल ढांचा आदि की व्याख्या तब संवैधानिक बेंच ने की थी. क्या है मामला मुकदमें में कहा गया है कि बाबर के आदेश पर 1528 में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मस्जिद का निर्माण हुआ था. यह विवादित इमारत और स्थान हमेशा हिन्दू और मुसलमानों के बीच विवाद का मुद्दा रहा. हिन्दू विवादित स्थल को भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं और वहां अधिकार का दावा करते हैं. मुसलमान वहां बाबरी मस्जिद होने के आधार पर मालिकाना हक की मांग करते रहे. विवादित ढांचा छह6 दिसंबर 1992 को ढहा दिया गया था. हालांकि उस समय भी यह मुकदमा अदालत में लंबित था. इस मुकदमें में चार मूलवाद और चौदह अपीलें थी,। जिन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को फैसला सुनाया था. चार मूलवाद पहला मुकदमा गोपाल सिंह विशारद का था जिसने 1950 में राम जन्मभूमि पर रिसीवर नियुक्त होने के बाद मुकदमा दाखिल कर पूजा अर्चना का अधिकार मांगा था. इस मुकदमें की शुरूआती सुनवाई में ही कोर्ट ने रामलला की पूजा अर्चना जारी रखने का आदेश देते हुए वहां यथास्थिति कायम रखने का निर्देश दिया था जो लगातार जारी रहा. दूसरा मुकदमा निर्मोही अखाड़ा ने 1959 में दाखिल किया और इस मुकदमें में निर्मोही अखाड़ा ने रामलला के सेवादार होने का दावा करते हुए पूजा प्रबंधन और कब्जा मांगा था. तीसरा मुकदमा 1961 में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने दाखिल किया. मालिकाना हक की मांग का यह पहला मुकदमा था, जिसमें पूरी जमीन को वक्फ की संपत्ति बताते हुए विवादित ढांचे को मस्जिद घोषित करने की मांग की गई है. चौथा मुकदमा भगवान श्रीराम विराजमान और जन्मस्थान की ओर से निकट मित्र देवकी नंदन अग्रवाल ने दाखिल किया था. इस मुकदमें में जन्मस्थान को अलग से पक्षकार बनाया गया था. इसमें विवादित भूमि को भगवान राम का जन्मस्थान बताते हुए भगवान राम विराजमान को पूरी जमीन का मालिक घोषित करने की मांग की गई है. देवकी नंदन अग्रवाल इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज थे. रामचंद्र परमहंस दास ने भी 1950 में एक मुकदमा दाखिल किया था जिसमें पूजा दर्शन का अधिकार मांगा गया था लेकिन बाद में यह मुकदमा वापस ले लिया गया. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का दिया था आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को दिये गये फैसले में अयोध्या में राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था. एक हिस्सा रामलला विराजमान को दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा हिस्सा मुसलमानों को देने का आदेश था. हाईकोर्ट ने रामलला विराजमान को विवादित इमारत के केन्द्रीय गुंबद का वही हिस्सा देने का आदेश दिया था जहां वे अभी विराजमान हैं. इस आदेश के खिलाफ भगवान रामलला विराजमान सहित सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट मे अपील दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यथास्थिति बहाल रखने का आदेश देते दिया था. यूपी में हाइ अलर्ट, कड़ी सुरक्षा यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर संवेदनशील जिलों में कानून-व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किये गये हैं. असामाजिक तत्वों को भी चिह्नित किया गया है.21 जिले संवेदनशील की श्रेणी में रखे गये हैं. यूपी में स्कूल-कॉलेज 11 तक बंद यूपी में स्कूल-कॉलेज समेत सभी शिक्षण संस्थानों को सोमवार तक के लिए बंद कर दिया गया है. अयोध्या में 10 दिसंबर तक धारा 144 लागू, संवेदनशील स्थलों की बढ़ी सुरक्षा अयोध्या में 10 दिसंबर तक के लिए धारा 144 लगा दी गई है. मथुरा और काशी समेत प्रदेश के सभी संवेदनशील स्थलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. संवेदनशील स्थलों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त जवानों को लगाया गया है. सेंटर्ल गर्वमेंट की ओर से सभी राज्यों को सुरक्षा को लेकर एडवाइजरी जारी की गई है सतर्क रहने तथा संवेदनशील स्थलों की सुरक्षा बढ़ाने के भी निर्देश दिये गये हैं.